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सीबीआई पर महासंकट : तीन राज्यों ने लगाया बैन, कई दूसरे प्रदेश भी कर रहे तैयारी

सीबीआई पर महासंकट : तीन राज्यों ने लगाया बैन, कई दूसरे प्रदेश भी कर रहे तैयारी
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आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच चल रहे विवाद में सीबीआई पर महासंकट आ सकता है। देश की सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय जांच एजेंसी कही जाने वाली सीबीआई की विश्वसनीयता एवं साख पर जिस तेजी से सवाल खड़े हो रहे हैं, उसके चलते कई राज्यों ने अपने यहां इस एजेंसी पर बैन लगा दिया है।

पिछले साल अक्तूबर माह में सबसे पहले आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने राज्य में सीबीआई को छापा मारने या किसी मामले की जांच करने की सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बैनर्जी ने भी यह कहते हुए कि सीबीआई का अब राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए उन्होंने भी जांच एजेंसी की गतिविधियों पर बैन लगा दिया। संभव है कि कई दूसरे राज्य भी आने वाले समय में ऐसा ही कदम उठाएं।

शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने अधिकारिक तौर पर सीबीआई को राज्य में जांच करने और छापा मारने के लिये दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। इससे पहले राज्य सरकार ने 2001 में यह सामान्य सहमति केंद्रीय जांच एजेंसी को दी थी। यह सहमति वापस होने के बाद अब सीबीआई को यदि छत्तीसगढ़ में अदालत के आदेश पर कोई छापा मारना होगा तो उससे पहले राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा जांच एजेंसी उस राज्य में तैनात केंद्र सरकार के किसी अधिकारी के खिलाफ कोई जांच शुरू करनी है या रेड डालनी है तो भी राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ेगी।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने एक बयान में कहा, सीबीआई में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। केंद्र सरकार ने जिस तरीके से इस जांच एजेंसी का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया है, उससे लोगों का भरोसा सीबीआई से उठ गया है। आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद तो सीबीआई की साख पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। ऐसे हालात में कोई भी मुख्यमंत्री अपने राज्य में सीबीआई को केंद्र सरकार का एजेंडा सैट करने की छूट क्यों देगा। छत्तीसगढ़ में अब जांच एजेंसी को छापा मारने या किसी अधिकारी-कर्मचारी को जांच में दायरे में लेने की इजाजत नहीं होगी।

दूसरे राज्यों में भी सीबीआई के प्रवेश पर लग सकता है प्रतिबंध

आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने गत वर्ष सीबीआई के अपने राज्य में प्रवेश पर रोक लगाई थी।उनका कहना था कि सीबीआई एक स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं है। इसे जो ऊपर से कहा जाता है, यह करती है। इसका राजनीतिक तौर पर दुरुपयोग हो रहा है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने भी इस एजेंसी के कामकाज पर सवाल उठाए थे।

सीबीआई के जरिए केंद्र सरकार विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों के साथ अपनी राजनीतिक खुन्नस निकालती है। यही वजह रही कि उन्होंने अपने राज्य में भी सीबीआई को दी गई सामान्य रजामंदी वापस ले ली थी। शुक्रवार को अखिलेश यादव ने कहा, बड़ा सवाल यह है कि सीबीआई में जो कुछ चल रहा है कि उसकी जांच कौन करेगा।यह जांच एजेंसी केंद्र सरकार का खिलौना बन कर गई है। जो कोई पार्टी या राज्य सरकार, भाजपा की बात नहीं मानते तो उनके पीछे सीबीआई को लगा दिया जाता है।

कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी का कहना था कि सीबीआई जब स्वतंत्र नहीं है तो फिर राज्य इसे अपने यहां क्यों आने देंगे। अभी तीन राज्यों ने सीबीआई को दी सामान्य रजामंदी वापस ली है। अगर यही हालात रहे तो आगे कई अन्य राज्य भी ऐसा कदम उठा सकते हैं। यह गलत भी नहीं है। जब राज्यों को लगे कि जांच एजेंसी निष्पक्ष तरीके से काम कर रही है, तो सभी राज्य उसका सम्मान करेंगे।

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