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उत्तर प्रदेश

मुजफ्फरनगर : 100 से अधिक गायों की मौत, अधिकारियों में मचा हड़कंप

मुजफ्फरनगर : 100 से अधिक गायों की मौत, अधिकारियों में मचा हड़कंप
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मुजफ्फरनगर जिले में करीब एक सप्ताह के अंदर बीमारियों की चपेट में आकर 100 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है। गायों की लगातार बीमारियों से हो रही मौतों से गोपालकों में पशु चिकित्सा अधिकारियों के प्रति आक्रोश व्याप्त है। गोपालकों ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण पशुओं में फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। गोवंश की रक्षा के दावे धरातल पर धड़ाम हो गए हैं।

प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले में बीमारी की चपेट में आकर गायों की लगातार मौतें हो रही हैं। करीब एक सप्ताह पहले गांव खाईखेड़ा में बेसहारा गोवंश की व्यवस्था अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि गंगा किनारे 100 अधिक गायों की भयंकर बीमारी से मौतें होने से प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मच गई। मृत गायों की मौत का कारण जानने के लिए सोमवार को पशु चिकित्सकों की एक टीम गंगा खादर पहुंचीं। टीम ने मृत गायों का मेडिकल परीक्षण किया।

ककरौली क्षेत्र के जलालपुर बेहड़ा क्षेत्र के गंगा किनारे स्थित सरकारी भूमि पर स्थित चारागाहों में बीमारी से गाय मरने लगीं। करीब दो तीन दिन के भीतर कई गोपालकों की 100 से अधिक गायें मर गईं। गंगा किनारे स्थित श्री परमधाम गोशाला के सेवक अमित कुमार व पंकज ने बताया कि भूमाफिया ने प्रशासनिक अधिकारियों से साठगांठ कर चारागाहों पर कब्जा कर गेहूं की फसल बो दी है।

सोमवार को पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक सहारनपुर डा. यशपाल सिंह नायक के नेतृत्व में पशु चिकित्सा अधिकारी मोरना अखिलेश, डा. हेमेंद्र भोपा, डा. हरेंद्र ककरौली, डा. रविदीप भोकरहेड़ी, सुशील कुमार आदि चिकित्सकों टीम ने मृत गायों का मेडिकल परीक्षण किया। कानूनगो ओमप्रकाश चौहान, ऐनुल हसन आदि मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराते रहे।

वहीं, परमधाम न्यास के मीडिया प्रभारी अमित, उपेंद्र, अरुण, नीटू, पंकज, रजत, मनीष, रामकेश, ज्ञानेंद्र, विपिन आदि ने बताया कि इस मामले को लेकर वे जिलाधिकारी से मिलकर अवगत कराकर गोवंश की रक्षा के लिए व्यवस्था कराए जाने की मांग करेंगे।

गंगा किनारे गाय छोडऩे से किसानों में रोष

बेसहारा गोवंश को गंगा किनारे छोड़ने को लेकर किसानों में रोष व्याप्त है। गंगा किनारे स्थित गांव बिहारगढ़ के ग्रामीणों ने बताया कि आवारा गोवंश उनकी फसलों को उजाड़ रहे हैं।

गंगा किनारे गाय छोड़ने जा रहे ग्रामीण को लौटाया

गंगा किनारे गाय छोड़ने जा रहे व्यक्ति को बिहारगढ़ के ग्रामीणों ने रोक लिया। मौके पर मौजूद सहायक निदेशक डा. यशपाल सिंह नायक ने ग्रामीण को फटकार लगाते हुए कहा कि वह क्यों गाय को गंगा किनारे छोड़ रहे हैं। अपने घर पर रखकर उसकी सेवा क्यों नहीं करते। बिना किसी व्यवस्था के भगवान भरोसे गोवंश को छोड़ने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। गंगा खादर में उचित व्यवस्था न होने के कारण गत दिनों ओलावृष्टि व वर्षा के कारण तेज ठंड के कारण भूखी रह रही गायों को ठंड लग गई, जिससे उन्हें निमोनिया हो गया, जिसके कारण उनके मरने की पुष्टि पोस्टमार्टम द्वारा हुई है।

जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचे पशु पालकों का दर्द बांटने

गांव खाईखेड़ा के बाद गंगा खादर क्षेत्र में गायों के मरने के बाद भी क्षेत्र के विधायक व बिजनौर सांसद गोवंश की सुध लेने अभी तक नहीं पहुंचे हैं। इसके अलावा अन्य भाजपा नेताओं ने भी अभी तक गोवंश से किनारा किया हुआ है, जिसे लेकर शहीद भगत सिंह गोसेवा समिति उप्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास अग्रवाल, प्रदेश महामंत्री कशिश गोयल, प्रदेश संयोजक सतेंद्र एडवोकेट, मुजफ्फरनगर नगराध्यक्ष शुभम तायल आदि ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व से ही गोवंश की सेवा के लिए बनाई गई योजनाएं पूर्ण रूप से विफल हो चुकी है। गोवंश के लिए किसी प्रकार का कोई इंतजाम प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा है। कामधेनु योजना के नाम से भी प्रदेश सरकार द्वारा गोवंश के लिए बजट पेश हुआ है। प्रत्येक जिलाधिकारी को इसका विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है, लेकिन जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर द्वारा प्रदेश की सरकार की ओर से गायों के लिए बनाई गई योजनाओं को पूर्ण रुप से नजरअंदाज किया जा रहा है। इस संबंध में सीएम को शीघ्र की अवगत कराया जाएगा।

गांव में पशुओं का कराया टीकाकरण

मीरापुर के गांव टिकौला में दूषित पानी पीने से मरीं 36 गायों के मरने की खबर से पशु चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। चार पशु डाक्टरों की टीम ने गांव पहुंच कर पीड़ित पशुपालकों से जानकारी ली। गांवों में पशुओं का टीकाकरण किया।

रामराज थानाक्षेत्र के गांव टिकौला निवासी दीपचंद व सुखपाल आदि के परिजन अपनी गायों को लेकर प्रतिदिन खादर क्षेत्र में चराने के लिए जाते हैं। इसी दौरान गाय गंगनहर में रुके पानी को भी पीती हैं। इस दूषित पानी को पीने से एक माह के अंतराल में इन पशुपालकों की 36 गायें मर गई। पशु चिकित्सा विभाग के डॉ समीर बिंदल, डॉ ललित कुमार, डॉ कुलदीप कुमार, डॉ आदेश कुमार की टीम गांव टिकौला पहुंची और पीड़ित पशुपालकों से विस्तृत जानकारी ली। गांव के सभी पशुओं का टीकाकरण किया गया। डाक्टरों ने पशुपालकों से कहा कि भविष्य में यदि कोई गाय अथवा अन्य पशु मरता है तो उसका पोस्टमार्टम अवश्य कराएं और पशुओं को दूषित पानी से बचाएं। पशुओं के बीमार होने पर तुरंत पशु चिकित्सालय को जानकारी दें।

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