अपने विशिष्ट गुणों और कर्मठता के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता के साथ-साथ अपने पार्टी में भी सिरमौर बन चुके हैं । उनके इस उपलब्धि में उनके द्वारा शुरू की गई मन की बात का विशेष योगदान है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात केवल कोरी कल्पना नहीं होती । उसमें भारत का इतिहास होता है, वर्तमान परिस्थितियों की भी झलक मिलती है, और भविष्य के लिए संदेश भी अंतर्निहित होता है । उनके इस मन की बात का ऐसे समय में और भी महत्त्व बढ़ जाता है, जब देश कोरेना महामारी से संघर्ष कर रहा हो, पाकिस्तान, नेपाल और चीन की सीमाओं पर सेना के जवान अपने देश की सीमाओ की सुरक्षा के लिए शहादत देने को आतुर दिखाई दे रहे हैं । इन सबकी ज़िम्मेदारी देश के प्रधानमंत्री की होती है। इसलिए पूरा देश और सम्पूर्ण विपक्ष प्रधानमंत्री की ओर देख रहा है । ऐसे समय में उनके द्वारा बोले गए एक – एक शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इसी कारण जन भावनाओं को भापने में माहिर नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात में सभी के मानस तंतुओं को झंकृत करते हुए कहा कि अपने पड़ोसी देशों के साथ हम दोस्ती निभाना जानते हैं और आँख से आँख मिला कर जवाब भी देना जानते हैं । आइये उनकी मन की बात का विश्लेषणात्मक अध्ययन करते हैं -
1. संकट में सृजन - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस कार्यक्रम की शुरुआत देश की जनता के मन में चल रहे ऊहापोह से की । उन्होने कहा कि 2020 ने आधा सफर पूरा कर लिया है। हर तरफ वैश्विक महामारी की ही बात हो रही है। हर कोई एक ही विषय पर चर्चा कर रहा है कि यह साल जल्दी क्यों नहीं बीत रहा, यह बीमारी कब खत्म होगी। कोई कह रहा है, 2020 शुभ नहीं है। इतना कहने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन में क्या चल रहा है ? उसको उद्घाटित करते हुए ऐसी विपदाओं के समय में भारत ने किस धैर्य के साथ सामना किया था। और उसका सामना करते हुए किस प्रकार एक नए सृजन का प्रादुर्भाव हुआ, इसका वर्णन करते हुए कहते हैं कि कभी कभी सोचता हूं कि ऐसा क्यों हो रहा है? संकट आते रहे, लेकिन सभी बाधाओं को दूर करते हुए नए सृजन किए गए। हमारा देश आगे बढ़ता रहा। भारत ने संकट को सफलता की सीढ़ी में परिवर्तित किया है। और अपने इस प्रसंग को पूरा करते हुए देश के नागरिकों पर भरोसा जाहीर करते हुए कहते हैं कि आप इसी संकल्प से आगे बढ़ेंगे तो यही साल कीर्तिमान स्थापित करेगा। मुझे 130 करोड़ लोगों की शक्तियों पर भरोसा है।
2. जवाब देने की शक्ति - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में दूसरा विषय भारत चीन सीमा को लेकर जो तनाव है, उस पर केन्द्रित होते हुए कहा कि दुनिया ने इस दौरान भारत की विश्वबंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। हमने अपने सीमाओं की सुरक्षा करने वालों को जवाब भी दिया। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंखों में आंखे मिलाकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। भारत चीन सीमा पर गलवान घाटी में अपनी सीमाओं की रक्षा करते हुए जिस वीरता के साथ देश के 20 जवानों ने शहादत दी, उसका जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अपने वीर सपूतों के परिवारों के मन में जो जज्बा है, उन पर देश को गर्व है। लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है ।
3. लोकल के लिए वोकल - भारत चीन सीमा पर अपने मनोभाव व्यक्त करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में देश आत्मनिर्भर कैसे बने ? इसके लिए लोकल के लिए वोकल का मार्ग सुझाते हुए कहा कि आजादी के पहले हमारा देश डिफेंस सेक्टर में दुनिया के कई देशों से आगे था। उस समय कई देश जो हमसे कहीं पीछे थे वे आज आगे हैं। हमें अपने पुराने अनुभवों को लाभ उठाना चाहिए था वह हम नहीं उठा सके। आज भारत प्रयास कर रहा है। आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है। कोई भी विजन सबके सहयोग के बिना नहीं हो सकता। लोकल के लिए वोकल होंगे तो यह भी देशसेवा ही होगी।
4. अनलॉक खेती और किसान - ऐसी परिस्थितियों में किसान और खेती का महत्व बढ़ जाता है। संकट की स्थिति में सरकार की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी यही होती है कि उसके हर नागरिक को भरपेट भोजन मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए मुफ्त राशन वितरण करके इस दिशा में कदम भी उठाया । साथ ही किसानों को अपना उत्पाद बेचने की स्वतन्त्रता देकर उनकी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए सकारात्मक कदम का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि में भी दशकों से लॉकडाउन में फंसी थीं, इसे भी अनलॉक कर दिया गया है। इससे किसानों को अपनी फसलें किसी को भी कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। इसके साथ ही उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है। देशवासियों हर महीने हम ऐसी खबरें पढ़ती हैं जो हमें भावुक कर देती हैं। बताती हैं कि हर भारतीय लोगों की मदद करने में जुटा है।
5. विपदा में स्वप्रेरित प्रयास - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जादूगर कहा जाने लगा है। देश की जनता को कैसे अपने पक्ष में मोड़ना है, वे अच्छी तरह जानते हैं। इसी कारण कोरेना महामारी और भारत चीन सीमा पर उत्पन्न तनाव को लेकर किस तरह से लोग स्वप्रेरित होकर कोरेना संक्रमित लोगों की मदद के लिए कार्य कर रहे हैं एक उदाहरण देते हुए उसका जिक्र किया - अरुणाचल के सियाम गांव में लोगों ने गांव के बाहर 14 अस्थायी झोपड़ियां बना दीं और तय किया कि बाहर से आने वाले 14 दिन इन्हीं झोपड़ियों में रहना होगा। उन्हें सभी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई गईं। जैसे कपूर आग में तपने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, ऐसे ही आपदा में अच्छे लोग अपने गुण नहीं छोड़ते। हमारे श्रमिक साथी भी इसका जीता-जागता उदाहरण है। हमारे प्रवासी श्रमिकों की ऐसी ही कहानियां आ रही हैं। ऐसे ही कुछ श्रमिक साथियों ने कल्याणी नदी का उद्धार करना शुरू किया। ऐसी लाखों किस्सें कहानियां हैं जो हम तक नहीं पहुंच पाई हैं। आपके आसपास ऐसी घटनाएं हुई हों तो मुझे लिखें। यह लोगों को प्रेरणा देंगी।
6. विरासत से अर्जित ज्ञान - प्रधामन्त्री नरेंद्र मोदी ही नहीं इस देश का हर नागरिक जानता है कि उसकी हर समस्याओं का समाधान उसके दादा-दादी और नाना नानी के पास है, इसी कारण वे देश के किशोर युवाओं को प्रेरित करते हुए अपने नाना नानी से बात करने प्रेरित करते हुए कहते हैं कि कोरोना की वजह से कई लोगों ने मानसिक तनाव जिंदगी गुजारी। वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि कैसे उन्होंने इस दौरान छोटे-छोटे पलों को परिवारों के साथ बिताया। मेरे नन्हें साथियों से भी मैं आग्रह करना चाहता हूं। एक काम कीजिए, माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और दादा-दादी और नाना-नानी का इंटरव्यू कीजिए। पूछिए, उनका बचपन में रहन-सहन कैसा था, क्या खेलते थे, मामा के घर जाते थे, त्योहार कैसे मनाते थे। उन्हें 40-50 साल पीछे जिंदगी में जाना आनंद देगा और आपको तब की चीजें सीखने को मिलेंगी और परिवार के लिए एक अच्छा अमूल्य खजाना और वीडियो एलबम भी बन जाएगा।
7. प्राकृतिक रिफलिंग में मददगार - जल ही जीवन है। यह सभी जानते हैं। लेकिन लगातार हो रहे भूगर्भ जल के दोहन की वजह से हर वर्षा भूगर्भ जल स्तर गिरता जा रहा है। इसकी वजह से एक और संकट की पदचाप सुनाई दे रही है। इसी कारण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संकट के प्रति देश के नागरिकों को सावधान करते हुए कहा कि देश के एक बड़े हिस्से में मानसून पहुंच चुका है। इस बार मौसम वैज्ञानिक भी मानसून को लेकर उत्साहित हैं। अच्छी बारिश होगी तो प्रकृति प्रफुल्लित होगी, किसान भी खुश होंगे। इससे प्रकृति रीफिलिंग करती है। इसमें हमारा थोड़ा प्रयास काफी मददगार होगा। कर्नाटक के कामेगौड़ा जी बहुत असाधारण काम किया है। वे अपने जानवर चराते हैं और आसपास छोटे-छोटे तालाब बनाने में जुटे हैं। अब तक वे 16 तालाब अपनी मेहनत से खोद चुके हैं। हो सकता है कि ये तालाब बहुत छोटे हों, लेकिन उनका यह प्रयास बहुत बड़ा है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रधामन्त्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात के कार्यक्रम में उन सभी पहलुओं का जिक्र किया। जो आज की दृष्टि से बहुत ही समीचीन हैं। इसके साथ ही उन्होने सभी समस्याओं का सिलसिलेवार जिक्र किया। अपने मन की बात में एक ओर जहां उन्होने हर नागरिक को वर्तमान स्थिति और समस्याओं से अवगत कराया । वहीं दूसरी ओर उसके समाधान के सूत्र भी दिये । चाहे कोरेना महामारी हो, या भारत चीन सीमा विवाद हो, सभी का जिक्र करते हुए भारत के पक्ष को भी उद्घाटित किया । भविष्य में आने वाले जल संकट से आगाह करते हुए नेचुरल जल रिफालिंग कैसे हो ? उसका मार्ग बताते हुए, इसके लिए अपील भी की ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट