हॉट स्पॉट क्षेत्रों में ड्यूटी कर रहे पुलिस अधिकारियों/जवानों की नियमित जांच जरूरी – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

Update: 2020-04-23 08:50 GMT


एक अरसा बीत जाने के बाद सम्पूर्ण विश्व में कोरेना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या पर ब्रेक नहीं लग रहा है। रोज उनकी संख्या में इजाफा हो जाता है और मरने वालों की संख्या भी बढ़ जाती है। बस एक ही बात से संतोष है कि तमाम कोरेना ग्रसित मरीजों के ठीक होने के भी समाचार भी प्राप्त होने लगे हैं। कोरेना संक्रमण के कारण कुछ देशों में जो छूट दी गई थी, कुछ क्षेत्रों को खोला जाने लगा है। उस पर संयुक्त राष्ट्र ने कल अपनी नाराजगी जाहीर की है । उसने साफ कहा है कि अभी किसी भी देश द्वारा जहां-जहां लॉक डाउन लागू है, वहाँ किसी प्रकार की छूट नहीं दी जानी चाहिए। अन्यथा कोरेना संक्रमण रोकने के लिए जो प्रयास अभी तक किए गए हैं, सभी बेकार सिद्ध हो जाएंगे। अभी उसकी भयावह स्थिति बनी हुई है। इसलिए कोई भी देश लॉक डाउन के दौरान किसी प्रकार की ढील या अपनी गतिविधि न शुरू करे। अपितु लॉक डाउन का सख्ती से पालन सुनिश्चित करे ।

जहां तक भारत की बात है। यहाँ भी हालत अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा अभी तो अच्छे हैं। उस हद तक संक्रमण यहाँ नहीं फैला है, क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलोचना की चिंता किए बगैर तुरंत लॉक डाउन घोषित कर दिया । पहली बार उन्होने सम्पूर्ण भारतवर्ष में 21 दिन के लिए लॉक डाउन घोषित किया और फिर 21वें दिन उपस्थित होकर बढ़ते हुए कोरेना मरीजों की संख्या पर चिंता जताई और देश के नागरिकों से अपील की वे 3 मई तक अपने घरों में रहें। लक्ष्मण रेखा का पालन करें। और कोरेना संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करें। देश के नागरिकों ने उनके इस आदेश का स्वागत किया और 19 दिन के लिए घोषित किए गए दूसरे चरण के लॉक डाउन को भी स्वीकार कर लिया ।

लॉक डाउन के पहले चरण से ही जहां-जहां अधिक संख्या में कोरेना संक्रमित लोग मिले, उन जगहों को सील करके उसे हॉट स्पॉट घोषित कर दिया गया । और दूसरे चरण में सख्ती और बढ़ी और जहां के भी मरीज भी मिला, उस एरिया को ही हॉट स्पॉट घोषित करके उसे सील कर दिया गया। तथा उन क्षेत्र के सभी लोगों को अपने-अपने घरों में रहने की हिदायत दी गई। बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया। कोई भी परिंदा बिना पुलिस अधिकारियों के न तो अंदर आ सकता है, और न बाहर जा सकता है । हॉट स्पॉट घोषित किए हर गली और नुक्कड़ पर पुलिस वाले लगातार गस्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही साथ समय – समय पर वे गलियों में लोगों को जागरूक करने के लिए चक्कर भी लगा रहे हैं। कई बार उनकी हॉट स्पॉट क्षेत्र में रहने वाले लोगों से बातचीत भी हो रही है। अपने खुफिया विभाग द्वारा कई घरों में भी वे घुश कर कोरेना संक्रमित मरीजों की तलाश कर रहे हैं।

ऐसे समय में जब हॉट स्पॉट घोषित किए गए क्षेत्रों में पुलिस जवानों की लगातार हो रही गश्त और पुलिस अधिकारियों द्वारा लगातार की जा रही उनकी मानीटरिंग से एक बात पर आम लोगों ने चर्चा करना शुरू कर दिया है कि अगर पुलिस वाले हॉट स्पॉट क्षेत्रों में भ्रमण करके सुरक्षित रह सकते हैं, तो आम आदमी क्यों नहीं ? हॉट स्पॉट क्षेत्रों में पत्रकारों के जाने की भी मनाही है। इस कारण हॉट स्पॉट क्षेत्र की अंदरूनी खबर लोगों को नहीं मिल पा रही है। कई बार पत्रकारों ने वहाँ जाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सख्ती से रोक दिया गया और आदेश की प्रति दिखा दी गई, किसी को भी वहाँ जाने की परमीशन नहीं है। जबकि हर सुबह हॉकर समाचार पत्र बांटने के लिए हॉट स्पॉट क्षेत्रों में अखबार बांटने के लिए जाता है ।

आज की चर्चा का विषय हॉट स्पॉट क्षेत्रों में ड्यूटी कर रहे पुलिस अधिकारियों और जवानों पर केन्द्रित है । ऐसा नहीं है कि हॉट स्पॉट क्षेत्रों में ड्यूटी कर पुलिस अधिकारी और जवान कोरेना प्रूफ हैं। हालांकि वे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जो हिदायत बताई गई है। उसका पालन कर रहे हैं। हर पुलिस अधिकारी और जवान मास्क पहले हुए हैं। वह हॉट क्षेत्र के लोगों से मिलते समय सोशल डिस्टेन्सिंग का भी पालन कर रहा है। लेकिन फिर भी जब वह उसी एरिया में रह रहा है। खा-पी रहा है। लोगों से बातचीत कर रहा है। तो वह भी तो कोरेना संक्रमित हो सकता है । ऐसा नहीं है कि पुलिस अधिकारियों और जवान कोरेना संक्रमित न हुए हों। प्राप्त सूचना के अनुसार देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली जहां के पुलिस अधिकारी और जवान पूरी तरह शिक्षित भी हैं और कोरेना संक्रमण के प्रति बेहद जागरूक भी हैं। फिर भी चाँदनी महल पुलिस थाने के अभी तक आठ पुलिस जवान और अधिकारी कोरेना संक्रमित हो चुके हुए हैं। उनके सैंपल पॉज़िटिव पाये गए। जबकि उनकी भी ड्यूटी ऐसे ही हॉट स्पॉट इलाके में लगी हुई थी। किसी तरह वे कोरेना के संपर्क में आ गए और संक्रमित हो गए । इसी प्रकार मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भी कई पुलिस अधिकारी और जवान कोरेना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। जिसमें से दो पुलिस जवानो की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। इसी प्रकार आज की खबर है कि कानपुर महानगर की एक महिला पुलिस अधिकारी जिसके पिताजी कोरेना पॉज़िटिव हैं, जब उसकी जांच हुई तो वह भी कोरेना पजिटिव पाई गई। उस महिला पुलिस अधिकारी की ड्यूटी हॉट स्पॉट इलाके में ही लगी हुई थी। अब सवाल यह उठता है कि कोरेना के वायरस वह लेकर आई, या उसके पिता। यह तो जांच का विषय है। लेकिन उसके पिता तो घर पर ही रहते थे, उनका कहीं आना-जाना भी नहीं था। ऐसे में उस महिला पुलिस अधिकारी के हॉट स्पॉट क्षेत्र से कोरेना लाने की बहुत अधिक संभावना है ।

इसके अलावा हॉट स्पॉट या शहर / कस्बे / गावों में अन्य जगह जो सब्जी के ठेले वाले सब्जी बेचने जा रहे हैं, उनकी भी जांच-पड़ताल बेरिकेटिंग लगा कर पुलिस अधिकारियों और जवानों द्वारा की जा रही है। अगर हम बात दिल्ली और कानपुर की करें, तो इन दोनों जगहों पर सब्जी बेचने वाले भी कोरेना पॉज़िटिव पाये गए हैं। इसलिए अगर पुलिस अधिकारी या कर्मचारी जो आधार कार्ड और अन्य डाक्यूमेंट्स की बड़ी बारीकी से जांच कर रहे हैं। वे किसी न किसी रूप में सब्जी वाले के संपर्क में आ रहे हैं। वह कोरेना संक्रमित नहीं है, इसकी गारंटी कौन दे सकता है। इसी तरह सड़क पर जरूरी काम से निकलने वाले हर एक व्यक्ति के कागजों आदि की भी जांच पुलिस विभाग द्वारा बहुत ही बारीकी से की जा रही है। जिनके पास उचित परमीशन और आधार कार्ड नहीं हैं। उनके ऊपर मुकदमे लिखे जा रहे हैं, और उनकी गाड़ियों के चालान काटे जा रहे हैं । अपने इस कर्म के दौरान भी पुलिस लोगों के संपर्क में आ रही है। फिर खुद पुलिस अधिकारी और जवानों को खाली समय में पास-पास खड़े हॉकर बातचीत करते हुए देखा गया है। अगर कोई पुलिस अधिकारी उनकी जांच करने के लिए उधर से गुजरता है, तो उसके पास जाकर ही वे पूरी जानकारी देते हैं। ऐसे मौकों पर दोनों के द्वारा सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन व्यवहार में नहीं हो पाता है। ऐसे समय में जब पुलिस बड़ी ही शिद्दत से कोरेना संक्रमण रोकने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अगर वही संक्रमित हो गई, और संक्रमित होने के पश्चात वही एक पखवाड़ा आम लोगों के संपर्क में आती रही, तो कोरेना संक्रमण रोकने के बजाय और बढ़ जाएगा । फिर इसकी जवाबदेही कौन लेगा। फिर लॉक डाउन के समय जो व्यवस्था बनाई गई है, उसे कौन बनाएगा। माना कि अगर वह ड्यूटी के दौरान संक्रमित होता है, तो सरकार द्वारा जो उसका 50 लाख का बीमा करवाया गया है, वह उसके परिवार को मिल जाएगा, लेकिन अगर वह संक्रमित हो गया है, और हर दिन वह अपने घर भी जाता है, तो उसका परिवार भी तो कोरेना संक्रमित हो जाएगा। फिर वह बीमा राशि किस काम की ? उसे लेने वाला जब कोई परिवार का सदस्य ही नहीं बचेगा, तो लेगा कौन ? यह बड़ा सवाल है ।

ऐसे समय में सरकार, प्रशासन और इसकी मानीटरिंग कर रहे मंत्रालयों की यह अहम जवाबदेही बन जाती है कि हॉट स्पॉट क्षेत्रों में जिस जवान और पुलिस अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाती है, उसकी नियमित जांच जरूरी है। अन्यथा जिन्हें कोरेना संक्रमण रोकने की जवाबदेही दी गई है। वे खुद संक्रमित हो जाएंगे, अपना घर तो तबाह कर लेंगे ही, जिसके – जिसके संपर्क में आएंगे, उन्हें भी संक्रमण का प्रसाद बाँट जाएंगे । जब इस प्रकार के संक्रमित पुलिस अधिकारी / जवान प्रकाश में आ रहे हैं, तो इस ओर से आँख मूँद लेना अक्लमंदी नहीं होगी। बल्कि हॉट स्पॉट क्षेत्र में निगरानी कर रहे पुलिस अधिकारियों और जवानों एक नियमित जांच और कोरेंटाइन की व्यवस्था जरूरी है।

प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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