माघ मास महात्म्य

Update: 2022-01-18 15:48 GMT

 

( निरंजन मनमाडकर)

उत्तरायण एवं मकरसंक्रांती को विविध आयामोंसे महत्वपूर्ण माना गया है.

महाकुंभ पर्व में भी गंगा क्षिप्रा गोदावरी कावेरी नदीयों के स्नानों का महत्त्व बताया जाता है, इन्ही पर्वों की बीचोबीच आने वाला होता है माघ मास, माघ स्नान! मघा नक्षत्र युक्त पौर्णिमा के कारण इसे माघ मास कहा है!

देवी उपासना का श्रेष्ठ पर्व माना जाता है, सिंह राशी का नक्षत्र है, जभी बृहस्पति सिंह राशी को होते है तभी सिंहस्थ कुंभ मेला नासिक में होता है!

अतः दत्त पुराण के अनुसार जो कोई भी व्यक्ती सूरज उगने से पूर्व यदि किसी नदी, तालाब में स्नान करें तो उसके सभी महापातक केवल स्नान से ही नष्ट हो जाते है! जलदेवता उसे पवित्र कर देते है.

परमपूज्य वासुदेवानंद सरस्वती स्वामी महाराजश्री जी ने माघ मास माहात्म्यम् का मराठी भाषा में निर्माण किया है तथापि पद्ममहापुराण में सात अलगलग अध्योंमे बडे विस्तारसे यह आख्यान आता है! जिसमे माघ मास की माहिती, महती एवं कृती आती है!

यह माहात्म्य अयोध्यानरेश महाराज दीलीप को वसिष्ठ महामुनी बता रहे है.

शाकंभरी पौर्णिमा से शुरू हो कर भरत पौर्णिमा तक यह पर्व मनायां जाता है इस दरम्यान ही सभी ज्ञान की देवताओं का पूजन किया जाता है गणेश जयंती, वसंत पंचमी, स्कंद षष्ठी, रथसप्तमी इत्यादी.. इसी दरम्यान माघ गुप्त नवरात्री शामला नवरात्री आती है, कुंभ में महत्त्वपूर्ण ऐ सी मौनी अमावस्या भी इसी दरम्यान आती है.

हमारी संस्कृती हमे अनुशासन का आचरण सिखाती है, केवल ठंड के कारण बिस्तरमें पडे नही है. सूर्योदय से पहले स्नान करना है भगवान्नाम चिंतन करना है. मकर राशी में जब सूर्यभगवान होते है उस समय तीर्थ स्नान का महत्व होता है. सूर्य का तेज जैसा बढता है उसी प्रकार साधना प्रकाशित हो यही कामना..

ॐ नमश्चण्डिकायै

श्रीकृष्णावेणीअक्षय्यकृपाप्रसादमस्तु निरंजन मनमाडकर पुणे महाराष्ट्र

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