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उत्तर प्रदेश

इंसाफ मांगते-मांगते सदमे से मरा किसान, पत्नी पीठ पर लादकर घर लाई शव

इंसाफ मांगते-मांगते सदमे से मरा किसान, पत्नी पीठ पर लादकर घर लाई शव
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वन विभाग की मनमानी के खिलाफ इंसाफ मांगते-मांगते एक किसान जिंदगी की जंग हार गया। गुरुवार सुबह वह खेतों की ओर गया, जहां उसे सदमा लग गया। पत्नी उसे पीठ में लादकर घर पहुंची और फिर परिजनों की मदद से उसे जिला अस्पताल पहुंचाया गया, यहां कुछ देर बाद ही उसकी सांस टूट गई।
सदमे में था श्यामलाल
कोतवाली क्षेत्र के बरा गांव निवासी श्यामलाल अहिरवार की गाटा संख्या 195 रकबा .525 हेक्टेयर भूमिधर जमीन थी, जिसमें 20 वर्षों से खेती करके वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उसे सूखा राहत सहित सभी योजनाओं का लाभ भी मिला। वन विभाग ने छह माह पूर्व उसकी जमीन पर जेसीबी से बिना अनुमति के पौधरोपण के लिए गड्ढे खुदवा दिए थे। तब से वह वन और राजस्व विभाग के लगातार चक्कर लगा रहा था। सरकारी मशीनरी के आगे इंसाफ मांगते-मांगते वह हार गया। गुरुवार की सुबह वह खेत गया था, जहां गड्ढे देख उसे सदमा लग गया और अचेत होकर वहीं पर गिर गया। पति की हालत देखकर पत्नी क्रांति घबरा गई। वह किसी तरह उसे पीठ पर लादकर घर तक पहुंची और फिर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
एक दिन पहले तय की थी बेटी की शादी
पिता परमलाल ने बताया कि उसका पुत्र श्यामलाल मेहनत मजदूरी कर छह बच्चों सहित पूरे परिवार का भरण-पोषण करता था। उसने अपनी पुत्री सीमा की शादी बुधवार को नई गल्ला मंडी महोबा निवासी मनमोहन के पुत्र अर्जुन के साथ तय कर दी थी। इसी वर्ष उसके हाथ पीले भी होना है, जिसकी चिंता अब परिवार को सता रही है। कबरई विकासखण्ड के बरा गांव में किसान श्यामलाल अहिरवार की मौत होने की खबर मिली है। मामले की जांच के लिए तहसीलदार, कानूनगो व लेखपाल को मौके पर भेजा है। यदि रिपोर्ट में सदमे से मौत आती है तो पीड़ति परिवार को उचित मुआवजा दिलाया जाएगा। एसडीएम सदर राजेश यादव ने इस पर कहा, 'कबरई विकासखण्ड के बरा गांव में किसान श्यामलाल अहिरवार की मौत होने की खबर मिली है। मामले की जांच के लिए तहसीलदार, कानूनगो व लेखपाल को मौके पर भेजा है। यदि रिपोर्ट में सदमे से मौत आती है तो पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाया जाएगा।'
अनशन पर भी नहीं मिला इंसाफ
श्यामलाल अहिरवार ने वन विभाग की मनमानी के खिलाफ 24 से 30 अगस्त तक तहसील परिसर में अनशन किया था, फिर भी उसे न्याय नहीं मिल सका था। इससे वह थक-हारकर वह अपने घर बैठ गया और परेशान रहने लगा था। अब तो उसे इंसाफ मिलने की उम्मीद ही टूट गई थी। इस मुद्दे पर वन क्षेत्राधिकारी जेडी सिंह ने कहा है, 'जिस जमीन पर गड्ढे खोदे गए हैं, वह रकबा वन क्षेत्र के लिए आरक्षित है। उसमें लेखपाल ने 1995 में पट्टे कर दिए गए थे। करीब आधा सैकड़ा लोगों के पट्टे निरस्त कर दिए गए हैं, जिसमें परमलाल का विचाराधीन है। जून माह में गड्ढे खोदकर अब उस भूमि पर पेड़ लगा दिए गए हैं।–'
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