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‘समाजवादी खाद्यान्न योजना’ बुंदेलखंड में कारगर प्रयास

बुंदेलखंड में सूखे की सियासत के बीच सरकार फौरी राहत देने पर विचार कर रही है। इसके तहत वहां के लोगों को आटा, चावल और दाल देने का प्रस्ताव है। इसे ‘समाजवादी खाद्यान्न योजना’ या अन्य किसी रूप में लागू किया जा सकता है।

शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की गंभीर समस्या बनी हुई है। वहां खेती करने लायक जमीन के 50 फीसदी हिस्से पर फसलों की बोवाई नहीं हो पाई है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दाखिल है।

विधानमंडल के दोनों सदनों में सूखे की समस्या लगातार उठ रही है और इस पर चर्चा मंजूर हो चुकी है। बुंदेलखंड के सात जिलों की 96 लाख की आबादी के 80 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा दी जा रही है। इसके बावजूद वहां की स्थिति विषम बनी हुई है। इन परिस्थितियों में सरकार फौरी राहत उपायों पर गंभीरता से विचार कर रही है।

अधिकारी ने बताया कि खाद्य एवं रसद विभाग ने इस बारे में एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें राहत योजना के कई विकल्प सुझाए हैं। विभाग ने यह भी बताया है यह योजना राज्य आपदा मोचक निधि के अंतर्गत शुरू की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने इसके दिशानिर्देश तय कर रखे हैं। इसे तीन महीने तक लगातार चालू रखा जा सकता है। मगर, जानकार बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष में इस निधि में 50 करोड़ रुपये भी नहीं बचे हैं। दैवी आपदा के विभिन्न मदों में निधि का ज्यादातर हिस्सा पहले ही खर्च हो चुका है।

ऐसे में फौरी राहत कैसे दी जाए, इस पर विचार के लिए गुरुवार को मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हो रही है। इसमें इन प्रस्तावों पर विस्तृत विचार-विमर्श कर निर्णय होने की संभावना है।

खाद्य विभाग के चार सुझाव
बुंदेलखंड के 298575 समाजवादी पेंशन धारकों को प्रतिमाह 10 किलो आटा, पांच किलो अरहर दाल व एक लीटर खाद्य तेल दिया जाए। दूसरा, वहां 234246 अंत्योदय लाभार्थियों को प्रतिमाह 10 किलो आटा, पांच किलो अरहर दाल, एक लीटर खाद्य तेल दिया जाए।

तीसरा, सभी परिवारों को प्रतिमाह 10 किलो आटा, पांच किलो अरहर दाल, एक लीटर खाद्य तेल दिया जाए। चौथा, अरहर दाल के बजाय चने की दाल दी जाए। या सिर्फ 10 किलो चावल और 10 किलो दाल दी जाए।
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