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उत्तर प्रदेश

हाईकोर्ट का रोड साइड अतिक्रमण कर बने धर्मस्थल हटाने का निर्देश

हाईकोर्ट का रोड साइड अतिक्रमण कर बने धर्मस्थल हटाने का निर्देश
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इलाहाबाद -इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम निर्णय में प्रदेश भर में राजमार्ग, सड़क व अन्य रास्तों पर अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक जनवरी 2011 के बाद अतिक्रमण कर बने सभी धार्मिक स्थलों को तत्काल हटाया जाए। वहीं, 2011 के पहले अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को छह माह में उन्हीं की भूमि पर शिफ्ट किया जाए, क्योंकि सड़क पर अतिक्रमण करने का किसी को मौलिक या वैधानिक अधिकार नहीं है।
आपराधिक अवमानना की चेतावनी
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को सख्त निर्देश दिए हैं कि सभी जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक से इस आदेश का पालन करवाने का निर्देश जारी करें। इस आदेश को न मानने वाले अधिकारी आपराधिक अवमानना के दोषी माने जाएंगे। कोर्ट ने सभी डीएम को यह भी आदेश दिया है कि वह दो माह के भीतर कार्रवाई की सूचना विभाग को सौंप दें, ताकि मुख्य सचिव 28 मई को हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर सकें। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने फतेहपुर के महमूद हुसैन की याचिका पर दिया है।
नमाज पढऩे की डीएम से अनुमति
महमूद हुसैन ने अपनी खेती की जमीन पर मस्जिद और मदरसा बना लिया था, इस पर समाज के लोगों को नमाज पढऩे की डीएम से अनुमति मांगी थी। डीएम ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। महमूद हुसैन ने डीएम के इस आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि 10 जून 2016 के बाद जमीन पर अतिक्रमण कर हुए धार्मिक स्थल निर्माणों की जवाबदेही जिलाधिकारी, एसडीएम, एसएसपी और पुलिस क्षेत्राधिकारी की होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि पब्लिक रोड, स्ट्रीट, फुटपाथ, सर्विस लेन और गली यानी सभी रास्तों पर अवरोध उत्पन्न न होने पाए, इसके लिए योजना बनाई जाए। कोर्ट ने इस संबंध में मुख्य सचिव से तीन महीने में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कृषि भूमि पर धार्मिक निर्माण अवैध
कोर्ट ने फतेहपुर के महमूद हुसैन की ओर से कृषि भूमि पर बनाई गई चौरयानी गांव में मस्जिद गरीब नवाज को अवैध करार दिया है और वहां के डीएम को उस स्थल पर नमाज पढऩे की अनुमति न देने को सही माना है। याची ने बिना अनुमति लिए कृषि भूमि पर मस्जिद और मदरसे का निर्माण करा लिया था। कोर्ट ने कहा कि धर्म के नाम पर याची ने अवैध कार्य किया है। यह भी कहा कि कुछ कार्य अगर अवैध तरीके से किए जाते हैं तो उससे उसका वैधानिक अधिकार नहीं बनता। कहा कि कृषि भूमि जिस पर सरकार का हक है वहां वक्फ मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसान कृषि भूमि का मात्र किरायेदार होता है। इसलिए जब तक धारा 143 के तहत कृषि भूमि की प्रकृति (आबादी भूमि) न बदली जाए तब तक उस पर वक्फ या धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कृषि भूमि बहाल करने का आदेश दिया है।
दूसरे की जमीन पर वक्फ का अधिकार नहीं
कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लॉ में वक्फ संपत्ति पर ही वक्फ मस्जिद बनाई जा सकती है। दूसरे की जमीन पर वक्फ मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। वक्फ बनाने वाला भी जमीन का स्वामी होना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होने मात्र से कोई वक्फ वैध नहीं हो जाता।
मीडिया न करें धर्म के ठेकेदारों का महिमामंडन
हाईकोर्ट ने धर्म के तथाकथित ठेकेदारों पर भी कटाक्ष करते हुए कहा है कि यदि मीडिया इनका महिमामंडन परिचर्चा के जरिए न करे, तो यह अपनी मौत ही मर जाएंगे। ऐसे लोगों को कोई महत्व न देकर इनकी उपेक्षा की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म के प्रति घृणा, वैमनस्य या दुश्मनी नहीं
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