कोरेना महामारी काल में सेवा के बदले मेवा पाने की आशा लगाए भाजपा और उसके नेताओं की हर गतिविधि पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की निगाहें लगी हुई हैं । उसकी काट के रूप में उन्होने समाजवादी कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा लॉक डाउन के दौरान की गई सेवाओं की पूरी जानकारी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से मांगा चुके हैं। एक ओर जहां ऐसे नेताओं को सम्मानित करने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर आगामी विधानसभा में उसका कैसे और कहाँ प्रयोग करना है, इसकी रणनीति भी तैयार हो रही है । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बात से अनभिज्ञ नहीं हैं कि मुफ्त राशन वितरण से जन-मानस इसका श्रेय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे रहा है। इस कारण 2022 के विधानसभा चुनाव में उनका प्रयास यह रहेगा कि इसका श्रेय केंद्र सरकार को मिले, प्रदेश सरकार को नहीं। कोरेना महामारी के बीच 2022 विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए अखिलेश क्या-क्या रणनीति बना रहे हैं, आइये उस पर विचार करते हैं -
1. करो या मरो की नीति – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। इस विधानसभा को लेकर वे कितने संजीदा हैं, उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि वे अपने प्रत्येक कार्यकर्ता और नेता को 2022 के विधानसभा चुनाव को बहुत ही गंभीरता से लेने की बात कर रहे हैं । उनके निर्देश के बात विभिन्न विधानसभा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी इस पर अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है ।
2. कार्यकर्ताओं / नेताओं की सलाह को तवज्जो – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार विधानसभा वाइज़ सारी सूचनाएँ जुटा रहे हैं । उन्होने अपने कार्यकर्ताओं / नेताओं को यह निर्देश दे रखा है कि हर विधानसभा में क्या-क्या परिवर्तन किये जाए ? जिससे आसानी से चुनाव जीता जा सके । उनकी इस रणनीति के अनूनसार आने वाले दो तीन महीने में पूर्व में पार्टी में रह चुके प्रभावी नेताओं / कार्यकर्ताओं को जल्द ही पार्टी में शामिल किया जाएगा ।
3. आपसी मतभेद दूर करने के लिए समन्वय समिति का गठन – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 2022 के चुनाव को लेकर कितने गंभीर हैं, इस बात का अंदाजा उनके इस कदम से लगाया जा सकता है। हर बार जो विधानसभा चुनाव होता है, नेताओं में आपसी तालमेल का अभाव पाया जाता है। कहीं – कहीं एक ही क्षेत्र के नेताओं में तनाव की खबरे भी मिलती हैं। जिसकी वजह से लोग पूरे मन से प्रचार कार्य नहीं करते हैं। ऐसा न हो, इसके लिए अखिलेश इस बार विधानसभा चुनाव में जिले के वरिष्ठ व प्रभावी नेताओं की हर जिले में एक प्रभावी समिति बनाएँगे, जो ऐसे मसलों को सुलझा सके । तमाम व्यस्तताओं के बावजूद इसकी मानीटरिंग वे खुद करेंगे या सपा कार्यालय में उनके द्वारा अधिकृत नेताओं द्वारा की जाएगी ।
4. भाजपाई उम्मीदवार के अनुसार कंडीडेट का चयन - हर हाल में 2022 का चुनाव जीतने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भाजपा के संभावित उम्मीदवारों पर भी गहन अध्ययन कर रहे हैं । इस कारण कौन से नेताओं के सामने पार्टी का कौन सा उम्मीदवार भारी पड़ेगा। उसे टिकट दिया जाएगा । इस कारण इस बार विधानसभा के प्रत्याशियों के इंटरव्यू के समय उन्हें पार्टी के इस कदम की जानकारी भी दे दी जाएगी ।
5. छोटे दलों समन्वय और एक दूसरे के वोट ट्रांसफर करने की रणनीति – विगत कई चुनावों में हुए गठबंधन में प्राप्त अनुभवों के बाद अखिलेश यादव प्रदेश के प्रभावी छोटे दलों से सिर्फ गठबंधन ही नहीं करने जा रहे हैं। वे इस बात पर भी गंभीरता के साथ चिंतन कर रहे हैं, जिससे विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के वोट ट्रांसफर हो सकें ।
6. भाजपा विधायकों की नाराजगी का लाभ – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास जो सूचनाएँ हैं, उसके अनुसार भाजपा के अधिकांश विधायक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से नाराज हैं। न उनकी बातें सुनी जा रही हैं, और न ही उनके कोई कार्य किए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो ऐसे कई विधायक अखिलेश के कई करीबियों से संपर्क में हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का मानना है कि इसका भी लाभ वे अपनी चुनावी प्रबंधन से उठाने में सफल होंगे ।
