खांसी – जुकाम के लक्षण और उसका नेचरोपैथी इलाज – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
यह विषाणु जनित एक सामान्य रोग है। जिससे हर कोई कभी न कभी पीड़ित होता ही है । जुकाम भी लगभग 200 अलग – अलग प्रकार के विषाणुओं से होता है। अधिकांश केसों में इसके लिए राईनो नामक वायरस जिम्मेदार होता है । इस समय जो कोरेना फैला हुआ है। वह भी इसी वर्ग का एक खतरनाक वायरस है। जिससे मनुष्य की मौत भी हो जाती है। जब हम एलोपैथी की बात करते हैं, तो साधारण जुकाम से लेकर कोरेना जनित जुकाम के लिए कोई वैक्सीन नहीं है ।
लेकिन आम जनता में यह गलत धारणा बनी हुई है कि भीगने या गीले होने की वजह से जुकाम हो जाता है। जबकि यह पूरा सच नहीं है । जबकि पूरा सच यह है कि जुकाम का वायरस तनावग्रस्त, नाक या गले में एलर्जी से पीड़ित और थकानग्रस्त को अपना शिकार बनाता है । खांसी – जुकाम के लिए एक विशेष प्रकार के वायरस का वायरस उत्तरदायी होता है। प्रकृति में जिसके करीब 200 प्रकार पाये जाते हैं। आमतौर पर जो जुकाम लोगों को होता है, उसके लिए राइनो नामक वायरस जिम्मेदार होता है। कोरेना वायरस भी इसी परिवार का एक सदस्य है । श्वसन नली में वायरस का इन्फेक्शन होने की वजह से नाक, गला, श्वसन नलिकाए, कान फेफड़े प्रभावित होते हैं । खांसी और जुकाम के निम्नलिखित लक्षण हैं -
प्रमुख लक्षण
1. नाक में खुश्की : खांसी – जुकाम का सबसे अधिक प्रभाव नाक पर ही पड़ता है। जो श्वसन तंत्र का एक प्रमुख अवयव है । वायरस के संक्रमण की वजह से नाक खुश्क हो जाती है ।
2. बार-बार छींक आना : श्वसन नली में इन्फेक्शन और सांस लेने में अवरोध उत्पन्न होने के कारण पीड़ित व्यक्ति को बार-बार छींक आती है। जिसकी वज़ह से वह बेहाल हो जाता है ।
3. गले में खराश व खुजली : बैक्टीरिया की वजह से पीड़ित व्यक्ति के गले में खराश हो जाती है, इसलिए पीड़ित व्यक्ति बार-बार उसे साफ करने की कोशिश करता है । संक्रमण अधिक बढ़ने पर गले में खराश हो जाती है । जिसकी वजह से खांसी और जुकाम और पीड़ादायक हो जाता है ।
4. नाक से पानी गिरना : वायरस के संक्रमण से शरीर को बचाने के लिए शरीर खुद भी प्रयास करती है। इस वजह से पीड़ित व्यक्ति की नाक लगातार बहती रहती है । जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को बहुत परेशानी का अनुभव होता है। बहते हुए पानी को पोछने की वजह से उसकी नाक लाल हो जाती है ।
5. नाक से श्लेष्मा निकलना : खांसी और जुकाम की वजह से गाढ़े तरल पदार्थ से पूरी नाक भर जाती है। जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है। छिनक कर बार – बार नाक साफ करना पड़ता है । तब जाकर थोड़ा सा आराम मिलता है ।
6. सुस्ती : खांसी और जुकाम में पीड़ित व्यक्ति सुस्ती महसूस करता है । श्वसन क्रिया प्रभावित होने और अच्छी तरह से न खाने-पीने की वजह से वह सुस्ती से पीड़ित हो जाता है ।
7. थकान : खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति थकान महसूस करता है। यह भी कहा जाता है कि थकान से पीड़ित होने पर ही सर्दी और जुकाम का संक्रमण होता है ।
8. बुखार : खांसी और जुकाम के प्रभाव के कारण शरीर उसे समाप्त करने की अंत: प्रक्रिया करती है, जिसके कारण शरीर का तापमाम बढ़ जाता है। इसलिए खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को बुखार भी हो जाता है ।
9. भूख न लगना : खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है। श्वसन प्रक्रिया बाधित होने के कारण अंत: क्रियाएँ सुचारु रूप से नहीं चलती हैं, धीमी पड़ जाती हैं, साथ ही वायरस के संक्रमण के प्रभाव के कारण भूख प्रभावित होती है ।
10. स्वाद न पता चलना : वायरस का संक्रमण श्वसन नली पर होता है। जिससे मुंह भी जुड़ा हुआ है। मुंह में ही जीभ होती है। इस कारण वह भी संक्रमित हो जाती है। उसकी स्वाद कलियाँ भी संक्रमित होकर फूल जाती है। इस कारण खांसी और जुकाम होने के वजह से जब पीड़ित व्यक्ति भोजन करता है, तो उसे उसका स्वाद ही पता नहीं चलता।
11. हाथ-पैर में दर्द होना : खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति जो दूसरी जो सबसे बड़ी परेशानी महसूस होती है, वह है हाथ और पैर में दर्द । हाथ पैर में दर्द होने की वजह से वह सुस्त महसूस करता है।
12. सर सर्द करना : खांसी और जुकाम की वजह से पीड़ित व्यक्ति को सरदर्द भी होने लगता है। दर्द के साथ साथ उसे अपना सर भारी भी महसूस होता है ।
