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डिजिटल इंडिया के अर्टिटेक्ट एवं इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के जनक थे राजीव गांधी : डॉ प्रमोद शुक्ला

डिजिटल इंडिया के अर्टिटेक्ट एवं इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के जनक थे राजीव गांधी : डॉ प्रमोद शुक्ला
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गोरखपुर

राजीव गांधी जयन्ती "सद्भभावना दिवस" की पूर्व संध्या पर झारखंडी स्थिति कार्यालय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, राजीव गांधी स्टडी सर्किल, गोरखपुर के समन्वयक डॉ प्रमोद कुमार शुक्ला ने कहा कि

बहुत अल्पकाल का अवसर पाने वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक महानायक स्व.राजीव गांधी ने आधुनिक भारत निर्माण की विकास यात्रा को अति महत्वाकांक्षी उत्कर्ष प्रदान किया। संचार क्रांति के उस प्रवर्तक ने आईटी क्षेत्र में उस भारत की प्रतिभा को विश्व पटल पर छा जाने के नवयुग का सूत्रपात कर, भारत के कदम विश्व गुरुत्व की दिशा में आगे बढ़ा दिये, जिसकी सबसे बड़ी चिन्ता प्रतिभा पलायन हुआ करती थी। डेढ़ दशक पहले ही उन्होंने 21-वीं सदी के भारत निर्माण का न केवल ताना बाना बुना, बल्कि उसके अनुरूप शिक्षा नीति आदि के माध्यम से उस सपने को साकार करने की धरातलीय संरचना भी रच डाली।

प्रौद्योगिकीय क्षेत्र में समर्थ भारत रचना की नींव डालने के साथ ही राजीवजी ने दुनिया भर में ढहते लोकतंत्रों एवं प्रगतिशील राजनीतिक व्यवस्थाओं के कठिन संक्रमण दौर में, उसके लिये जिम्मेदार आर्थिक सुधार के दबावों तथा धर्मोन्मादी आन्दोलनों के ध्वंसात्मक सभी पलीतों की भारत में भी मौजूदगी की चुनौतियों को सम्यक नीति से समाधान के अंजाम तक पहुंचाया और इस तरह भारतीय लोकतंत्र की सुदृढ़ता के लिये अपूर्व योगदान दर्ज किया। संवैधानिक लोकतंत्र के वजूद को चुनौती दे रही पंजाब, असम, मिजोरम एवं काश्मीर समस्याओं को समाधान देकर, उन्हें संविधान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जिस तरह एक बार फिर से वापस ढाला, उसे कृतज्ञ राष्ट्र भुला नहीं सकता। जब दुनिया भर में लोकतंत्रों की टूटन का शोर था, तो उन्होंने पंचायतीराज संवैधानिक क्रांति की पहल कर संविधान में 35 से 36 लाख जनप्रतिनिधित्व के नये अवसर की क्रांति का सूत्रपात किया। उसमें सभी वंचित वर्गों की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करते हुये न केवल भारतीय लोकतंत्र का फलक चौड़ा करने का कदम उठाया, बल्कि उसके द्वारा प्रतिनिधि प्रजातंत्र को सहभागी प्रजातंत्र की दिशा में कई कदम आगे बढ़ाने की दिशा में कदम उठाये।

भारतीय लोकतंत्र को राजीव जी की अन्य बेहद महत्वपूर्ण देन थी कैंसर सरीखी दल बदल की भारतीय संसदीय लोकतंत्र की बीमारी के उपचार की अग्रणी पहल। सन् 1985 के दल बदल विरोधी कानून हेतु 52 वां संविधान संशोधन कराकर दसवीं अनुसूची का संविधान में समावेश किया।

बैठक के समापन पर सभी सदस्यों ने आधुनिक भारत के शिल्पी स्व. राजीव जी के योगदान और उनकी प्रेरक स्मृतियों को उनकी जयन्ती पर प्रणाम निवेदित किया। बैठक में डॉ सत्यवान यादव, डॉ गंगेश पांडेय, डॉ मनोज पांडेय ,श्री गरगंश, डॉ यूसुफ ,डॉ सुमित अग्रहरी, डॉ विकास जायसवाल, आनन्द कुमार पांडेय, रमेश यादव, श्रीमती कविता शुक्ला, रजनी शुक्ला, विप्राशा, रोमशी,इशांशी, इशांश,मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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