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भारत की कूटनीति रंग लाई, आतंक की नर्सरी के खात्मे की नीति पर रूस और चीन भी सहमत

भारत की कूटनीति रंग लाई, आतंक की नर्सरी के खात्मे की नीति पर रूस और चीन भी सहमत
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पुलवामा हमले के बाद आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को अंतराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की दिशा में भारत को अहम कामयाबी मिली है। बुधवार को रूस के साथ ही पाकिस्तान का करीबी मित्र चीन भी आतंकवाद की नर्सरी के विनाश के लिए करीबी नीतिगत समन्वय बनाने पर सहमत हुआ।

पूर्वी चीन के शहर वुझेन में रूस, भारत और चीन (आरआइसी) विदेश मंत्रियों की बैठक में यह प्रतिबद्धता उभरी। जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के बाद यह बैठक हुई है।

बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 'हम सभी प्रकार के आतंकवाद से संयुक्त रूप से मुकाबला करने के लिए सहमत हैं। यह काम करीबी नीतिगत समन्वय और व्यावहारिक सहयोग के माध्यम से किया जाएगा। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आतंक और कट्टरता की नर्सरी को नष्ट करना है।'

चीन के विदेश मंत्री का आतंक की नर्सरी को खत्म करने का उल्लेख भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान में जैश के ठिकानों पर भारत के हवाई हमलों को न्यायसंगत ठहराता है। पूरी दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पालन-पोषण कर रहा है।

बैठक के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव व भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया। पुलवामा हमले पर भारत व चीन के बीच मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर सुषमा स्वराज ने आतंकवाद के पोषण स्थलों का खात्मा करने के चीनी विदेश मंत्री के वादे का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है। यह सिर्फ तीन देशों के लिए नहीं है। हमें इस पर वैश्विक सहयोग की जरूरत है।

स्वराज ने बताया कि तीनों देश संयुक्त राष्ट्र के आतंकवादरोधी तंत्र बनाने पर सहमत हुए हैं। भारत के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक कन्वेंशन के तंत्र को भी जल्द से जल्द अंतिम रूप देने व अपनाने पर विचार-विमर्श किया है। बैठक के अंत में जारी संयुक्त वक्तव्य में भी आतंकवाद के खिलाफ कठोरता से निपटने का जिक्र किया गया है।

इससे पूर्व चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाकात में सुषमा स्वराज ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलवामा हमला पाकिस्तान द्वारा आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद को दिए जा रहे संरक्षण का नतीजा था।

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