13. आँख से पानी बहना: खांसी और जुकाम जब अपने चरम पर होता है, तो पीड़ित व्यक्ति की आँखों से पानी भी बहने लगता है । जिसकी वजह से परेशानी और बढ़ जाती है। इस तरह से नाक और आँख दोनों से पानी बहने लगता है ।
14. सीने में जकड़न व सांस लेने में कठिनाई : खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को सीने में जकड़न और सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है।
उपचार : खांसी और जुकाम के संबंध में भारत में यह आम धारणा है कि बिना दवाई लिए ही यह एक निश्चित अवधि के पश्चात ठीक हो जाएगा । जब भी किसी व्यक्ति को खांसी – जुकाम होता है, तो उसका प्राकृतिक इलाज ही करता है । सर्दी और जुकाम के लिए जो भी एलोपैथी मेडिसीन है, उसे लेने पर खांसी और जुकाम तो ठीक हो जाता है, लेकिन उसके स्थान पर दूसरी परेशानियाँ शुरू हो जाती है । लेकिन नेचरोपैथी में इसका अचूक इलाज है। जिससे न केवल खांसी और जुकाम ठीक हो जाता है। बल्कि पीड़ित व्यक्ति पहले से अधिक स्वस्थ महसूस करता है । एक कुशल नेचरोपैथ पीड़ित व्यक्ति की अच्छी तरह जांच करने के बाद उसका इलाज करता है। इसके लिए वह उसके खान-पान के साथ उसका निम्नलिखित विधियों से इलाज करता है -
1. भाप स्नान : एक कुशल नेचरोपैथ खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को भाप स्नान कराता है। जिससे उसकी श्वसन नली में जो इन्फेक्शन होता है, वह ठीक हो जाता है, नाक भी साफ हो जाती है। कुछ नेचरोपैथ गरम पानी से स्नान करा देते हैं, जो न तो वैज्ञानिक है और उचित है ।
2. जल नेति : एक कुशल नेचरोपैथ खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के नाक और गले की सफाई पर विशेष ध्यान देता है । इसके लिए वह जल नेति की प्रक्रिया का उपयोग करता है। इस क्रिया में वह एक नली का उपयोग करता है, नाक से पानी लेकर मुंह के रास्ते निकलता है । जल नेति अभिक्रिया करने के पूर्व वह एक लीटर पानी में 100 से 150 ग्राम पात गोभी के पत्तों को उबाल लेता है, और उस पानी का उपयोग करता है ।
3. गुनगुने पानी से स्नान करना : एक कुशल नेचरोपैथ खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को गरम और गुनगुने पानी से स्नान करवाता है । जिससे जहां एक ओर उसका खांसी और जुकाम ठीक होता है। वही उसके कारण शरीर में जो दर्द आदि होता है, उसमें भी आराम होता है ।
एक कुशल नेचरोपैथ खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को ताजा भोजन और गरम पानी पिलाता है । इससे उसके गले का कफ ढीला पड़ता है, और खाँसते समय कफ बाहर निकल जाता है । इसके अलावा वह शहद, इलायची और नीबू के रस को एक निश्चित अनुपात में मिला कर उसे देता है। रात में सोते समय वह हल्दी मिला दूध देता है । जिससे पीड़ित व्यक्ति को काफी आराम मिलता है । अगर गले में खरास होती है, तो वह गरम पानी और नमक का गरारा करवाता है । चाय के स्थान पर वह अदरक, तुलसी, काली मिर्च आदि का काढ़ा मिला कर पिलाता है। पीड़ित व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वह ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कराता है, जिसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है । खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को एक निश्चित समय पर गरम और ताजा भोजन देता है । साथ ही वह पीड़ित व्यक्ति की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए नियमित रूप से योगा और हल्का व्यायाम भी करवाता है । इसके अलावा हर नेचरोपैथ के अपने-अपने प्रयोग के आधार पर कुछ और नुख्शे होते हैं, सर्दी और जुकाम आदि बीमारियों का इलाज करते समय वे उसका उपयोग करते हैं ।
सर्दी और जुकाम की ही तरह कोरेना भी है। जिसके कारण भी सर्दी और जुकाम ही होता है। श्वसन नली में संक्रमण भी होता है। इसका भी कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ा कर और सर्दी जुकाम के अलावा कुछ और ट्रीटमेंट देकर इसे भी ठीक किया जा सकता है। लेकिन दोनों में ही सावधानी की जरूरत होती है। जिस प्रकार किसी खांसी जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क मे आकर स्वस्थ व्यक्ति को भी खांसी और जुकाम हो जाता है। लेकिन अगर सावधानी बरती जाए, तो इससे बचा जा सकता है। वही हाल कोरेना पीड़ित सर्दी और जुकाम के साथ है । फिर भी कोरेना वायरस के साथ एक अच्छाई है कि वह 40 सेकंड से अधिक जीवित नहीं रह सकता, अगर हाथ की सफाई कर दी जाए । और अपना भी चेहरा छूने से बचा जाए ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट