अब क्रिएटिव एजुकेशन का जमाना : प्रो. भागवत

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के तीन दिनी फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम-एफडीपी में बोले ईएनपीओओएस इण्डिया, पुणे के डायरेक्टर प्रोफेसर अजय भागवत
खास बातें
इवैल्यूएशन एजुकेशन सिस्टम कल की बात : मुख्य वक्ता
वर्चुअली एफडीपी में 250 अध्यापकों ने किया प्रतिभाग
कर्नाटक, वेस्ट बंगाल, जम्मू-कश्मीर से भी जुड़े टीचर्स
वीसी बोले, ओबीई से शिक्षा पद्धति में आमूलचूल बदलाव
एफडीपी के दौरान चला सवाल-जवाब का दौर भी
अंत में निदेशक प्रो. एमपी सिंह बोले, सभी का शुक्रिया
इवैल्यूएशन एजुकेशन सिस्टम वक्त के साथ-साथ पुरानी बात हो गई है। अब क्रिएटिव एजुकेशन सिस्टम का जमाना है। ऐसे में आउटकम बेस्ड एजुकेशन-ओबीई वरदान है। ओबीई शिक्षा क्रांति है। यह मानना है, ईएनपीओओएस इण्डिया, पुणे महाराष्ट्र के डायरेक्टर प्रो. अजय भागवत का। प्रो. भागवत तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित तीन दिनी एफडीपी- फैकल्टी डवलवमेंट प्रोग्राम में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इससे पूर्व छात्र कल्याण निदेशक प्रो. एमपी सिंह ने मुख्य वक्ता प्रो. अजय भागवत, टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह के साथ-साथ एफडीपी में यूपी, एनसीआर के अलावा कर्नाटक, वेस्ट बंगाल, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, एमपी, छत्तीसगढ़ सरीखे सूबों से शिरकत कर रहे मेहमानों का गर्मजोशी से अभिनन्दन किया। एफडीपी का श्रीगणेश टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर के अध्यक्षीय भाषण से हुआ। प्रो. सिंह बोले, अब तक मूल्यांकन प्रक्रिया अंक और डिग्री पर आधारित होती थी, लेकिन अब बड़ा बदलाव आया है। अब हम डिग्री के साथ-साथ सर्वांगीण विकास की भी बात करते हैं।
मुख्य वक्ता प्रो. भागवत परिणामात्मक पाठ्यक्रम पर आधारित शिक्षण पद्धति के बारे में विस्तार से बताते हुए बोले, ज्ञान एक सतत प्रक्रिया है। यह अपने अध्यापकों, अपनी बुद्धिमत्ता और अपने साथियों से जीवन भर मिलता रहता है। उन्होंने आउटकम बेस्ड एजुकेशन की आवश्यकता और शिक्षण पद्धति की शब्दावली को पीपीटी के माध्यम से समझाया। एक स्नातक विद्यार्थी के गुणों की चर्चा करते हुए उन्हें तीन भागों- बोध, कौशल, अभिवृत्ति में बांटा। जाने-माने मनोवैज्ञानिक लोरिन एडरसन के ज़रिए संशोधित ब्लूम टैक्सोनाॅमी के विभिन्न चरणों जैसे स्मरण, बोध, प्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन और सृजनात्मकता को वर्तमान पाठ्यक्रम का आधार बताया। शिक्षा पद्धति में कोर्स आउटकम और प्रोग्राम आउटकम को सुनिश्चित करने के लिए संशोधित ब्लूम टैक्सोनाॅमी के एक्शन, वर्ब को प्रयोग में लाने पर जोर दिया। पाठ्य परिणाम को डिज़ाइन करने की प्रक्रिया समझाते हुए बताया, प्रश्न और सत्रीय कार्य दोनों ही पाठ्य परिणाम के अनुसार बनाने चाहिए। इन्हें बनाते समय हमें संज्ञानात्मक, क्रियात्मक और भावात्मक प्रक्रियाओं का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों के मध्य में होने वाले विचार विमर्शों को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया। प्रो. भागवत ने परिणात्मक शिक्षा प्रणाली को योगात्मक और रचनात्मक माध्यम से समझाते हुए विद्यार्थी मूल्यांकन प्रणाली पर भी विस्तार से चर्चा की। मूल्यांकन प्रक्रिया में कोर्स और पाठ्यक्रम परिणाम की भूमिका समझाते हुए उन्होने कमजोर विद्यार्थियों को पहचान करने की प्रक्रिया और उपचारात्मक शिक्षा पद्धति बताई।
अध्यक्षीय भाषण में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह बोले, आउटकम बेस्ड एजुकेशन-परिणामात्मक शिक्षा प्रणाली देश-विदेश की शिक्षा पद्धति को एक साथ जाेड़ती है। बोले, ओबीई के क्रियान्वयन से शिक्षा पद्धति में बदलाव आया है। अब तक मूल्यांकन प्रक्रिया अंक और डिग्री पर आधारित होती थी, लेकिन अब बड़ा बदलाव आया है। अब हम डिग्री के साथ-साथ सर्वांगीण विकास की भी बात करते हैं। कोरोना काल ने स्थिति पूरी तरह से बदल दी है। वर्तमान शिक्षा में तकनीकी पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। हम परिणामात्मक आधारित शिक्षा पद्धति में यह निश्चिंत करने की कोशिश कर रहे हैं, विद्यार्थी ये जाने कि वे क्या और कैसे सीखेंगें? हमें ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करना है, जिनका डिग्री के साथ-साथ सर्वागीण विकास भी हो सके। तीर्थंकर कुंथुनाथ कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन के प्राचार्य डॉ. विनोद जैन ने बताया, एफडीपी में भगवान आदिनाथ कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, भगवान नेमिनाथ कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, भगवान शांतिनाथ कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, श्री प्रेम प्रकाश मैमोरियल कॉलेज, श्रीमती मालदेवी कॉलेज के तीन दर्जन से अधिक टीचर्स ने भाग लिया। एफडीपी का संचालन मिस रूबी शर्मा ने किया।