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उत्तर प्रदेश

व्यापारियों, किसानों और घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत, यूपी सरकार जल्द करेगी घोषणा

व्यापारियों, किसानों और घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत, यूपी सरकार जल्द करेगी घोषणा
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लखनऊ । कोविड-19 से परेशान बिजली उपभोक्ताओं को उत्तर प्रदेश सरकार ज्यादा से ज्यादा राहत देना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बिजली की दरों में इजाफा न किए जाने की घोषणा के बाद व्यापारियों, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को कुछ और राहत देने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में जल्द ही सरकार से विद्युत नियामक आयोग को पत्र भेजने की तैयारी है। आयोग को बिजली दरों पर सुनवाई के दौरान मौजूदा दरों को कम करने संबंधी आए प्रस्ताव पर भी पावर कारपोरेशन से जवाब का इंतजार है। सरकार व कारपोरेशन से पत्र मिलने के बाद आयोग बिजली दरों के संबंध में फैसला सुनाएगा।

विद्युत नियामक आयोग, पिछले दिनों सभी बिजली कंपनियों के एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता), रेग्युलेटरी सरचार्ज व स्लैब परिवर्तन संबंधी प्रस्तावों पर सुनवाई कर चुका है। वैसे तो बिजली दरों पर फैसला करने का अधिकार आयोग को है, लेकिन विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 108 के तहत राज्य सरकार को अधिकार है कि वह लोक महत्व के किसी भी मामले में आयोग को निर्देश दे सकती है। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा पिछले दिनों कोरोना के मद्देनजर बिजली की दरों में इजाफा न किए जाने की घोषणा के बाद बिजली की मौजूदा दरें तो यथावत रहना तय है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से आयोग को संबंधित पत्र नहीं मिला है।

सूत्र बताते हैं कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव को भी देखते हुए सरकार, वाणिज्यिक, किसान व घरेलू उपभोक्ताओं को कुछ और भी राहत देना चाहती है। चूंकि कोरोना कर्फ्यू से दुकानें बंद रहीं, इसलिए ऐसे कनेक्शन पर मिनिमम व फिक्स चार्ज से कुछ राहत मिल सकती है। इसी तरह किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन पर मीटर रीडिंग से बिल देने के बजाय फिक्स चार्ज से ही भुगतान करने की राहत मिलेगी। घरेलू उपभोक्ताओं के बिल पर भी राहत देने का रास्ता देखा जा रहा है।

जानकारों के मुताबिक अबकी कोरोना कर्फ्यू से लगभग दो हजार मेगावाट बिजली की खपत घटी है, जबकि पिछले वर्ष लाकडाउन से चार हजार मेगावाट खपत घटी थी जिस पर केंद्र सरकार ने राज्य को 343 करोड़ रुपये देकर उपभोक्ताओं के बिल में राहत दी थी। चूंकि अबकी उद्योग चलते रहे इसलिए खपत कम ही घटी, जिससे राज्य को केंद्र से लगभग 180 करोड़ रुपये ही मिल सकते हैं।

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