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उत्तर प्रदेश

सड़कों की दुर्दशा पर CM योगी खफा, PWD समेत चार विभागों के टेंडरों का होगा ऑडिट

सड़कों की दुर्दशा पर CM योगी खफा, PWD समेत चार विभागों के टेंडरों का होगा ऑडिट
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लखनऊ, । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश की सभी सड़कें 15 नवंबर तक गड्ढा मुक्त कर दी जायें। खराब सड़कों पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए जवाबदेही तय की जाएगी। सड़कों की दुर्दशा से योगी इतने खफा थे कि उन्होंने लोक निर्माण व ऊर्जा समेत चार विभागों में दो वर्षों में हुए सभी टेंडरों का ऑडिट करवाकर जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए। नगर विकास विभाग और सिंचाई विभाग के टेंडरों की भी आडिट होगा।

लोकभवन में गुरुवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि जिन जिलों में बिना कार्य किये ही रकम निकाली गई है, वहां पर सख्त कार्रवाई की जाये। मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंची है कि देवरिया और बस्ती समेत कई जिलों में बिना कार्य हुए धनराशि अवमुक्त कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने खराब सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को भी कहा।

मुख्यमंत्री दरअसल, बुधवार को चुनावी दौरे पर मऊ जिले की घोसी विधान सभा में गए थे। जनसभा को संबोधित करते हुए देरी हो जाने से उनका हेलीकाप्टर उड़ नहीं सका। वह सड़क मार्ग से करीब 125 किलोमीटर की दूरी तय कर वाराणसी गए। हिचकोले खाती गड्ढे वाली सड़कों पर चलकर उन्हें आम जनमानस को होने वाली पीड़ा का अहसास हुआ। इसके बाद योगी ने गुरुवार को बैठक बुलाकर अफसरों की जमकर क्लास लगाई।

गोरखपुर-वाराणसी मार्ग के ठेकेदारों और अफसरों पर होगी कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय मार्गों की हालत बहुत ही खराब है। जहां निर्माण चल रहा है वहां कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं। उन्होंने एनएचएआइ के अधिकारियों को गोरखपुर-वाराणसी,मऊ-गोरखपुर और मऊ-वाराणसी मार्ग का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य सचिव आरके तिवारी से इसकी समीक्षा कर अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखने को कहा।

शहरी क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर 30 फीसद करें

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अभी प्रदेश में 22 फीसदी नगरीय क्षेत्र है, अगले दो साल में इसे बढ़ाकर 30 फीसद किया जाए। शहरों के इर्दगिर्द विकसित हो रही अनियमित आवासीय कालोनियों को नगरीय क्षेत्र में शामिल कर लिया जाए।

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