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चुनाव 2019

ग्राउंड रिपोर्ट मोहनलालगंज: कौशल को मोदी का सहारा गठबंधन व कांग्रेस में बंटवारा

ग्राउंड रिपोर्ट मोहनलालगंज: कौशल को मोदी का सहारा गठबंधन व कांग्रेस में बंटवारा
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राजधानी लखनऊ से उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर और बाराबंकी संसदीय सीट को जोड़ने वाली लखनऊ की दूसरी सीट मोहनलालगंज (सुरक्षित) में सांसद कौशल किशोर की नैया मोदी के सहारे गठबंधन के भंवर से निकलने की कोशिश कर रही है। लोग नाराज हैं। पर, मोदी नाम का सहारा कौशल की उम्मीदें बंधाता है। लोग पीएम मोदी को जिता रहे हैं। उज्ज्वला, घर, शौचालय और किसान सम्मान राशि की खातिर ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान को सबक सिखाने और हिंदुत्व से जुड़े स्थलों के विकास के कारण भी। गठबंधन के सीएल वर्मा और भाजपा की लड़ाई को कांग्रेस के आरके चौधरी जिस तरह त्रिकोणीय बना रहे हैं, उससे भी कौशल को राहत है।

यहां की पांच विधानसभा सीटों में से सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, बख्शी का तालाब, मलिहाबाद तो लखनऊ में आती हैं जबकि सिधौली सीतापुर में। तीन पर भाजपा विधायक हैं जबकि मोहनलालगंज में सपा के अंबरीश पुष्कर और सिधौली से बसपा के हरगोविंद भार्गव विधायक हैं। सबसे अधिक 4 लाख रावत यानी पासी बिरादरी के मतदाता हैं। पर, तीनों प्रत्याशी एक ही जाति के होने से वोटों में बंटवारा दिख रहा है। 2.53 यादव मतदाताओं में से ज्यादातर गठबंधन के साथ हैं, तो 2.21 लाख जाटव भी इसमें जुड़ गए हैं। पर, पासी जाति में बंटवारा और 2.15 लाख ब्राह्मण, 1.77 लाख ठाकुर और पौने दो लाख लोधी व मौर्य मोदी के नाम पर कौशल को ताकत दे रहे हैं। 1.50 लाख मुस्लिम फिलहाल बहुत मुखर नहीं है।

सीट का इतिहास भी दिलचस्प

मोहनलालगंज का हिस्सा पहले रायबरेली और उन्नाव संसदीय सीट के बीच बंटा था। यह सीट 1962 में बनी। पहले तीन चुनाव कांग्रेस की गंगा देवी जीतीं। इसके बाद सपा की रीना चौधरी दो बार जीतीं। इनके अलावा आज तक कोई प्रत्याशी लगातार दो बार नहीं जीता। यहां से कांग्रेस पांच बार, सपा चार बार, भाजपा तीन बार और जनता दल व लोकदल प्रत्याशी एक-एक बार जीते हैं।

ऐतिहासिक स्थल भी हैं मुद्दा

क्रांतिकारियों की स्मृति में काकोरी में बना स्मारक, आम के लिए मशहूर मलिहाबाद, पुरातात्विक स्थल हुलासखेड़ा समेत कई प्रमुख मंदिर भी यहां हैं। लोगों का दर्द है कि न पहले वालों ने ध्यान दिया और न मौजूदा सांसद ने। आम बागान के किसानों के लिए सुविधाओं का अभाव और छुट्टा पशुओं के आश्रय स्थलों की दुर्दशा भी क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है।

इस वादे को कब पूरा करेंगे मोदी

बाग मालिकों का दर्द है कि मोदी ने आम किसानों के लिए कई वादे किए, पर एक भी पूरा नहीं हुआ। मो. शरीफ कहते हैं कि गठबंधन और भाजपा में मुकाबला है। अखिलेश ने मंडी बनवानी शुरू की, उसका काम बंद हो गया। बिजली महंगी हो गई। सिंचाई के दाम बढ़ गए। आम निर्यात की सुविधा और आम फसल सुरक्षित रखने की योजना नहीं।

मोदी मैजिक का भरोसा बरकरार

करौरा बाजार में पान की दुकान पर मिले श्रवण मिश्र कहते हैं, 'किसान सम्मान राशि नहीं मिली क्योंकि लेखपाल नाराज है। सांसदजी पांच साल में एक बार भी नहीं आए, पर वोट मोदी को दूंगा।' मोहाली के रामआधार और करौरा के गरीबे को गठबंधन भारी दिख रहा है। सेवईं रेलवे क्रॉसिंग पर मिले रामपाल खुद को कौशल का रिश्तेदार बताते हुए कहते हैं, कौशल नाहीं मिले और न काम किहिन। मुल मोदी का तौ जितावे का ही है। यहीं रामचरन यादव कहते हैं, 2014 और 2017 में भाजपा को वोट दिया। पर, सांसद के दर्शन तक नहीं हुए। इस बार गठबंधन को दूंगा। आशीष शुक्ल और गुड्डू द्विवेदी भी कहते हैं, चुनाव कौशल का नहीं, मोदी का है। पाकिस्तान को सबक सिखाने का माद्दा मोदी में ही है। इसलिए कौशल हों या कोई और होता तो, उसे वोट देते। श्रीकांत और सौरभ कहते हैं, मोहनलालगंज में सरकारी डिग्री कॉलेज न होना तकलीफ देता है। इलाज के लिए वर्षों पहले खुले एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का सहारा है। स्थानीय सांसद के काम और छवि पर वोट मिलना होता तो न मिलता।

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