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उत्तर प्रदेश

सीजेआई कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाने पर, सूचना कानून जागरूकता समिति ने स्वागत किया

सीजेआई कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाने पर, सूचना कानून जागरूकता समिति ने स्वागत किया
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रधान न्यायधीश सीजेआई के कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाए जाने के फैसले का सूचना कानून जागरूकता समिति की बैठक में स्वागत किया गया। सूचना कानून जागरूकता समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ कमल एडवोकेट ने कहा कि वर्ष 2007 में आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने आरटीआई याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी थी। तब से यह मामला चर्चा में आया था। वर्ष 2010 में शीर्ष अदालत के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर की गई अपीलोन पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। कहा गया है कि ट्रांसपेरेंसी ज्यूडिशियल इंडिपेंडेंसी को कमतर नहीं आंकती है। यह जनहित में लिया गया बड़ा फैसला है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि चीफ जस्टिस का पद सूचना के अधिकार के दायरे में आता है। इस आदेश के खिलाफ ही शीर्ष अदालत में अपीलें दायर की गई थीं। आरटीआई एक्टिविस्ट मोहम्मद आसिफ कमल ने कहा कि इस फैसले से सभी आरटीआई कार्यकर्ताओं में ख़ुशी का माहौल है।8 साल बाद आए फैसले का सभी कार्यकर्ता स्वागत करते हैं।



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