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उत्तर प्रदेश

सोशल मीडिया से जन्मी है भीम आर्मी की 'नीली क्रांति'

सोशल मीडिया से जन्मी है भीम आर्मी की नीली क्रांति
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सहारनपुर में हुए जातीय संघर्ष के बाद एक बड़ा नाम उभरा है भीम आर्मी का. जिसकी स्‍थापना 7 जुलाई 2015 को दलित समाज में शैक्षिक और सांस्‍कृतिक बदलाव के लिए की गई थी.

भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद 'रावण' ने अपने साथ लोगों को जोड़ने के लिए उस सोशल मीडिया को हथियार बनाया, जिसे दलित राजनीतिज्ञों ने तवज्‍जो नहीं दी थी.

बताया गया है कि इसका शुरुआत एक वॉट्सएप ग्रुप से हुई. जिसमें दलित चिंतक और समर्थक जुड़े हुए थे. उन्‍होंने अब फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप पर 'नीली क्रांति' की शुरुआत कर दी है.

इससे हजारों की संख्‍या में वे दलित और पिछड़े युवा जुड़े हैं, जिनके हाथ में एंड्रायड फोन है. जो फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय हैं. इसीलिए अब इस संगठन की चर्चा देश भर में दलितों और गैरदलितों दोनों में होने लगी है.

संगठन में फेसबुक और ट्विटर के माध्‍यम से यूपी के अलावा पंजाब और हरियाणा के युवा भी जुड़े हैं.

फेसबुक पर भीम आर्मी के कई पेज हैं. जिलों के भी पेज बनाए गए हैं. जिसके फालोअर्स की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. स्थानीय स्तर पर यह संगठन इतना मजबूत है कि हर गांव में इस संगठन से जुड़े दलित युवक हैं.
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