7. मंत्रियों पर बेवजह अनुशासन की नकेल – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरकार और उसके मंत्रियों पर भी अपनी नजर गड़ाए हुए हैं। सूत्रों से जैसी सूचनाएँ प्राप्त हो रही है, उसके अनुसार अनुशासन के नाम पर मंत्रियों पर कई बन्दिशों थोप दी गई हैं। जिसकी वजह से वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या करें और क्या न करें ? ऐसे में सिर्फ नाम के लिए ही वे मंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं । इसकी वजह से योगी सरकार के मंत्रियों में भी नाखुशी है। जिसका लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा, ऐसा अखिलेश यादव को विश्वास है ।
8. कानून व्यवस्था का मुद्दा और बदले की भावना – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार द्वारा किए गए ऐसे कार्यों की एक फेहरिश्त तैयार कर रहे हैं, जो बदले की भावना से किए गए हैं। जिसमें फर्जी एनकाउंटर को भी समाहित किया गया है । इसके साथ ही प्रदेश की कानून व्यवस्था को भी अपने भाषणों में एक मुद्दा बनाएँगे । बीती रात कानपुर में एक बदमाश के साथ शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों का मसला भी उठना तय है ।
9. आजम खान एवं उनके परिवार का प्रकरण - समाजवादी पार्टी का ऐसा मानना है कि रामपुर के जिलाधिकारी से लेकर पूर्व डीजीपी और मुख्यमंत्री कार्यालय ने सांसद आजम खान, उनकी विधायक पत्नी और पुत्र को फँसाने का काम किया है। इस कारण 2022 के विधानसभा चुनाव में यह भी एक प्रमुख मुद्दा होगा । गौरतलब है कि आजम खान समाजवादी पार्टी के एक दिग्गज नेता हैं, मुसलमानों के बीच काफी मुखर माने जाते हैं। उनका काफी प्रभाव भी उत्तर प्रदेश के मुसलमानों पर माना जाता है। इस कारण आजम खान के प्रकरण को काफी तवज्जो मिलना लाजिमी है ।
10. सवा करोड़ नौकरी देने का झूठा प्रचार – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में एक करोड़ लोगों को नौकरी देने की बात कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इसमें कम सच्चाई नजर आ रही है। उनका कहना है कि मनरेगा में जो लोगों को काम दिया जा रहा है, सरकार उसे भी नौकरी कह कर जनता को दिग्भ्रमित कर रही है । जबकि वास्तव में नौकरी बहुत कम लोगों को दी गई है। इस लू—पोल को भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष 2022 के चुनाव में एक प्रमुख मुद्दा बनाने वाले हैं। अपनी प्रचार सभाओं में हर जगह वे पूछेंगे कि योगी जी ने जो सवा करोड़ रोजगार दिया, कितनों को मिला ?
11. झूठ का दिव्य गणित – 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के झूठ के दिव्य गणित का भी उदघाटन करने वाले हैं । जैसे कोरेना संक्रमण से 85 हजार लोगों की जान बचाना और सवा करोड़ लोगों को रोजगार देना आदि । इसके अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कोरेना संक्रमित लोगों की समस्याओं का मसला भी उठाने का निर्णय लिया है ।
12. अपने घर लौटते प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा – 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव घर लौटते प्रवासी मजदूरों ने जो कष्ट झेले हैं, उसका जीवंत वर्णन करने वाले हैं। उसकी शुरुआत वे लॉक डाउन सिंह से करेंगे । उसके साथ ही गर्भवती महिलाएं किस तरह से तमाम कष्ट सहते हुए हजारों किलोमीटर की यात्रा की, उसका भी बखान करेंगे । उस दौरान हुए मौतें और सरकार द्वारा उचित इलाज और मुआबजा न देने को भी एक मुद्दा बनाएँगे । सरकार के पास 90 हजार से अधिक बसें होने के बावजूद उन्हें उपयोग में न लाना भी उसी का हिस्सा होगा । इस कारण हजारो मजदूरों को भूखे-प्यासे पैदल ही अपने घरों को जाना पड़ा। साथ ही उन पर हुए अत्याचारों का भी जिक्र होना सुनिश्चित किया गया है ।
13. लोन को राहत पैकेज के नाम पर प्रसारित करना - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राहत पैकेज राहत पैकेज नहीं ऋण है। इसे वापस करना पड़ेगा। राजनीतिक इतिहास में पहली बार लोन को राहत पैकेज बताकर प्रचारित किया जा रहा है । खरीद केंद्र नहीं खुलने से किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा । गन्ना किसानों का अभी तक 17 हजार करोड़ रुपये बकाया है। सरकार की लापरवाही से बुंदेलखंड में दलहन की खेती बर्बाद हो गई। फल-सब्जी बोने वाले किसान भुखमरी की कगार पर खड़े हैं । इसके अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसानों की हर ऐसी समस्याओं की एक लिस्ट तैयार कर रखी है, जिसमें योगी सरकार का फेलयोर है।
इस तरह से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए निरंतर होमवर्क कर रहे हैं । हर एक बिन्दु पर समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। इस बार हर बिन्दु पर विचार-विमर्श करने के लिए भी उन्होने कई चरण बना रखे हैं। एक ओर वे जहां युवा नेताओं से बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बुजुर्ग नेताओं के दिशा-निर्देशों पर भी अमल कर रहे हैं ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट