प्रवृत्ति में कार्य के संग फल की इच्छा रहती हैं जबकि निवृत्ति में बिना फल या अपने लाभ के लिए कार्य होता है
आजमगढ़
डीएम एनपी सिंह ने 31 मई को सेवानिवृत्त होने से पूर्व पत्रकारों संग अंतिम औपचारिक वार्ता में आने वाले दिनों में अपनी कार्ययोजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति बहुत ही भ्रामक शब्द है इससे भ्रामक रिटायरमेंट है। उन्होंने बताया कि इसलिए सेवा समाप्ति शब्द नहीं दिया गया। बल्कि इसके उपरान्त सेवा का स्वरुप बदल जाता है। गीता के श्लोक की व्याख्या कर कहा कि दो प्रकार के कार्य होते हैं एक प्रवृत्ति व दूसरा निवृत्ति। प्रवृत्ति में कार्य के संग फल की इच्छा रहती हैं जबकि निवृत्ति में बिना फल या अपने लाभ के लिए कार्य होता है। वह अब तक प्रवृत्ति से जुड़े रहे। इसमें कार्य जिम्मेदारी सांग करना होता है लेकिन यह शासन के बंधन में होता है। इसके अलावा आख्या नहीं कर सकते लेकिन सेवा निवृत्ति बाद वह आत्मा की आवाज़ पर आदिवासियों, वनवासियों, सिर पर मैला धोने वालों, कुष्ठ रोगियों के बीच वन्यांचल ग्राम्यांचल में कार्य करने की मंशा जताई। वहीं हिंदी पत्रकारिता दिवस पर पत्रकारों को शुभकामना देते हुए यहाँ पर वर्ष के कार्य के लिए सहयोग पर पत्रकारों को धन्यवाद भी दिया।
रिपोर्ट:-राकेश वर्मा आजमगढ़