घाघरा की पहचान बचाये रखने को लेकर होगा आंदोलन- मणेन्द्र

Update: 2020-01-15 10:31 GMT

समाजवादी अध्ययन केंद्र के संस्थापक मणेन्द्र मिश्रा मशाल ने कहा कि घाघरा की पहचान बनी रहनी चाहिए।यह उत्तर प्रदेश के जागरूक नागरिकों की महामहिम राष्ट्रपति से अपील और मांग है। उन्होंने कहा कि घाघरा नदी को सरयू नाम किये जाने का यूपी कैबिनेट में फैसला लिया गया है।हमारी पीढ़ी के ज्ञात इतिहास में प्राकृतिक पहचान को बदले जाने की यह पहली घटना है।

यह गलत परंपरा की शुरुआत है।जिसके मूल में सत्ता प्रमुख द्वारा अपने प्रिय विचार के आधार पर निर्णय लेने की झलक स्पष्ट दिखती है।

नदी,पहाड़,स्थल का नाम और पहचान कई पीढ़ियों से अनवरत उनके समीप रहने वाले लोगों के मन/मस्तिष्क में अमिट रूप से बनी रहती है।ऐसे में नाम परिवर्तन उन सभी जुड़ाव और सम्वेदनाओं को एक झटके खत्म करने का फैसला है।जो न सिर्फ अनगिनत लोगों को भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करने जैसा है बल्कि अपनी मनमानी को थोपने जैसा है।

यह आश्चर्य की बात है कि घाघरा को सरयू नाम दिए जाने को लेकर न तो कोई आंदोलन दिखाई पड़ रहा था और न ही मांग।

ऐसे में मर्यादापुरुषोत्तमराम से जुड़ी मान्यता के भाव में जोड़कर लोक पर तंत्र का फैसला अधिनायकशाही वाला है।

यह सनातन परंपरा की दृष्टि से भी विरोधी निर्णय है जिसमें नदियों की अस्मिता को प्रचारित और प्रसारित किया गया है।प्रकृति में हर किसी की एक पहचान स्पष्ट रूप से निर्धारित है।इसका सम्मान हमारे देश/संविधान के मूल्य है।एक ही रंग ढंग के प्रखर होने को हतोत्साहित करते हुए विविधता और सभी की विशिष्टता को ही हमारे संविधान ने मान्यता प्रदान की है।इसे सभी को मानना चाहिए।

श्री मिश्र ने कहा कि यूपी सरकार का घाघरा को सरयू नाम दिया जाना गलत और अविवेकपूर्ण निर्णय है।

एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर किसी नदी के नाम को रातों-रात नया नाम दिए जाने की गलत परंपरा का विरोध होगा।

श्री मणेन्द्र ने बताया कि महामहिम राष्ट्रपति महोदय से समाजवादी अध्ययन केंद्र, सिद्धार्थनगर की ओर से एक ज्ञापन के माध्यम से यूपी सरकार के इस निर्णय को स्थगित किये जाने और भारतसरकार द्वारा संघसूची के 56 नम्बर पर उल्लेखित नदी विषय के तहत प्राप्त अधिकार के आधार पर इस फैसले को रद्द किए जाने की अपील की जाएगी।

घाघरा अंतरराज्यीय नदी और राष्ट्रीयसंपदा है।

इसका अपमान राष्ट्रीय अपमान है।यह नदीविरोधी निर्णय है।

जल्द ही घाघरा नदी से जुड़े पुलों पर इस निर्णय के विरोध में सांकेतिक विरोध शुरू किया जाएगा।

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