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उत्तर प्रदेश

समाजवादी पार्टी के MLC पूर्व शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव के खिलाफ विजिलेंस ने दर्ज किया केस

समाजवादी पार्टी के MLC पूर्व शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव के खिलाफ विजिलेंस ने दर्ज किया केस
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लखनऊ । प्रदेश के शिक्षा निदेशक रहे समाजवादी पार्टी से विधान परिषद के सदस्य वासुदेव यादव अब आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस गए हैं। उनके खिलाफ सर्तकता विभाग ने गुरुवार को केस दर्ज कर लिया है। विजिलेंस की जांच में फंसे वासुदेव यादव शिक्षा निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल में भी बेहद चर्चित रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद करीबी में शामिल समाजवादी पार्टी से विधान परिषद सदस्य वासुदेव यादव के खिलाफ विजिलेंस ने केस दर्ज कर लिया है। इसके बाद उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में विवेचना शुरू की जा रही है। इससे पहले खुली जांच में विजिलेंस की टीम ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से संपत्ति जुटाने के साक्ष्य एकत्र किए थे। अब शासन की अनुमति लेकर जांच एजेंसी ने अपने कदम को आगे बढ़ाते हुए केस दर्ज किया है।

समाजवादी पार्टी से एमएलसी व पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव के विरुद्ध सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने बीते महीने जांच में आय से अधिक संपत्ति प्राप्त की थी। मिली है। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विजिलेंस विभाग की सिफारिश पर वासुदेव यादव के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की अनुमति दे दी थी। प्रदेश में सूबे में भाजपा की सरकार के गठन के बाद पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव के विरुद्ध भ्रष्टाचार की कई शिकायतें सामने आई थीं। शासन ने 12 सितंबर 2017 को वासुदेव यादव की संपत्तियों की विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस ने उनके विरुद्ध खुली जांच की, जिसमें एक सितंबर 1978 से 31 मार्च 2014 के बीच वासुदेव यादव की आय के साथ खर्च तथा अॢजत की गईं चल-अचल संपत्तियों की पड़ताल की।

विजिलेंस जांच में सामने आया कि इस अवधि के दौरान वासुदेव यादव की कुल आय करीब 89.42 लाख रुपये थी, जबकि उन्होंने 1.86 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां अॢजत कीं। इस जांच में कुल आय से दो गुना से भी अधिक खर्च करने के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद विजिलेंस ने उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। उनकी कई अन्य बेनामी संपत्तियों की जानकारियां भी सामने आई हैं। इसके शासन ने न्याय विभाग से विधिक सलाह लेने के बाद एमएलसी वासुदेव के विरुद्ध आगे की कार्रवाई की अनुमति प्रदान की।

बड़ा था वासुदेव यादव का रुतबा: वासुदेव यादव अखिलेश सरकार में बेहद रसूखदार थे। सपा सरकार में उनके प्रभाव का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग में निदेशक स्तर के अन्य अफसरों के रहते हुए भी उन्हेंं माध्यमिक शिक्षा के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक की कुर्सी भी सौंप दी गई थी। इतना ही नहीं, अखिलेश सरकार के सत्तारूढ़ होते ही उनके खिलाफ चल रहीं तमाम जांचें एक-एक कर खत्म कर दी गईं और उन्हेंं माध्यमिक शिक्षा निदेशक बनाया गया। इसके कुछ दिनों बाद तत्कालीन बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश चंद्र कनौजिया को हटाकर वासुदेव को इस कुर्सी पर भी बैठा दिया गया। उन्हेंं दो विभागों का निदेशक बनाए जाने पर हाईकोर्ट ने भी सरकार से सवाल किया था और फिर उन्हेंं इनमें से एक पद से हटाने के लिए कहा था लेकिन वह दोनों कुॢसयों पर बने रहे। अखिलेश सरकार में उनकी पहुंच का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हेंं सेवा विस्तार देने के प्रस्ताव से असहमति जताने पर तत्कालीन प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार को वर्ष 2014 में सरकार ने निलंबित कर दिया था। उनके इस निलंबन की वजह लैपटॉप वितरण में लापरवाही बताई गई थी।

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