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उत्तर प्रदेश

9 दिन चंडी पाठ और महायज्ञ के अंतिम दिन राम मंदिर का शिलान्यास

9 दिन चंडी पाठ और महायज्ञ के अंतिम दिन राम मंदिर का शिलान्यास
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वाराणसी

रिपोर्टर:-महेश पाण्डेय

9 दिन चंडी पाठ और महायज्ञ के अंतिम दिन राम मंदिर का शिलान्यास

• अयोध्या में रामलला मंदिर का शुभ मुहुर्त देने वाले गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने ही साकेत भूषण श्रीराम मंदिर के शिलान्यास का शुभ मुहुर्त दिया।

• मंदिर में सभी जातियों और धर्मों के लोगों की दी हुयी शिला लगेगी।

• मंदिर में सभी विग्रह पीतल के होंगे।

• भगवान साकेत भूषण श्रीराम के साथ वानरराज, राक्षसराज, पक्षीराज, अयोध्या, जनकपुरी का परिवार, वाल्मिकी, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शुक्राचार्य, गुरू बृहस्पति के काल की मूर्तियां मुरादाबाद में तैयार हो रही है।

• मुरादाबाद के रऊफ अली 54 मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं।

• श्री इन्द्रेश आश्रम में बनने वाले साकेत भूषण श्रीराम का मंदिर रामपंथ का विश्व का पहला मंदिर होगा।

• विश्व का पहला मंदिर जिसमें रामायण काल के राम के कृपा सभी पात्र मौजूद रहेंगे।

• वैदिक विद्वान पंडित अनुज पाण्डेय एवं पंडित प्रदीप शास्त्री ने वैदिक विधि विधान से शुभ मुहुर्त 11:48 बजे से 12:02 बजे अपराह्न में शिलान्यास कराया।

• श्रीराम पंथ के प्रथम गुरू डा० राजीव 'श्री गुरूजी' ने शिलान्यास पूजन की यजमानी की।

• सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक सम्बन्ध और सबके सम्मान का मंदिर होगा।

अधर्म पर धर्म की विजय विजयादशमी के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके अधर्म पर धर्म की विजय सुनिश्चित की थी। श्री रामपंथ की स्थापना दुनियां को अधर्म और अशांति से बचाने के लिये की गयी है। इसलिये विजयादशमी के दिन से रामपंथ के वैश्विक विस्तार की घोषणा की गयी। श्री इन्द्रेश आश्रम एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे हनुमान चालीसा हवनात्मक यज्ञ के अंतिम दिन डा० राजीव श्री गुरूजी के साथ नजमा परवीन एवं किन्नरगुरू निशा दीदी ने यज्ञ में आहुति डाली। साकेत भूषण श्रीराम के साथ 53 ऋषियों, देवपुत्रों, वानरराज, राक्षसराज, गुरूओं, अयोध्या एवं जनपुरी के परिवारजनों के मंदिर निर्माण हेतु शुभ मुहुर्त 11:48 बजे से 12:02 बजे अपराह्न पर शिलान्यास किया गया।

इन्द्रेश नगर में बनने वाले साकेत भूषण श्रीराम मंदिर का शुभ मुहुर्त काशी के प्रसिद्ध ज्योतिष वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था। गणेश्वर द्रविड़ वही हैं जिन्होंने अयोध्या में रामलला मंदिर के शिलान्यास का मुहुर्त निकाला था। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के शिष्य पंडित अनुज पाण्डेय एवं पंडित प्रदीप शास्त्री ने विधि विधान से श्री रामपंथ के प्रथम प्रवर्तक डा० राजीव 'श्री गुरूजी' द्वारा शिलान्यास कराया। काशी में साकेत भूषण श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु शिलान्यास का मुहुर्त विजयादशमी का निकला। श्री रामपंथ के माध्यम से श्रीराम आस्थावाद का प्रचार-प्रसार पूरे विश्व में किया जायेगा ताकि दुनियां को अधर्म और अशांति से बचाया जा सके। साकेत भूषण श्रीराम मंदिर में 53 विग्रहों को स्थान मिलेगा, जिसमें ऋषि, देवपुत्र, वानरराज, राक्षसराज, पक्षीराज सभी शामिल हैं, जिन्होंने रामराज्य और धर्म को विजय दिलाने में भगवान श्रीराम का साथ दिये। साकेत भूषण श्रीराम की मूर्ति काले ग्रेनाइट की एवं माता जानकी की मूर्ति सफेद संगमरमर की बनेगी। बाकी मूर्तियां पीतल की होंगी, पीतल की मूर्ति मुरादाबाद में बनायी जा रही हैं, जिसे रऊफ अली बना रहे है। श्रीराम मंदिर में सभी धर्मों, जातियों के लोगों द्वारा दी गयी शिला लगायी जायेगी। रामपंथ का विश्व का पहला मंदिर सभी धर्मों एवं जातियों के लोगों के लिये खुला रहेगा। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिये सुभाष भवन में 9 दिन तक चण्डीपाठ किया गया। प्रतिदिन 108 बार हनुमान चालीसा हवनात्मक महायज्ञ एवं शिला पूजन किया गया जिसमें मुख्य यजमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार थे। इसी महायज्ञ के बाद शिलान्यास किया गया।

इस कार्यक्रम में श्री इन्द्रेश आश्रम के संस्थापक प्रवर्तक इन्द्रेश कुमार के शिष्य डा० राजीव 'श्री गुरूजी' ने कहा कि विजयादशमी के दिन साकेत भूषण श्रीराम मंदिर का शिलान्यास पूरे विश्व के देशों के लिये सांस्कृतिक संबंध का प्रतीक स्थल बनेगा। हिंसा और अधर्म से बचाने के लिये रामपंथ अग्रणी भूमिका निभायेगा और दुनियां के मतों, पंथों और धर्मों के बीच समन्वय का कार्य करेगा। जो श्रीराम को अपना पूर्वज मानते हों वे सभी सांस्कृतिक रूप से एक मत होने एवं विश्व कल्याण के लिये रामपंथ अपना सकते हैं। जो किसी भी तरह से पीड़ित हुये हैं या किसी तरह के भेदभाव के शिकार हैं उनके लिये रामपंथ का दरवाजा खुला है। प्रभु श्रीराम की तरह सभी को गले लगाने के लिये तैयार हैं। इतिहास इस मंदिर से हमेशा सबक लेता रहेगा।

श्रीरामपंथ का आचार्य पंडित अनुज पाण्डेय एवं पंडित प्रदीप शास्त्री को नियुक्त किया गया।

इस कार्यक्रम में चट्टो बाबा, रमेश शर्मा, डा० मुकेश प्रताप सिंह, डा० भोलाशंकर, डा० गुंजा गुप्ता, डा० निरंजन श्रीवास्तव, हितेन्द्र श्रीवास्तव, रवीश श्रीवास्तव, मो० अजहरूद्दीन, अर्चना भारतवंशी, नाजनीन अंसारी, डा० मृदुला जायसवाल, खुशी रमन, उजाला, इली, दक्षिता, शालिनी आदि लोगों ने भाग लिया।

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