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कर्नाटक चुनाव में मायावती का कद बढ़ा, अब होगी यूपी में सीट बंटवारे की 'डील'!
BY Anonymous16 May 2018 12:48 PM GMT
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Anonymous16 May 2018 12:48 PM GMT
15 मई को आए कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम से बसपा सुप्रीमो मायावती का कद बढ़ा है. जेडीएस के साथ मिलकर 19 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा को एक सीट पर जीत हासिल हुई है. साथ ही वोट प्रतिशत के मामले में 0.3 फ़ीसदी वोट (108592 मतों) के साथ पार्टी पांचवें स्थान पर रही. इस संजीवनी के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन का लिटमस टेस्ट है. हालांकि, गठबंधन तो तय है, लेकिन कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव परिणाम से सीट बंटवारे की रूपरेखा भी तय होगी.
बता दें, बसपा की कर्नाटक यूनिट के अध्यक्ष एन महेश ने राज्य की कोल्लेगला विधानसभा सीट पर सफलता हासिल की है. दलित बाहुल्य यह सीट आरक्षित है. इस सीट पर बसपा को 71792 वोट मिले हैं. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के एआर कृष्णामूर्ति को 52338 वोट मिले. इस सीट पर बीजेपी को 39690 वोट मिले.
दरअसल, बसपा के साथ ही यूपी की प्रमुख पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी कर्नाटक चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए थे. लेकिन पार्टी को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. लिहाजा सपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने की हसरतों को झटका लगा है. वहीं, बसपा इस जीत से अपने राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को बचाने में कामयाब रही है.
बसपा सुप्रीमो मायावती यूपी में सपा के साथ गठबंधन को पक्का बता चुकी हैं. लेकिन अभी भी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. ऐसे में कर्नाटक की जीत बसपा के लिए ज्यादा सीट मांगने का हथियार बन सकती है. हालांकि, यूपी में सीट बंटवारे को लेकर वरिष्ठ बसपा नेता उम्मेद सिंह कहते हैं कि फ़ॉर्मूला वही है जो पहले तैयार हुआ है. 2014 लोकसभा चुनाव में जहां-जहां सपा जीती या रनर अप रही वहां उसके उम्मीदवार मैदान में होंगे. उसी तरह जहां बसपा दूसरे नंबर पर रही थी वहां से उसके प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे.
यूपी में सीट बंटवारे को लेकर वरिष्ठ बसपा नेता उम्मेद सिंह ने कहा कि कर्नाटक चुनाव परिणाम का सीट बंटवारे पर असर नहीं पड़ेगा.
हालांकि कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने पर उम्मेद सिंह कहते हैं, एक हाथ ले और एक हाथ दे का सिद्धांत ही चलेगा. अगर कांग्रेस गठबंधन में शामिल होती है तो रनर अप फ़ॉर्मूले के तहत उसे दो से तीन सीटें ही मिलेंगी. ज्यादा से ज्यादा इतना और सीट मिल सकता है. लेकिन सवाल यह भी है कि इसके बदले कांग्रेस को उसके शासित राज्यों या फिर जहां वह मजबूत है उसे गठबंधन के लिए सीटें छोड़नी होगी. मसलन, पंजाब, गुजरात हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस को कुर्बानी देनी होगी. लेकिन कांग्रेस इस फ़ॉर्मूले को स्वीकार करती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी.
हालांकि कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने पर उम्मेद सिंह कहते हैं, एक हाथ ले और एक हाथ दे का सिद्धांत ही चलेगा. अगर कांग्रेस गठबंधन में शामिल होती है तो रनर अप फ़ॉर्मूले के तहत उसे दो से तीन सीटें ही मिलेंगी. ज्यादा से ज्यादा इतना और सीट मिल सकता है. लेकिन सवाल यह भी है कि इसके बदले कांग्रेस को उसके शासित राज्यों या फिर जहां वह मजबूत है उसे गठबंधन के लिए सीटें छोड़नी होगी. मसलन, पंजाब, गुजरात हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस को कुर्बानी देनी होगी. लेकिन कांग्रेस इस फ़ॉर्मूले को स्वीकार करती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी.
उम्मेद सिंह की बातों से एक बात साफ लगी कि फिलहाल मायावती कांग्रेस के साथ जाने के पक्ष में नहीं है. वह तीसरे मोर्चे को विकल्प के तौर पर देख रही हैं जो बीजेपी और मोदी को टक्कर 2019 लोकसभा चुनाव में टक्कर दे सके.
उम्मेद सिंह ने यूपी में सीट बंटवारे के औपचारिक ऐलान को लेकर कहा कि वैसे तो यह कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद ही होना था लेकिन त्रिशंकु विधानसभा की वजह से पेंच फंस गया है. वहां की पिक्चर साफ होते ही गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बैठक शुरू होगी.
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