Janta Ki Awaz
व्यंग ही व्यंग

विस्फोट का षड्यंत्रकारी कौन आखिर?

विस्फोट का षड्यंत्रकारी कौन आखिर?
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मौजूदा था ये पल।

शांति और खुशहाल।।

अन्यास हुआ बिस्फोट।

हुआ है बुरा हाल।।

षड्यंत्रकारी कौन आखिर?

निष्प्रयोजन क्या ख़ास?

अनुसंधान का जो दल।

सख्ती से रहे तलाश।।

हुई कैसे ये चूक।

है बड़ा सवाल।।

रची जो भी साजिश।

लाख छुपे वो पाताल।।

पैनी है नजर।

तत्पर और दुरुस्त।।

अंजाम तक पहुंचना।

हो गए है चुस्त।।

अभय सिंह .......

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