यूक्रेनी ड्रोन हमले को रोकने में क्यों नाकाम रहा रूस, S-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम कैसे हो गए फेल?
यूक्रेन ने 01 जून को रूस पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया। यूक्रेन ने इस हमले में रूस के 5 बड़े एयरबेस को तबाह कर दिया। इस हमले में रूस के 40 से ज्यादा फाइटर जेट ध्वस्त हो गए। मगर सवाल ये है कि यूक्रेन के इन ड्रोन हमलों को रोकने में रूस क्यों नाकाम रहा, आखिर रूस के एस-400 जैसे दुनिया के सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम कैसे फेल हो गए, रूस से आखिर चूक कहां हुई?...आइये रक्षा मामलों के विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) से पूरा मामला आपको समझाते हैं। मगर पहले आपको बताते हैं कि यूक्रेन ने रूस के किन-किन एयरबेस को तबाह किया।
रूस के ये एयरबेस यूक्रेनी हमले में हुए तबाह
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस में "ऑपरेशन स्पाइडर वेब" के पूरी तरह सफल होने का दावा किया। इस दौरान उन्होंने रूस के बड़े एयरबेस को सटीक निशाने में ध्वस्त करने और खतरनाक रूसी बमवर्षकों को तबाह करने की पुष्टि की। रूस के अंदर 4000 किलोमीटर घुसकर इस हमले को अंजाम देने में यूक्रेन की खुफिया एजेंसी (SBU) का बड़ा रोल रहा। यूक्रेन ने जिन रूसी एयरबेस को तबाह किया, उनमें पूर्वी साइबेरिया का बेलाया एयरबेस, रियाजन क्षेत्र का ड्यागिलेवो एयरबेस, इवानोवो का इवानोवो सेवर्नी एयरबेस, मुरमांस्क का ओलेन्या एयरबेस और अमूर क्षेत्र का यूक्रेनका एयरबेस शामिल है।
यूक्रेनी हमले को क्यों नहीं रोक सका रूस
रूस के पास दुनिया का सबसे ताकतवर डिफेंस सिस्टम एस-400 है, जिसके दम पर हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के सभी पलटवार (ड्रोन और मिसाइलों) को हवा में ही मार गिराया। मगर ऐसा क्या हो गया कि रूस का ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम यूक्रेनी हमलों को रोक नहीं सका। ले. जनरल विष्णु चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि यहां रूस का एयर डिफेंस सिस्टम फेल नहीं हुआ है, क्योंकि ड्रोन की लांचिंग यूक्रेनी सीमा से नहीं हुई और न ही एयरबेस से बहुत अधिक दूरी से हुई। यह लांचिंग हवाई मार्ग से भी नहीं की गई। इसकी लांचिंग रूस के अंदर से ही हुई। वहां एक ट्रक के कंटेनर में पहले से छुपाकर ड्रोन रखे गए थे। उसी कंटेनर को ही लांचिंग पैड बनाकर हमला किया गया। ऐसे में इन ड्रोनों का लक्ष्य कम दूरी पर था, जहां वह अपनी लोकेशन पर बहुत कम सेकेंड या मिनटों में पहुंच गए और आसानी से अपने टार्गेट को हिट किया। कंटेनर से ड्रोन की लांचिंग और उसके टारगेट की दूरी कम होने से रूसी सेना को रिएक्शन का टाइम ही नहीं मिल सका। ड्रोनों की संख्या भी ज्यादा थी। एक साथ करीब 117 ड्रोन से यह हमला किया गया। इसलिए यूक्रेनी ड्रोन हमले में कामयाब रहे।
रूसी एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 का फेल्योर नहीं
ले. जनरल विष्णु चतुर्वेदी ने कहा कि यह रूस के एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 या किसी अन्य का फेल्योर नहीं है। क्योंकि एस-400 ऊंचाई और अधिक दूरी वाले हवाई हमलों को नाकाम करने के लिए है। यूक्रेन का यह ड्रोन हमला हवाई नहीं था, बल्कि इसे कंटेनर से लांच किया गया। इसकी ऊंचाई बहुत कम थी, जहां पर एस-400 काम नहीं करता। एस-400 दूर से आने वाले 400 किलोमीटर तक के मिसाइलों और ड्रोन को आसानी से ट्रैस करके उसे ध्वस्त कर सकता है। साथ ही जवाबी हमला भी करने में सक्षम है। यह दुनिया का सबसे उत्तम एयर डिफेंस सिस्टम है। उन्होंने बताया कि यूक्रेन को पता था कि रूस का एयर डिफेंस सिस्टम बेहद ताकतवर है। इसलिए उन्होंने एक तरीके से ड्रोनों की रूस के अंदर घुसपैठ कराकर हमले की यह योजना बनाई।
रूस से कहां और कैसे हुई चूक
ले. जनरल विष्णु चतुर्वेदी ने कहा कि यूक्रेन के हमले को रोकने में हुई चूक रूस का बहुत बड़ा इंटेलीजेंस फेलियर है। क्योंकि ड्रोनों को कजाकिस्तान से लाया गया। हमले की योजना डेढ़ साल पहले से बनाई जा रही थी, जिसे अब अंजाम दिया गया। मगर रूस को इसकी भनक नहीं लग सकी। इसलिए रूस को अब अपने इंटेलीजेंस पर और अधिक ध्यान देना होगा और उसे मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने अपने ड्रोनों की रूस में घुसपैठ कराई। निश्चित रूप से उसने इसे ऑपरेट करने वाले लोगों की भी घुसपैठ कराई होगी, जिसके बाद यूक्रेन इस हमले को अंजाम देने में सफल हो सका। ड्रोन लांचिंग रूस से ही हुई। इसलिए रूस इसे रोकने में चूक गया, क्योंकि यहां उसका इंटेलीजेंस फेल हुआ है। मगर यूक्रेन को इसका बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की दूसरे राष्ट्रों का मोहरा बनकर अपने खूबसूरत देश को बर्बाद कर रहे हैं।
चुप नहीं बैठेगा रूस, यूक्रेन कर चुका बड़ी गलती
ले. जनरल विष्णु चतुर्वेदी ने कहा कि इस हमले के बाद रूस चुप नहीं बैठेगा। पुतिन से पंगा लेकर जेलेंस्की ने भारी भूल कर दी है। क्योंकि युद्ध हमेशा अपने दम पर लड़ा जाता है, दूसरे देशों को भरोसे नहीं। उन्होंने कहा कि अब यूक्रेन की राजधानी कीव और सूमी क्षेत्र पर रूसी रिटैलिएशन तेज होगा। रूस यूक्रेन पर बड़े हमले करेगा। जेलेंस्की की जिद ने एक अच्छे देश यूक्रेन को तबाह कर दिया, जहां अच्छे इंस्टीट्यूट, मेडिकल संस्थान और अनाज पैदा करने का अड्डा था। यूक्रेन को अब अपनी बर्बादी से उबरने में 15 से 20 साल लग जाएंगे। हालांकि रूस को भी इस युद्ध में नुकसान हुआ है, मगर यूक्रेन का नुकसान ज्यादा है। यूक्रेन के ड्रोन हमले से अब दोनों देशों में कॉन्फ्लिक्ट जोन बढ़ गया है। रूस के कुर्स्क क्षेत्र में भी पहले यूक्रेन ने ऐसी ही हरकत की थी। मगर उसे वहां से वापस आना पड़ा। रूस उधर पूर्वी यूक्रेन में जम गया है। रूस के बराबर यूक्रेन को मानने का जेलेंस्की का भ्रम उनके देश पर भारी पड़ेगा। क्योंकि यूक्रेन ने आतंकवादियों की तरह यह हमला किया है। रूस ने भी इसे आतंकी हमला कहा है।
पूर्व में कैसे यूक्रेन ने ध्वस्त कर दिए रूस के कई एस-400
एस-400 दुनिया का सबसे अच्छा एयर डिफेंस सिस्टम है, मगर यू्क्रेन ने अगस्त 2023 से 2024 के दौरान रूस के 2,3 एस-400 प्रणाली और उसकी बैटरी व रडार सिस्टम को ध्वस्त कर चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु चतुर्वेदी कहते हैं कि इसका मतलबल एस-400 का कमजोर होना नहीं है, बल्कि इसके कई दूसरे कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत ट्रेंड ऑपरेटर की जरूरत होती है। क्योंकि युद्ध लंबे समय से चल रहा है, इसलिए हो सकता है कुछ एस-400 का ध्वस्त होना ऑपरेटर की लैक ऑफ ट्रैनिंग और लैक ऑफ एक्सीरियंस भी हो सकता है। दूसरा इसकी प्रभावी तैनाती और लोकेशन भी मायने रखती है, जिससे दुश्मन चकमा खाता है। कई मामलों में थोड़ा बहुत एनवायरमेंट का भी रोल हो सकता है। एस-400 के आसपास कई अन्य क्षमता वाले व कम दूरी वाले ड्रोन और मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए भी अलग एयर डिफेंस सिस्टम सपोर्ट में तैनात किए जाते हैं। भारत ने वह सब भी कर रखा था। हो सकता है रूस ने वह सब नहीं किया। इसलिए थोड़ा लॉस हो गया, मगर लार्ज स्केल पर एस-400 डिस्ट्रॉय नहीं हुआ है।