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व्यंग ही व्यंग

मदिरा खुले या मंदिर, अपनी अपनी वरीयता : अभय सिंह

मदिरा खुले या मंदिर, अपनी अपनी वरीयता : अभय सिंह
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मदिरा व मंदिर।

जंग गई है छिड़।।

खुलेगा कौन पहले?

आपस में गई है भीड़।।

अपनी अपनी वरीयता।

भेज खत और संदेश।।

सवाल और जवाब।

उभरा जो क्लेश।।

खुलने का कारण।

कटाक्ष व पलटवार।।

होगा क्या आगे?

सबको है इंतजार।।


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