2022 का विधानसभा चुनाव और अखिलेश की रणनीति – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव
2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों की आहट उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में सुनाई और दिखाई पड़ने लगी है । उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज योगी सरकार जहां अपनी सत्ता को फिर से बरकरार रखने के लिए चुनाव के दृष्टि से अपने कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी अपनी तैयारियों में जुट गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर होम वर्क करना शुरू कर दिया है । एक ओर जहां वे प्रदेश सरकार की एक – एक गलतियों की फेहरिश्त तैयार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जनता की उल्लेखनीय सेवा करके अपने प्रति जनता के दिलों में घर बनाने का भी काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में दूसरे राजनीतिक दल अभी जहां आक्रामक मुद्रा में नहीं हैं, अखिलेश यादव काफी आक्रामक मुद्रा में दिख रहे हैं। लॉक डाउन के दौरान ट्वीटर से ही सही, वे लगातार जमीनी मुद्दे उठाते रहे हैं ।
लेकिन अभी भी समाजवादी पार्टी में दो तरह के लोग दिखाई पड़ रहे हैं। जमीन पर कोई आंदोलन न करने की वजह से क्रांतिकारी टाइप के समाजवादी नेता अखिलेश यादव से रुष्ट हैं, इस कारण वे अखिलेश यादव पर तीखे से तीखा कटाक्ष करने से नहीं चूकते हैं। लेकिन एक वर्ग ऐसा है, जो अखिलेश को करीब से जानता है, उनमें श्रद्धा रखता है। उसे लगता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा जो भी किया जा रहा है, वह उचित है। कोरेना महामारी जिस तरह से अपना प्रसार कर रही है, उससे तो यह बात सही साबित हो रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को बड़ी सभा करने की अनुमति ही नहीं मिलेगी। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों के पास एक ही चारा बचता है कि वे सोशल मीडिया का सहारा लें और जनता के बीच में गए बगैर अपना घोषणा पत्र उनके सामने रखें और दूसरे दलों की नाकामियो को जनता के बीच उजागर करें । अभी तो चुनाव दूर है, उसकी सही और साफ तस्वीर तो नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा जिस प्रकार की भाषणबाजी की जा रही है, जिस प्रकार से विचार प्रकट किए जा रहे हैं और जो कार्य शैली अपनाई जा रही है, उससे एक बात तो तय है कि सभी राजनीतिक दलों ने देश में सबसे महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं । आइये विचार करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तैयारियों का बिन्दुवार वर्णन करते हैं।
1. लॉक डाउन के बीच कार्यकर्ताओं/नेताओं को सेवा कार्य में लगाना – कोरेना महामारी और लॉक डाउन के दौरान सिर्फ सरकार और सरकार ही न दिखाई दे, और विषम परिस्थितियों में भी समाजवादी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति जनता के बीच बनी रहे, इस दूरदृष्टि के आधार पर ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को गरीबों, मजदूरों की सेवा करने को कहा । उनके इस निर्देश का उनके कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अक्षरश: पालन किया। अपनी हैसियत से अधिक खर्च करके जनता की सेवा की। हालांकि इसका प्रचार – प्रसार नहीं हुआ। लेकिन उनकी उपस्थिति जनता के बीच बनी रही ।
2. बुजुर्ग नेताओं को सम्मान देना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इधर प्रदेश के सभी बुजुर्ग नेताओं को सम्मान देना शुरू किया है। इस समय अगर वे युवा सपा नेताओं से बात करते हैं, तो उस पर उस जिले के बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं से भी चर्चा जरूर करते हैं। इसी कारण पार्टी के सभी बुजुर्ग नेता जो निराश हो गए थे, एक बार फिर अपनी पूरी ऊर्जा के साथ सक्रिय होते दिखाई पड़ रहे हैं।
3. पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इसे दूरदृष्टि ही कहा जाएगा कि विधानसभा चुनाव से पहले वे ग्राम, पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत पर अपनी उल्लेखनीय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। इसी कारण कोरेना महामारी के पूर्व से ही उनके इशारे पर इच्छुक सपा कार्यकर्ताओ और नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी थी। कोरेना महामारी के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे ही सपा कार्यकर्ताओं ने उल्लेखनीय सेवा कार्य किए । उनके इस सेवा कार्य से जहां उनके नाम की चर्चा हुई, वहीं वे पंचायत चुनाव पूर्व ही एक-एक घर पहुँचने में भी सफल हुए। सभी से मिलने और विचार-विमर्श करने में भी सफल हुए । जिससे कुछ समय बात उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव जीतने और जीत के लिए रणनीति बनाने में सहूलियत होगी ।
4. कोरेना महामारी के मृतक परिजनों की आर्थिक मदद करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की लॉक डाउन और कोरेना महामारी के दौरान दुर्घटनाओं या भूख से मारे गए मृतक आश्रितों की एक-एक लाख रुपये देकर सहायता की । साथ ही सरकार को भी आर्थिक मदद देने के लिए विवश किया। जिसकी वजह से लॉक डाउन के दौरान भी समाजवादी पार्टी की चर्चा जुबान पर बनी रही ।
5. विधानसभावार कार्यकर्ताओं/नेताओं से बातचीत करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लॉक डाउन के दौरान विधानसभावार ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार करवाई, जो जनता के बीच में रहते हैं, पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं और निरंतर जनता से संवाद करते रहते हैं। पिछले चार दिनों से वे लगातार ऐसे नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। उनका यह भी कदम पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है ।
6. अपने जिला अध्यक्षों और संगठन को सम्मान देना – इधर यह देखने में आया है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इधर जितने भी कदम उठा रहे हैं, उसमें किसी न किसी रूप में सपा जिला अध्यक्ष और संगठन को जरूर भागीदार बना रहे हैं। हर जिले में जितनी भी सहायता राशि भेजी गई है, सभी सपा जिला अध्यक्षों के खाते में भेजी गई है। और यह निर्देश दिया गया है कि सपा जिला अध्यक्ष पीड़ित परिजन के घर जाकर उक्त राशि राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से प्रदान करते हुए संवेदना व्यक्त करें ।
7. शिवपाल सिंह की विधायकी निरस्त करने का आवेदन वापस लेना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि अगर शिवपाल सिंह की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से तालमेल नहीं बैठाया गया, तो आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस संबंध में उनकी गहन चर्चा समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ भी हुई और उन्हीं के निर्देश पर उन्होने शिवपाल सिंह की विधायकी निरस्त करने का जो आवेदन दिया गया था, उसे वापस ले लिया गया। मीडिया पर एक सवाल का जवाब देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे खुद भी स्वीकार किया । साथ में उन्होने ने यह भी कहा कि जसवंतनगर की विधानसीट उनके लिए छोड़ दी है ।
8. छोटे दलों के साथ सीटों का समन्वय – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले चुनाव में की गई गलतियों से बहुत कुछ सीखा है, इस करना इस बार वे सभी छोटे दलों के साथ सीटों का तालमेल करके चुनाव लड़ना चाहते हैं। वे जानते हैं कि कुछ छोटे दल ऐसे हैं, जिनका क्षेत्र विशेष में व्यापक प्रभाव है। उनके इस निर्णय से राजनीतिक लाभ होना सुनिश्चित है ।
9. कांग्रेस और बसपा सहित किसी भी दल से गठबंधन न करने की घोषणा करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दो चुनावों में गठबंधन करके देख लिया। समाजवादी पार्टी का वोट बैंक तो उनके उम्मीदवारों को ट्रांसफर हो गया। लेकिन उनका वोट समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को नहीं हुआ। जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी को अपेक्षाओं के अनुरूप परिणाम नहीं मिला। इसी कारण उन्होने समय से पूर्व ही इस बात की घोषणा कर दी, जिससे नेता, कार्यकर्ता और मतदाता किसी असमंजस में न रहें । सभी अपनी पूरी ऊर्जा के साथ पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक की तैयारियों में जुटें ।
10. विपक्ष पर हमलावर होना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह मानना है कि विपक्षी जितनी राजनीतिक भूलें करेगा, प्रदेश की जनता उनसे उतना ही रूष्ट होगी । जिसका सीधा फायदा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा । इसी कारण वे विपक्ष पर लगातार हमलावर बने रहते हैं। ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। जिसकी बानगी लॉक डाउन और प्रवासी मजदूरों के अपने गाँव वापस लौटते समय देखा गया। प्रदेश सरकार के पास 70 हजार से अधिक बसे होने के बावजूद भी प्रवासी मजदूरों का पैदल चलना, उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था न करना, राशन वितरण की अनुचित व्यवस्था, पुलिस द्वारा उन्हें मारना-पीटना, दुर्घटनाएं और उनको उचित मुवाबजा देना, समाजवादी पार्टी पर सेवा कार्य करते समय मुकदमे दर्ज करना जैसे मुद्दों पर उन्होने उत्तर प्रदेश सरकार को घेरा और मुख्यमंत्री पर सवाल उठाए ।
11. रोजगार और राशन वितरण की व्यवस्था का सवाल उठाना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि बिना किसी ठोस नीति के प्रवासी मजदूरों और यहाँ रह रहे गरीबों को रोजगार नहीं दिया जा सकता है। इसी कारण उन्होने प्रवासी मजदूरों के रोजगार और कोई गरीब भूख से न मरे, इसको मुद्दा बना लिया है । बाराबंकी में भूख के कारण हुई मौत पर उन्होने सरकार को घेरा और उनकी राशन वितरण प्रणाली पर सवाल उठाया है ।
12. विशेषज्ञों से बात करना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार चुनावी रणनीति के विशेषज्ञों से भी संपर्क में हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उनसे वे लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं, और जहां जमीनी कार्यकर्ताओं, नेताओं और विशेषज्ञों तीनों की बातें साम्य होती है, उसे वे लागू कर लेते हैं ।
13. केंद्र की राजनीति से साफ इंकार – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जनता के बीच में किसी भी प्रकार की गफलत नहीं पैदा होने देना चाहते हैं । इस कारण जब-जब केंद्र की राजनीति की चर्चा होती है, वे बड़े ही साफ़गोई से इंकार कर देते हैं । इसके साथ ही इस समय वे देश के प्रधानमंत्री पर हमला करने के बजाय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर ही अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर रहे हैं ।
14. जनता के बराबर संपर्क में रहने वाले को टिकट – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर ऐसे लोगों के नामों की लिस्ट तैयार करा रहे हैं, जिनकी छवि ठीक हो, जो लगातार जनता के बीच में हों, पार्टी के वोट बैंक के अलावा उनके पास अपना व्यक्तिगत वोट बैंक भी हो, विपरीत परिस्थितियों के बाद भी जिनकी पार्टीगत निष्ठा बनी हुई है, और जो पार्टी के आदेशों के पालनर्थ सदैव तत्पर रहे हों ।
इसके अलावा उन्होने विधानसभा चुनाव – 2022 में जीत के लिए लगातार गोपनीय रणनीति पर भी काम कर रहे हैं । लेकिन अभी किसी भी रणनीति का खुलासा करने और विधानसभा चुनाव दूर है, कह पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं । लेकिन एक बात तो तय है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव 'करो या मरो' की रणनीति पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट