कोविड – 19 संक्रमित व्यक्तियों के इलाज में प्राणायाम और योग का योगदान

Update: 2020-06-22 06:27 GMT


पिछले चार महीने से अधिक समय से पूरा विश्व कोविड – 19 संक्रमण से त्रस्त है। सरकार और जनता द्वारा की जाने वाली तमाम सावधानियों के बाद भी संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है । विश्व के सभी देश और उनकी सरकारें चिकित्सा क्षेत्र में लगातार शोध करा कर इसकी वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में सफलता नहीं मिली है। अपुष्ट खबरो के अनुसार कुछ लोग इसकी दवा या वैक्सीन बनाने का दावा जरूर कर रहे हैं। लेकिन वे सभी अभी तक केवल दावे ही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और सभी देशों के चिकित्सकों ने यह माना है कि जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होगी, वह कोरेना से संक्रमित नहीं होगा, और अगर संक्रमित हो गया, तो वह बहुत ही जल्दी ठीक हो जाएगा । इसलिए सभी सरकारों ने अपने-अपने नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे पेय पदार्थ और ऐसे भोजन ग्रहण करें, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे । साथ ही उसमें वृद्धि भी हो।

पेय पदार्थों के अलावा भारत के ऋषियों-मुनियों के स्वस्थ, नीरोग और संक्रमित न होने के पीछे छुपे कारणों और रहस्य का जब अध्ययन करते हैं, तो यह बात निकल कर आती है कि भारत के ऋषियों- मुनियों की जीवन शैली नियमित और संयमित रही है । वहीं योग, आसन और साधना भी उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है। चूंकि किसी प्रकार का संक्रमण से प्रभावित नहीं होते रहे। इसलिए अगर हम ऋषियों मुनियों के जीवन और उनके द्वारा प्रतिपादित सूत्रों का हम अनुपालन करें, तो कोरेना से न केवल संक्रमित होने से बचा जा सकता है, अपितु संक्रमित होने के बाद उससे बचा भी जा सकता है ।

मूल विषय योग पर आने के पूर्व हम थोड़ा सा अध्ययन ऋषियों – मुनियों द्वारा लिए जाने वाले पेय पदार्थों और भोजन पर विचार विमर्श कर लेते हैं। हम सभी जानते हैं कि ऋषि मुनि प्रतिदिन नियमित रूप से जड़ी-बूटियों के काढ़े का सेवन करते रहे हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ – साथ शरीर में विद्यमान जहरीले और अनावश्यक पदार्थों को निकालने में भी मदद करता रहा है । इससे शरीर में एक ओर ऐसे औषधीय पदार्थों का संचय होता था, जो किसी भी संक्रमण से बचाने का काम करते थे। वहीं दूसरी ओर शरीर में मृत कोशिकाओं, अवशिष्ट व जहरीले पदार्थों को को बाहर निकालने में भी मदद करते रहे ।

इसके अलावा भारत के समस्त ऋषि मुनि सुबह चार बजे से पूर्व उठ कर नित्य क्रिया से निवृत्त होते। टहलने के अलावा योग, आसन और समाधि का अभ्यास करते । ये सारी क्रियाएँ उन्हें स्वस्थ, प्रसन्नचित, और एकाग्र बनाती । उनके मूल कर्म में दत्तचित्त योगदान के लिए उनका सहयोग करती ।

