प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का थ्री नॉट थ्री से चीन पर प्रहार के मायने

Update: 2020-06-19 08:07 GMT


भारतीय और चीन की सेना के बीच लद्दाख के गलवान घाटी में हुए संघर्ष, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे, के बाद भारत सरकार, सेना, व्यापारियों और यहाँ की आम जनता द्वारा चीन को सबक सिखाने की चर्चा ज़ोरों पर है । जहां एक ओर देश के रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री ने देश की सेना के तीनों अध्यक्षों के साथ विचार – विमर्श करके सेना को सीमा पर हालात के अनुसार निर्णय लेने और उसे क्रियान्वित करने की छूट दी है । वहीं दूसरी ओर देश के व्यापारियों और आम जनता ने भी यह निर्णय लिया है कि भले ही उन्हें अभावों में जीना पड़े, भले ही उन्हें महंगा समान खरीदना पड़े, लेकिन अब वे चीन का समान न तो खरीदेंगे और न ही उसका इस्तेमाल करेंगे । कोलकाता के आयातकों ने चीन से आयात फिलहाल रोक दिया है। भारत से चीन से बड़ी मात्रा में सामान आयात करता था। कोलकाता के बन्दरगाह पर जितने मालवाहक जहाज आते हैं, उसमें करीब 20 प्रतिशत अकेले चीन के होते हैं । इसके अलावा भारत से चीन को चाय का निर्यात किया जाता था। लेकिन चाय बागान के मालिकों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमाओं और जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि मानते हुए चाय निर्यात न करने का निर्णय लिया है । सभी ने माना कि व्यापार राष्ट्रहित से ऊपर नहीं हो सकता। इसके अलावा पूरे भारत के खुदरा व्यापारियों ने चीनी सामान का बहिष्कार किया है । उसमें से अधिकांश लोगो ने यह संकल्प लिया है कि वे न तो चीनी सामान बेचेंगे और न ही खरीदेंगे ।

दूसरी ओर केंद्र सरकार ने भी देश में 4जी के क्रियान्वयन के लिए इस्तेमाल होने वाले चीनी उपकरणों पर रोक लगा दी है। रोक के लिए सरकार ने संचार विभाग और सरकारी टेलीकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल को दिये अपने निर्देश में साफ कहा है कि चीन के उपकरणों पर निर्भरता कम की जाए । । इसके अलावा सरकार ने निजी कंपनियों के ऑपरेटरों को भी ऐसा करने का सख्त निर्देश दिया है।

भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के करीब 36 घंटे बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 मिनट 12 सेकंड में करीब 303 (थ्री नॉट थ्री) शब्दों देश की जनता को संबोधित किया । उन्होने कहा कि हम उकसाने पर उचित जवाब देना जानते हैं। हर मौके पर हमने अपनी अखंडता और संप्रभुता के लिए अपने शौर्य का प्रदर्शन किया है। हमने हमेशा वक्तस पड़ने पर अपनी क्षमताओं को साबित किया है। त्याग हमारे राष्ट्रीय चरित्र का हिस्सा है। साथ ही वीरता भी हमारे चरित्र का हिस्सा है। मैं देश को यकीन दिलाता हूं कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। भारत माता के वीर सपूतों के विषय में देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मातृभूमि के लिए शहीद हुए हैं। हालांकि देश की जनता उनका संबोधन सुनने के लिए अधीर थी। सेना के जवानों के बलिदान के बाद भारत का हर एक नागरिक यह जानना चाहता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बारे में क्या विचार हैं ? उसके लिए देर तो हुई, लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बोधन के बाद देश की जनता शांत हुई । आइये उन बिन्दुओं पर विचार करते हैं, जिन शाब्दिक बिन्दुओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की भावनाओं को शांत किया और उन्हीं शब्दों से चीन को खुली चेतावनी भी दी ।

1. जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया कि देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए धोखेबाज चीन की ओर जिस तरह संघर्ष करते हुए देश के 20 जवान शहीद हुए हैं, उन जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। इसका सीधा अर्थ है कि देश के प्रधानमंत्री की मंशा साफ है। वे हर हाल में भारत चीन सीमा का जो विवाद है, उसका समाधान चाहते हैं। उसके लिए चाहे जिस स्तर तक जाना पड़े । वे एक आम आदमी की तरह से सिर्फ इतना ही नहीं सोचते हैं कि एक सर्जिकल स्ट्राइक करके सिर्फ जवानों की मौत का बदला ले लिया जाए। बल्कि जिस हेतु के लिए हमारे देश के 20 जवान शहीद हुए हैं, वह हेतु भी पूरा होना चाहिए । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस संबोधन में दोनों प्रकार गरम और नरम दल दोनों को समाधान दिया है । इससे जहां देश की जनता का चित्त शांत हुआ है, वहीं दूसरी ओर सेना का मनोबल भी बढ़ा है । यही नहीं, इस घटना के बाद सेना अधिकारियों ने वहाँ पर पर्याप्त संख्या में जवानों को भेजने का काम भी शुरू कर दिया ।

2. अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च – मुख्यमंत्रियों की बैठक में राशहतर को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साफ कर दिया कि उनके लिए देश की अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है । किसी भी हालत में उसके साथ वे सम्झौता नहीं करने वाले हैं । उनके मन में भारत की तस्वीर अखंड है। वे भारत के नक्शे में जरा सा भी बदलाव के पक्षधर नहीं हैं। बल्कि आजादी के समय भारत की सीमा जैसी थी, उसी रूप में उसे बनाए रखने के लिए संकल्पित हैं । इसके साथ ही वे भारत की संप्रभुता से भी किसी प्रकार का सम्झौता नहीं करने वाले हैं। इसी कारण अपने सम्बोधन में उन्होने इस विशेष संदर्भ में अर्थपूर्ण शब्द का उपयोग किया है । इससे यह साफ हो गया कि चाहे व्यापार की बात हो, या एक बड़े और सशक्त राष्ट्र की बात हो, भारत पाने पक्ष पर अडिग है । उसे बनाए रखने के लिए चाहे जितनी कुर्बानी देना पड़े, तो दी जाएगी और चाहे जितना कष्ट सहना पड़े, तो सहा जाएगा ।

3. सीमा सुरक्षा सर्वोपरि - देश की सुरक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता। इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये शब्द नहीं, ऐसे वाण हैं, जिसे चला कर उन्होने चीन को खुले शब्दों में चेतावनी दे दी कि हम अपने देश और उसकी सीमाओं से किसी प्रकार का सम्झौता करने वाले नहीं हैं। चीन या उसके समर्थक देशों को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि वे सशक्त हैं, तो भारत झुक जाएगा। भारत अपनी सीमा की सुरक्षा करना जानता है। भारत चीन को भी अपने जैसा मानने की भूल कर बैठा, इसी कारण देश के 20 सैनिकों को शहादत देनी पड़ी। इससे भारत को यह भी सबक मिल गया कि 45 साल बाद भी चीन की दोगलेबाजी और धोखेबाज़ी की प्रवृत्ति बरकरार है । और धोखेबाजों को कैसे सबक सिखाया जाता है, यह हुनर भारत बखूबी जानता है ।

4. शांतप्रिय भारत – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कह कर अपनी मंशा जता दी कि भारत शांति चाहता है । भारत की छवि भी विश्व के सभी देशों और नागरिकों में एक शांतिप्रिय देश की रही है । उसने कभी भी किसी पर अपनी तरफ से आक्रमण नहीं किया। कभी भी अपनी सीमाओं को बढ़ाने के लिए कुत्सित प्रयास नहीं किया। कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे वैश्विक शांति को क्षति पहुंचे । इस दुष्कर स्थिति में भी वह अपने इस चरित्र को बचाए रखने का पूरा प्रयत्न कर रहा है ।

5. यथोचित जवाब देने में सक्षम – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साफ कर दिया कि चीन को किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए । अगर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो भारत उसे यथोचित जवाब देगा । इसी कारण उन्होने कहा कि भारत उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम में है।

6. शहीद जवानों पर गर्व – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे दिवंगत शहीद वीर जवानों के विषय में देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मरे हैं। उन्होने देश के सैनिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि निहत्थे होने के बावजूद वे लगातार डंडे, राडों, कटीलों तारों से लैस चीनी सैनिकों से संघर्ष करते रहे । और जब तक वे संघर्ष कर सकते थे। जब तक उनके शरीर में प्राण रहा, वे संघर्ष करते रहे। भारत उनके शौर्य पर गर्व करता है ।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस संयत भाषा और चुटीले शब्दों का उपयोग किया है, उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है । अपने थ्री नॉट थ्री शब्दों के सम्बोधन से उन्होने यह साफ कर दिया कि भारत चौरतरफा लड़ाई के बावजूद भी अपना आपा नहीं खोने वाला है। एक तरफ वह जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकवादियों से लड़ रहा है, दूसरी तरफ वह कोरेना संक्रमण से देश के नागरिकों सुरक्षित रखने और इलाज करने के लिए नित्य नए इंतजाम कर रहा है । तीसरी ओर अपने सबसे विश्वस्त और निकटस्थ देश नेपाल से भी सीमा विवाद सुलझाने की जद्दोजहद कर रहा है । चौथी ओर वह चीन जैसे धोखेबाज के साथ बातचीत के साथ – साथ सीमा पर भी एक छद्म युद्ध लड़ रहा है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बोधन के बाद स्थिति काफी साफ हो गई है। इसके बाद चीन ने भारत को घुड़की भी दी है कि अगर भारत नहीं माना, तो पाकिस्तान और नेपाल दोनों अपनी सीमाओं से हमला करेंगे । लेकिन भारत, भारत है, वह किसी की गीदड़ भभकियों से डरने वाला नहीं है। बल्कि मुक़ाबला करने में विश्वास रखता है। वह अपने इन चारो दुश्मनों को शिकस्त देने में कामयाब होगा । देश की जनता और समस्त विपक्षी दल देश के प्रधानमंत्री के इस निर्णय में उनके साथ खड़े हैं और हर हाल में वे भारत का विजयी स्वरूप देखना चाहते हैं ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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