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उत्तर प्रदेश

सपा के आलाकमान अपने विधायक "हरिओम यादव" की गिरफ्तारी पर निष्क्रिय क्यों ?

सपा के आलाकमान अपने विधायक हरिओम यादव की गिरफ्तारी पर निष्क्रिय क्यों ?
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"उत्तर प्रदेश" के जनपद-फिरोजाबाद में सपा के "राष्ट्रीय महासचिव" अपने पुत्र को फिरोजाबाद लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव जितवाने के लिये चंद वोटों के सौदे के लिये अपने ही कार्यकर्तायों की बली देने को तैयार ...

कल दिनांक 21/05/2018 को सुबह लगभग दस बजे जनपद-फिरोजाबाद के "सिरसागंज" के बीजेपी नेता एवं "पूर्व मंत्री" "जयवीर सिंह" एवं उनके पुत्र "अतुल" की शह पर थाना-सिरसागंज के अंतर्गत ग्राम-गढ़ी (पैगू) में एक सपा कार्यकर्ता "श्यामवीर सिंह" की सरेआम पीट-पीट कर बेरहमी से हत्त्या कर दी गई। इस सनसनीखेज हत्त्या पर वहाँ के सपा विधायक "हरिओम यादव" ने अपनी अभूतपूर्व जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुये म्रतक के परिजनों के साथ पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज ना करने पर लोकतांत्रिक रूप से प्रदर्शन किया।

अपराधियों के सत्ता पक्ष से जुड़े होने के कारण देर रात तक शासन के दवाव में स्थानीय प्रशासन ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया।

विधायक "हरिओम यादव" द्वारा पीड़ित पक्ष और जनता के साथ प्रदर्शन कर पुलिस पर निष्पक्ष जांच एवं मुकदमा दर्ज करने का दवाब बनाया गया जिसके परिणामस्वरूप शासन के तुगलकी फरमान पर म्रतक के परिजनों सहित सिरसागंज से सपा विधायक "हरिओम यादव" और उनके बेटे को जेल भेज दिया। इन सभी को जेल जाते देखकर इस तथाकथित रामराज्य में हालाँकि मुझे ज्यादा आश्चर्य नहीं हुया पर समाजवादी आलाकमान की निष्क्रियता देखकर बहुत आश्चर्य हुया।

अकेले सपा विधायक "हरिओम यादव" अपने स्तर पर स्थानीय जनता के साथ उच्चस्तरीय सक्रियता के साथ अदम्य साहस दिखाते देखे गये पर इसके उलट सपा आलाकमान बिल्कुल निष्क्रिय दिखा। म्रतक पक्ष के एक झून्ठे शिकायत-पत्र और हस्ताक्षर के आधार पर पंचनामा कर दिया गया और एक फर्जी शिकायत बनाकर इस मामले में एक कामचलाऊ मुकदमा दर्ज कर म्रतक के शव को आज देर रात उसके गांव भेज दिया गया और म्रतक के परिजनों को जेल। म्रतक के परिजनों को जेल इसलिये भेज दिया गया कि झूंठी पुलिसिया कहानी की पोल ना खुल सके।

अपराधी फरार और उनपर मुकदमा दर्ज करने की मांग करने वाले म्रतक के परिजन, विधायक हरिओम यादव और विधायक पुत्र के साथ जेल में।

अब बात करते हैं कि आलाकमान निष्क्रिय क्यों रहा?

आम जनता की माने तो फिरोजाबाद के सांसद "अक्षय यादव" सपा महासचिव "राम गोपाल यादव" के बेटे हैं और उनका अंदरखाने "जयवीरसिंह" से लोकसभा चुनाव में उनकी मदद करने का गुप्त समझौता है, इसलिये सपा का ही एक धड़ा (रामगोपाल समर्थक) इस मामले में "जयवीरसिंह" से मिले हुये हैं जिस कारण सपा आलाकमान अपने समर्थकों की बली देने पर तैयार है इसलिये निष्क्रिय है। हालांकि इसकी भनक वहां आम जनता को लग चुकी है और जनता इस बात पर बहुत आक्रोशित है। कहने वाले तो यहां तक कह गये कि अगर रामगोपाल में हिम्मत है तो इस बार ये सीट अपने बेटे को जिता कर दिखायें। ये बातें राजनेतायों के नैतिक चरित्र के छिछोरेपन को प्रदर्शित करती हैं पर असल सवाल ये है कि जो कार्यकर्ता दिनरात सपा के लिये लड़ाई लड़ते फिरते हैं उनके जीवन का मूल्य सपा आलाकमान की नजर में कितना है ?

सिर्फ अपने पुत्र के लिये चंद वोटों पर जो लोग अपने समर्पित कार्यकर्ता और समर्थकों के जीवन का सौदा कर दें उनको आप लोग क्या कहेंगे? आपकी जान की कीमत सत्ता पाने के लिये इन अवसरवादी नेतायों की नजर में क्या है ? विचारणीय ..

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