देश या प्रदेश की कोई सरकार हो, अपने कार्यकाल में उसके द्वारा जनहित में अनेक कार्य किए जाते हैं, कई व्यवस्थाएं प्रतिपादित की जाती हैं । उनकी उपयोगिता तब समझ में आती है, जब किसी आपातकालीन स्थिति में वे सबसे अधिक उपयोगी होती हैं। आज पूरा विश्व कोरेना के संक्रमण से भयभीत है। उसे रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन घोषित कर रखा है। इस लॉक डाउन की अवस्था में देश और प्रदेश की जनता कोई तकलीफ न हो, इसकी ज़िम्मेदारी केंद्रीय एजेंसियों के अलावा प्रदेश सरकारों को दे रखी है। सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री युद्ध स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से जनहित कार्यों में लगे हुए हैं।
ऐसी एक व्यवस्था है, जिसे पहले यूपी डायल 100 के नाम से जानते थे, अब यूपी डायल 112 के नाम से जानते हैं। लॉक डाउन में अपनी अहम भूमिका निभा रही है। हालांकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, स्थानीय जिला प्रशासन आदि ने जनहित के लिए टोल फ्री नंबरों की भी व्यवस्था कर रखी है। लेकिन इन नंबरों की सूचना या जानकारी सिर्फ पढे-लिखे और शहरी लोगों को ही है। दूसरे टोल फ्री नंबर में कई अंक होते हैं, जिन्हें मुसीबत के समय याद आना आसान नहीं होता। ऐसे में लॉक डाउन की अवधि में लोग यूपी डायल 112 का ही प्रयोग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने सभी जिले के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दे रखा है कि वे यूपी डायल – 112 को और चुस्त दुरुस्त रखें, और अगर कोई पीड़ित डायल करे, तो उससे तुरंत मदद पहुंचाई जाये । आज 19 दिन हो गए हैं। सबसे अधिक अगर किसी व्यवस्था की वजह से आम जनता को मदद मिली है, तो वह है यूपी डायल – 112 ।
अच्छी व्यवस्था देने के लिए यूपी डायल – 112 पर जिन पुलिस जवानों, चालकों की ड्यूटी लगाई जाती है। उन्हें सिर्फ 8 घंटे ही ड्यूटी ही करनी पड़ती है। लेकिन लॉक आउट के दौरान पुलिस जवानों की मांग को देखते हुए पुलिस अधीक्षकों ने उनकी ड्यूटी के घंटे बढ़ा कर 12 कर दिये हैं। जिसकी वजह से डायल – 112 पर काम करने वाले पुलिसकर्मियों को शिकायत भी है कि जब सभी लोगों की ड्यूटी 8 घंटे लगाई जा रही है, ऐसे में उनकी ड्यूटी 12 घंटे क्यों लगाई जा रही है। इसके अलावा पुलिस प्रशासन ने यूपी डायल - 112 पर काम करने वाले जवानों और चालकों सहित इससे संबन्धित सभी की छुट्टी निरस्त कर दी है। यूपी डायल – 112 के कई जवानों से बात करने पर उन्होने कहा कि कहने को ड्यूटी 12 घंटे की है, कभी – कभी तो अगली पारी के जवानों के लेट आने पर 15 घंटे तक की ड्यूटी भी करना पड़ जाती है। कई बार तो इमरजेंसी में उनकी ड्यूटी कहीं अन्यत्र लग जाने पर 24 घंटे भी ड्यूटी करनी पड़ती है। इसके बावजूद भी जवानों के चेहरे पर कोई सिकन नहीं है। उन्होने चर्चा के दौरान कहा कि जब पूरा देश कोरेना के संक्रमण की वजह से लॉक आउट में घर के भीतर रहने को विवश है। ऐसे में उनका मानना है कि कोई भूख से न मारा जाए, उनकी सिर्फ ड्यूटी ही नहीं, बल्कि नैतिक ज़िम्मेदारी भी बनती है । यूपी डायल – 112 पर चलने वाले चालको की अपनी व्यथा है। उनका कहना है कि लॉक आउट की वजह से उन्हें जरा सा भी आराम नहीं मिल रहा है। एक जगह मदद पहुंचा नहीं पाते हैं, उसी बीच सैकड़ों जगह से फोन आ जाते हैं। इस कारण उन्हे लगातार 12 घंटे गाड़ी चलनी पड़ रही है। जिसकी वजह से उन्हें शारीरिक थकावट महसूस होती है । लेकिन मानसिक हौसला बरकरार है ।
यूपी – 112 पर बढ़ते काम के दबाव की वजह से उत्तर प्रदेश की पुलिस ने ऐसे लोग जो गाड़ी चला सकते हों, जिनके पास वैध लाइसेन्स हो। या जो लोग पुलिस या सेना के जवान रहे हों, जनहित में अपनी सेवाएँ देना चाहते हों, तो ऐसे लोगों से एक फार्म भरवाया जा रहा है और जगह – जगह उनकी भी ड्यूटी लगाई जा रही है। यह फार्म यूपी यूपी – 112 के ट्विटर हैंडल पर भी उपलब्ध है । दरअसल इसके पीछे जनता का विश्वास है। जनता को मालूम है कि अगर वह 112 डायल करेंगे, तो 15-20 मिनट में पुलिस की गाड़ी जरूर चली आएगी । इसी कारण लॉक डाउन की वजह से किसी को कोई समस्या हो रही है, सभी लोग यूपी डायल – 112 पर ही बात कर रहे हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि यूपी डायल – 112 के जवान भी बड़ी मुस्तैदी के साथ लोगों की सेवा कर रहे हैं।
