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व्यंग ही व्यंग

रौंद दिया लोकतंत्र.... : अभय सिंह

रौंद दिया लोकतंत्र.... : अभय सिंह
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कर लिया है दखल।

असलहे के बदौलत।।

रौंद दिया लोकतंत्र।

बरपा करके कहर।।

पग पग दहशतगर्द।

तख्त है जो जमाया।।

मनहूस वो समय।

बेबस उन्हें बनाया।।

मूकदर्शक बनी दुनिया।

जुबां पर लगी हो ताला।।

फेर लिए हैं सभी निगाहें।

कौन होगा अब रखवाला?

नृशंस की है दबदबा।

अब आगे क्या कदम?

मानवता के खातिर।

बनना पड़ेगा हमदम।।

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