योग का मूल उत्स भारतीय धर्मग्रंथों में और ऋषियों मुनियों की जीवन शैली में पाया जाता है। लेकिन सदियों तक इस ज्ञान से आम जनता अनभिज्ञ रही। हमारे देश के ऋषियों के हजारों वर्षों तक जप-तप और अभ्यास के बाद जो खोज की गई। उसका अध्ययन विदेशियों ने किया। हमारे देश का योग और योगा में परिवर्तित होकर जब पुन: आया, तब जाकर हमने उसे अपने जीवन में अपनाया । शुरू में इसकी गति बड़ी धीमी रही। लेकिन बाबा रामदेव द्वारा किए गए जन जागरण और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे विश्व योग दिवस के रूप में मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित कराना ऐतिहासिक कदम है । इसके बाद 1915 से योग के क्षेत्र में लोग काफी जागरूक हुए । शहरो की ही नहीं, गावों में अब लोग किसी मैदान या पार्क में सुबह-सुबह योग करते देखे जा सकते हैं। सिर्फ जागरूकता के कारण ही नहीं, योग करने से लोगों को असीमित लाभ हुआ। रोगों से छुटकारा से लेकर उनका मन मस्तिष्क भी स्वस्थ होने लगे। पारिवारिक वातावरण मधुर बनने लगा। इस कारण इसके प्रति लोगों का झुकाव निरंतर बढ़ता गया। लेकिन जबसे कोरेना आया है, तबसे तो योग का महत्त्व और बढ़ गया। और लोग अपने-अपने घरों की चहरदीवारी के अंदर नियमित रूप से योग करते हुए देखे जा सकते हैं । कोविड – 19 वायरस सबसे पहले हमारे श्वसन तंत्र पर हमला करता है । जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। और संक्रमित मरीज को ऐसा प्रतीत होता है कि उसके प्राण अब निकले, तब निकले । योग, आसान और प्राणायाम के अलावा नेचरोपैथी के कुछ ऐसे उपचारों को भी अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है, जिससे उसका सम्पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके । नेचरोपैथी के अनुसार गरम और ठंडे जल से स्नान के साथ जल नेति की क्रिया को भी अपनाना जरूरी है । इसलिए कोरेना संक्रमण से बचने के लिए विश्व के प्रत्येक नागरिक को जल नेति की क्रिया अवश्य करना चाहिए। अगर गाय का घी हो, तो घी नेति करेंगे तो और अधिक फायदा होगा। अगर गाय का घी नहीं मौजूद है, तो जल नेति क्रिया बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। लेकिन सोते समय दो – दो बूंद गाय का घी नाक में डाल लेना चाहिए। इससे श्वसन तंत्र को स्वस्थ और असंक्रमित रखने में बहुत मदद मिलेगी। जल नेति क्रिया या गाय का घी डालने की क्रिया किसी विशेषज्ञ की देख रेख में ही करना चाहिए । यह क्रिया करने से कोरेना वायरस नाक से ही बाहर निकल जाता है। और वह गले और फेफड़े तक नहीं पहुँच पाता है । लेकिन कोरेना संक्रमण से निजात पाने के लिए हल्के गुनगुने पानी में थोड़ी सी फिटकरी डाल देना चाहिए। जिससे नाक में स्थित सभी वायरस और बैक्टीरिया का सफाया किया जा सके । लेकिन यह ध्यान रहे कि फिटकरी की मात्रा बहुत थोड़ी हो । नहीं तो नाक और मुंह में जलन होगी । जल नेति क्रिया करते समय निम्न लिखित सावधानियाँ बरतना जरूरी है -

1. यह क्रिया किसी अनुभवी व्यक्ति के दिशा-निर्देशन और उपस्थिति में ही करना चाहिए । नहीं तो दिक्कत हो सकती है ।

2. पैर के बल बैठकर, खड़े होकर इस क्रिया को किया जा सकता हैं।

3. यह क्रिया करते समय आँख बंद रखना चाहिए। नहीं तो आँख से आँसू निकलने लगते हैं ।

4. जल नेति करते समय सांस को रोक कर रखना चाहिए। नहीं तो पानी अन्य अंगों में जा सकता है ।

5. शरीर को वक्रीय रखें। जिससे पानी आसानी से जाये और निकल सके ।

6. शुरुआती दौर में इसका प्रयोग अत्यंत सावधानी और धीरे-धीरे करना चाहिए ।

इसके बाद योग और प्राणायाम का क्रम आता है। जल नेति क्रिया करने के बाद 15 मिनट बाद ही योग शुरू करना चाहिए । शरीर को वार्म अप करने के लिए शुरू में हाथ पैर और शरीर के विभिन्न अंगों को हिलाने डुलाने वाले सामान्य कसरत करना चाइहिए। इसके बाद उन योग को करना चाहिए । जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उपयोगी होते हैं । कोरेना की प्रकृति, लक्षण और उनके आक्रमण क्षेत्र का अध्ययन करने के बाद चार ऐसे प्राणायाम और योग निकल कर आए, जो कोरेना संक्रमण को रोकने या संक्रमित व्यक्ति को स्वस्थ करने के लिए आवश्यक हैं । वे इस प्रकार हैं - कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका और भ्रामरी प्राणायाम ।

1. कपालभाति: कपाल भांति एक ऐसा प्राणायाम है, जो शरीर के सभी अंगों के लिए उपयोगी है। लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव फेफड़े और पेट पर पड़ता है। यह पेट और फेफड़े की समस्त बीमारिया दूर करने के लावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। लेकिन अगर कोरेना से संक्रमित व्यक्ति का ब्लड प्रेशर हाई हो, तो उसे बहुत ही साधनी पूर्वक धीरे-धीरे इसका अभ्यास करना चाहिए । कोरेना संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 15 मिनट और स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 10 मिनट जरूर करना चाहिए ।

2. अनुलोम-विलोम: अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर को शुद्ध बनाने, ऊर्जावान बनाने का काम करता है। यह शरीर के आंतरिक अंगों के साथ फेफड़े को शुद्ध करता है और सम्पूर्ण श्वसन तंत्र को क्रियाशील बनाता है । इसे भी कोरेना संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 15 मिनट और स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 10 मिनट जरूर करना चाहिए ।

3. भस्त्रिका: कोरेना संक्रमित व्यक्ति या स्वस्थ व्यक्ति के शरीर को स्वस्थ रखने और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एक आवश्यक प्राणायाम है । इसे करने के लिए सबसे पहले पदमासन में बैठ जाएँ। अगर नहीं बैठ पाएँ तो ऐसी स्थिति में बैठ जाएँ, जो सुखद हो । यह आँख, नाक कान आदि को स्वस्थ और मजबूत बनानते हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है। और जो भी संक्रमण हो उसे रोकने और ठीक करने में सहायक होती है । इसे भी कोरेना संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 15 मिनट और स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 10 मिनट जरूर करना चाहिए ।

4. भ्रामरी: कोरेना संक्रमण काल मे यह पाया जा रहा है कि इसके भय से संक्रमित और स्वस्थ दोनों प्रकार के लोग डिप्रेशन के शिकार हो गए हैं। जिसकी वजह से उनके मन में एक चिंता बनी हुई है। नौकरी या बिजनेस भी प्रभावित होने के कारण लोग डिप्रेशन के शिकार हो गए हैं । इससे निकालने के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही उपयोगी है। इसे भी कोरेना संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 10 मिनट और स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 5 मिनट जरूर करना चाहिए ।

इन चार प्राणायामों के पश्चात आइये ऐसे योग और आसनों की भी परिचर्चा कर लें, जो कोरेना संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी हैं। इन्हें करने से कोरेना संक्रमित व्यक्ति को राहत मिलती है। ये आठ योगासन इस प्रकार हैं - शीर्षासन, सर्वांगासन, चक्रासन, कान्द्रासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, मयूरासन और व्याघ्रासन।

इन आसनों को भी किसी दक्ष और अनुभवी आचार्य के निर्देशन में ही करना चाहिए । शुरू-शुरू में तो यह बहुत जरूरी है। जब सहज रूप से करने लग जाएँ, तो फिर अकेले कर सकते हैं । भारत में जो बहुत ही धीमी गति से कोरेना संक्रमण फ़ैल रहा है, उसमें प्राणायाम और योगासनों का बहुत बड़ा योगदान है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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