जो लोग फार्म भर कर लोगों की सेवा करना चाहते हैं। उन्हे अधिकृत करने और प्रशिक्षित करने के बाद पुलिस अधिकारी यूपी डायल – 112 पर फोन आने के बाद ऐसे लोगों को सूचित करके उनकी समस्या का निदान करने को कह रहे हैं । इससे एक ओर जहां पुलिस के ऊपर काम का दबाव कम हो रहा है, वहीं दूसरी ओर लोगों को जल्द से जल्द मदद भी पहुंचाई जा रही है । यूपी डायल – 112 की यह नीति काफी कारगर साबित हुई है। और आम जनता को इतनी जल्दी मदद मिल जा रही है, इस वजह से जनता भी लॉक डाउन का पालन कर रही है। अगर कोई ऐसा व्यक्ति यह जो अशक्त है, चल फिर नहीं सकता, बुजुर्ग है तो यूपी डायल – 112 सिर्फ उसके खाने का ही प्रबंध नहीं कर रही है, बल्कि उसके दवाइयों का भी प्रबंध कर रही है । ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब यूपी डायल – 112 दवा लेकर पीड़ित व्यक्ति के घर पहुंची है । इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के तमाम अपने परिचित पुलिस जवानों से बात करने पर इस बात का भी पता चला कि शहर / कस्बे के सभी होटल / ढाबे बंद होने की दशा में या तो हम स्थानीय लोगों के सहयोग से उसके भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं, या स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से उनके यहाँ भोजन के पैकेट भिजवा रहे हैं । नहीं तो अधिकांश थानों में महिला पुलिस जवानों की ड्यूटी खाना बनाने में भी लगाई गई है। जो सुबह से लेकर शाम तक कई बार जरूरत के मुताबिक भोजन पकाती हैं। इस काम में लगी महिला पुलिस जवानों से जब मैंने बात की तो उन्होने बताया कि इस काम कैसी शर्म ? अपने – अपने घर पर सभी महिला पुलिस जवान भोजन तो पकाती ही हैं। आज हमारे थाना क्षेत्र में कोई भूखा न सोये, यह सिर्फ उसके गाँव, पास – पड़ोस की ज़िम्मेदारी है, बल्कि हमारी भी ज़िम्मेदारी है। बल्कि भूखे लोगों के लिए भोजन पका रही हैं, जिनसे उनका दूर –दूर तक कोई रिश्ता नहीं है, उनके लिए भोजन पका रही है, यह सोच- सोच कर फक्र का अनुभव होता है ।
आज यूपी डायल – 112 की कार्य शैली और लॉक आउट में योगदान देख कर जितना फर्क उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हो रहा है। उतना ही फक्र उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी हो रहा है । इसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय ही यूपी डायल – 100 के नाम से यह पुलिसींग व्यवस्था लागू हुई थी। बाद में उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री ने उसका नाम बदल कर यूपी डायल – 112 कर दिया । इसकी व्यवस्था उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण के लिए किया था । इसकी विशेषता यह थी कि जैसे ही कोई पीड़ित व्यक्ति यूपी डायल – 100 पर फोन करता था। मात्र 15-20 मिनट में पुलिस आ जाती। इससे उत्तर प्रदेश का अपराध नियंत्रित हुआ था । लॉक डाउन जैसी आपातकालीन स्थिति में आज उसकी उपयोगिता देख कर अखिलेश यादव का सीना गर्व से फूलना स्वाभाविक है। क्योंकि इसकी शुरुआत अखिलेश यादव ने की थी । इसी कारण उन्होने डायल – 112 की प्रशंसा करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि दूरदर्शी व्यवस्थाओं का महत्व आपदा के समय ही समझ आता है । नाम या नम्बर बदलने पर भी इनसे जिनकी सहायता होती है व जिनका जीवन बचता है, वे सदैव इनके पीछे के मूल प्रेरक को ही याद करते हैं । ऐसी जन-कल्याणकारी व्यवस्थाओं की सफलता देखकर अपने कार्यों के प्रति बेहद संतोष होता है व ख़ुशी भी । इसके साथ-साथ उन्होने एक खबर स्कैन करके डाली है। जिसमें ढाई लाख से अधिक परेशान लोगों को मदद पहुंचाने का समाचार भी प्रकाशित है ।
जिस यूपी डायल – 112 व्यवस्था और उसमें काम करने वाले पुलिस जवानों / चालकों की कार्यशैली वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संतोष प्रदान कर रही हो, उस व्यवस्था को साकार करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गर्व का अनुभव कर रहे हों। तो निश्चित ही कोरेना आपातकाल में लागू लॉक डाउन में वे सभी धन्यवाद के पात्र हैं। आम जनता पर उन पर पहले भी विश्वास था, और आज भी है। तभी तो उसे यूपी डायल – 112 दिखाई पड़ रही है ।
प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट