मीडिया के गुप्त सूत्रों के कारण जितना डैमेज हो रहा है वो कहने की बात नहीं है। कल तक के गुप्त सूत्रों ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को ये खबर दी थी की लश्कर आतंकी ने 100 पुलिस वालों को मारने की योजना बनाई थी।
आज फर्स्ट पोस्ट में छपी 'इन-डेप्थ रिपोर्ट' में इस गुप्त सूत्र ने बताया है कि एक्चुअली 100-150 अमरनाथ यात्री, और 100 पुलिस वालों को मारने की साजिश थी। इस रिपोर्ट की डेप्थ ये है कि इन सूचनाओं का आधार या तो गुप्त सूत्र हैं, या फिर कोई और अखबार जिसकी रिपोर्ट का आधार कोई गुप्त सूत्र है।
फ़िलहाल, रिपोर्ट गुप्त सरकारी सूत्रों के हवाले से या बताती है कि गुजरात की इस बस को लश्कर के 'ओवर द ग्राउंड वर्कर्स' दो दिन से पीछा कर रहे थे। ये बात और है कि कथित बस में 60 लोग ही थे, 150 का टारगेट कैसे पूरा करते?
दूसरी बात ये कि बस का टायर पंक्चर हो गया था, जिस से बस एक घंटा लेट पहुँची उस हाईवे पर और फिर उस पर हमला हो गया। अब कल वाले किसी इन-डेप्थ रिपोर्ट में कोई गुप्त सूत्र ये भी बता सकता है कि लश्कर के आतंकी ने ही टायर पंक्चर किया था। अब इस पर सवाल ये उठेगा कि दो और बस का पंक्चर कर देते तो 180 टारगेट पूरा हो जाता और मार्च के अप्रैज़ल में 'एक्सीडेड एक्सपेक्टेशन' के साथ A++ मिल जाता।
लेकिन गुप्त सूत्र बता सकते हैं कि लश्कर के आतंकियों ने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि शक हो जाता लोगों को कि लश्कर वालों के बाप तो पंक्चर की दुकान चलाते ही थे, लौंडों ने भी पंक्चर का काम शुरू कर दिया। इससे लश्कर की साख को आतंक की दुनिया में बट्टा लग सकता था। साथ ही 'मोदी ने इलेक्शन के मद्देनजर ख़ुद ही ये कराया', ऐसा नैरेटिव बनानेवालों को भी नुकसान हो जाता।
फ़िलहाल, लश्कर के गुप्त सूत्र जो मेरे संपर्क में बने हुए हैं, उनसे नयी जानकारी मिलते ही साझा करूँगा।
अजीत भारती