स्पीकअप इंडिया और डिजिटल इंडिया द्वारा कांग्रेस और भाजपा में राजनीतिक घमासान – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव
इस समय पूरा विश्व कोरेना संकट के बीच अपनी समस्त गतिविधियों को संचालित करने के लिए नए – नए तरीके पर विचार कर रहा है। जहां एक ओर हर देश अपनी समस्त आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए अलग – अलग तरीके अपना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजनेता और राजनीतिक दल इस जुगत में हैं कि राजनीतिक गतिविधियां कैसे संचालित हों। जिससे उनकी उपयोगिता और वर्चस्व बना रहे । देश की दो बड़ी पार्टियों ने अपना रास्ता निकाल लिया । एक ओर जहां सत्तारूढ़ दल भाजपा मोदी सरकार के एक वर्ष पूरे होने के पश्चात डिजिटल इंडिया के नाम से कॅम्पेन चलाने जा रही है। एक हजार से अधिक डिजिटल सभाएं करके अपनी उपलब्धियों और कार्यों से जनता को परिचित कराने जा रही है। साथ ही कोरेना संकट से जनता को कैसे मदद की जा रही है। इन सभी का उल्लेख करने जा रही है। लेकिन जैसे ही इसकी सूचना प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को लगी। उसने स्पीक अप इंडिया के नाम से कॅम्पेन शुरू कर दिया । इस कॅम्पेन को शुरू करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि देश के गरीबों, मज़लूमों, मजबूरों के लिए मोदी सरकार को अपना खजाना खोलना चाहिए । ऐसे हर एक व्यक्ति के खाते में कम से कम 10 हजार रुपये डालना चाहिए ।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने स्पीक अप इंडिया के तहत कोरेना महामारी से त्रस्त छोटे उद्योगपतियों और खुदरा व्यापारियों का मुद्दा उठाया । उन्होने कहा कि लॉक डाउन के दौरान सभी काम धंधे बंद हैं। कल कारखानों में ताला लगे हुए हैं । इसमें काम करने वाले लोग भी बेरोजगार हो गए हैं । इस प्रकार के हालात पूरे देश में हैं। इसी कारण प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर पलायन करने को मजबूर हुए हैं । जब कोई भी आपदा देश पर आती है, तो उसका सबसे अधिक प्रभाव गरीब जनता पर पड़ता है। अगर हम सरकारी आकड़ों की बात करें तो भारत में कम से कम 81 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं । लॉक डाउन की वजह से उनकी रोजी रोटी के लिए किए जाने वाले हर कार्य ठप्प पड़ गए हैं। इस कारण वे सभी बेरोजगार हो गए है । दो महीने से चल रहे लॉक डाउन की वजह उसके पास जो थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी, वह भी समाप्त हो गई है । ऐसे समय पर जो लोग उसे उधार दे दिया करते थे, उन लोगों ने भी हाथ ऊंचे कर दिये हैं । कांग्रेस ने कहा कि गरीबों की इस स्थिति से सरकार को अवगत कराने के लिए स्पीक अप इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई है ।
अपने स्पीक अप इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से कांग्रेस ने यह मांग की कि प्रवासियों को बिना किराया लिए सरकार सरकार उनके घर तक पहुंचाए। इसके साथ ही हर गरीब परिवार को 6 महीने तक 7 हजार 500 रुपए सीधे उसके खाते में डाले जाएँ । लेकिन 0 हजार रुपये की मदद उन्हें तुरंत दिया जाए । जो छोटे उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। उन्हें आर्थिक मदद दी जाए । साथ ही ग्रामीण मजदूरों के हितार्थ मनरेगा रोजगार गारंटी बढ़ाकर की अवधि बढ़ा कर 200 दिन कर दिया जाए ।
कांग्रेस के अनुसार अपने स्पीक अप इंडिया कार्यक्रम के तहत वह करीब 50 लाख लोगों तक पहुंची है। इस कार्यक्रम को चलाने के लिए कांग्रेस ने व्यापक स्तर पर तैयारी की थी।
इस कार्यक्रम के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने भी व्यापक स्तर पर अपनी तैयारी करना प्रारम्भ कर दिया । उसके सामने अपने डिजिटल इंडिया के अंतर्गत दो तरह की चुनौतियाँ हैं। पहली उसे कोरेना संक्रमण काल और लॉक डाउन के दौरान वह देश के मजदूरों, मज़लूमों और गरीबों के लिए क्या क्या कार्यक्रम चला रही है। इसका व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करना है । वहीं दूसरी ओर उसे कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को उनके द्वारा किए जा रहे हमले का जवाब भी देना है । अपने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत वह कल से करने जा रही है ।
उसकी तैयारियों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि वह डिजिटल इंडिया के माध्यम से राजनीति करने की तैयारी वह पिछले कई वर्षों से कर रही हो ।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी राष्ट्रीय, प्रादेशिक और जिला स्तरीय कार्यालयों को डिजिटल सुविधा से लैस है । जहां से बैठ कर वह पाने प्रचार कार्यक्रम का संचालन करेगी । इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी और सत्तारूढ़ सरकारें यह अच्छी तरह जानती हैं कि कोरेना संकट की वजह से जमीनी राजनीति करने का अब समय नहीं है। इसके साथ ही साथ आज हर आदमी के हाथ में एंड्रयड फोन पहुँच गया है । जिसके पास एंड्रयड फोन है, उसने नेट सुविधा भी खरीद रखी है। इस प्रकार के कॅम्पेन चलाने के लिए इन्हीं दो सुविधाओं की जरूरत होती है ।
जिसकी शुरुआत सबसे पहले आज कांग्रेस ने अपने स्पीकअप इंडिया कान्वेंशिंग के रूप में कर दिया । इस प्रकार के चुनाव प्रचार में कल केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सरकार और भारतीय जनता पार्टी करने जा रही है । इसके लिए उसने मोदी सरकार की दूसरी बरसी की शुरुआत के दिन को चुना है । इस कार्यक्रम के तहत भारतीय जनता पार्टी मोदी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए देशभर में वर्चुअल रैली और प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी। मोदी ने पिछले साल 30 मई को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। प्राप्त सूचना के आधार पर मोदी सरकार और भाजपा मिल कर सभी बड़े राज्यों की इकाइयां कम से कम 2 और छोटे राज्यों की इकाइयां कम से कम एक वर्चुअल रैली करेंगी। हर रैली में कम से कम 750 लोग शामिल करने की कोशिश की जा रही है । देशभर में 1000 से ज्यादा ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को मिलाकर 150 से ज्यादा नेता कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी फेसबुक लाइव से भाषण देंगे। मोदी सरकार ने इस कार्यक्रम की तैयारियों में इस बात की पूरी तैयारी की है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा सके। इस प्रकार का समारोह एक महीने तक चलाने का कार्यक्रम बनाया जा रहा है । मोदी सरकार प्रचार के रूप में जहां एक ओर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर हमलावर दिखेगी । वहीं दूसरी ओर अपनी उपलब्धियों से जनता के दिल में घर बनाने की कोशिश करेगी। प्राप्त सूचना के अनुसार भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार ने इस कान्फ्रेंसिंग में लॉक डाउन के दौरान किए गए अपने राहत कार्यों का प्रमुखता के साथ उल्लेख करेगी । साथ ही आर्टिकल 370, तीन तलाक, राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में भी अपना विचार प्रमुखता के साथ जनता के सामने रखेगी।
कांग्रेस द्वारा स्पीकअप इंडिया द्वारा उसे जो घेरने का प्रयास किया गया। इसके बाद से एक घायल राजनीतिक दल की तरह से भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार अपने तरकश के सारे तीरों का इस्तेमाल करेगी, जिससे कांग्रेस को जनता की नजरों में गिराया जा सके और जनता के दिलों में घर बनाया जा सके ।
भारतीय जनता पार्टी इसकी अपने इस कार्यक्रम की तैयारियां तीन स्तरो पर कर रही है। एक राजनीतिक दल के रूप में, सत्तारूढ़ सरकार के रूप में और एक सामाजिक संगठन के रूप में । सामाजिक संगठन की भूमिका मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ निभा रहा है। इस बात को तो सभी स्वीकार करते हैं कि इस समय देश में सबसे सशक्त सङ्ग्थ्नोन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक की गिनती होती है ।
कांग्रेस द्वारा स्पीकअप इंडिया प्रोग्राम करने के पश्चात एक गोपनीय मीटिंग करके सभी लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारियाँ दे दी गई हैं। भाजपा, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार सभी युद्ध स्तर पर इसकी तैयारियों में जुट गए है । इससे एक बात साफ है कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को सोशल मीडिया पर किए गए प्रचार में उसे पीछे छोडना चाहती है ।
लॉक डाउन और कोरेना संकट की वजह से भारतीय राजनीतिक का जो तरीका बदला है, उससे सोशल मीडिया और महत्त्वपूर्ण तो होने ही जा रहा है। सोशल मीडिया पर होने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थकों के बीच अब लड़ाई और पैनी होने वाली है। एक बात तो निश्चित ही है कि अभी तक एक व्यक्ति या कुछ समर्थकों का समूह परिचर्चा में भाग लेता था। लेकिन अब इस प्रकार की परिचर्चा में सिर्फ व्यक्ति या समर्थक ही भाग नहीं लेंगे, बल्कि पार्टियों की ओर से उन्हें पूरा समर्थन और प्रमाण भी दिये जाएंगे। इससे जनता के समक्ष सभी राजनीतिक दलों की सही तस्वीर उभर कर आएगी।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट