मुआवजा क्या है-किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जो राशि दी जाती है उसे मुआवजा कहते हैं।
मुआवजे का दावा कौन कर सकता है-
वह व्यक्ति जिसे चोट आई है यासंपत्ति का मालिक यामृतक(जहां मृत्यु हुई हो) उसके सगे-संबंधी या कोई भी कानूनी प्रतिनधि याघायल व्यक्ति द्वारा नियुक्त एजेन्ट या मृतक व्यक्ति का कानूनी प्रतिनिधि(मृतक की संपत्ति में हक रखने वाला उत्तराधिकारी)।मुआवजे का आवेदन जिस क्षेत्र में दुर्घटना घटी हो उस क्षेत्राधिकार में आने वाली ट्राइब्यूनल को संबोधित की जानी चाहिए।
मुआवजे के दावे के लिए फार्म-
दावेदार/दावेदारों का नाम व पता (यदि मालूम हो तो)मोटर चालकमोटर मालिक का नाम व पता(यदि मालूम हो तो)मोटर का बीमा करने वालों का नाम व पता (यदि मालूम हो तो)घायल/मृतक की जानकारी जैसे- नाम, आयु, पता, व्यवसाय, आमदनी इत्यादिदुर्घटना का स्थान, समय तथा तिथिवह साधन जिसके द्वारा घायल/मृतक यात्रा कर रहे थेचोट का नाम तथा इलाज इन सब की भी जानकारी-गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर तथा उसकी मिल्कियतवाहन का चालकबीमा कंपनी से संबंधित कवर-नोटदावे की राशिदावे का औचित्यराहतदुर्घटना के बाद कभी भी मुआवजे के लिए दावा डाला जा सकता है ।ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि का भुगतान वाहन मालिक या चालक या जिस वाहन कंपनी ने वाहन का बीमा किया है। कोई भी कर सकते हैं।कानून के अनुसार हर वाहन का तीसरे आदमी कोर्ट खतरे(थर्ड पार्टी रिस्क) के विरुद्ध बीमा होना आवश्यक है। इससे दावों की शीघ्र सुनवाई में मदद मिलती है ।ट्राइब्यूनल के एवार्ड में से बीमा कंपनी मे जितनी राशि का बीमा करवाया है उतनी राशि देने के लिए जिम्मेदार होती है ।
ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया-
दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है।ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा।
ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार-
जहां दुर्घटना हुई होजहां दावेदार रहते होंजहां बचाव पक्ष रहते होंट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं।ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकतीहै । यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है ।यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है,यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे।यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा।मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है।