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व्यंग ही व्यंग

कुत्ता विदेशी .............: रिवेश प्रताप सिंह

कुत्ता विदेशी   .............: रिवेश प्रताप सिंह
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विश्व के सबसे वफादार जानवरों में, कुत्ते का ही नाम आता है.. लेकिन विडम्बना देखिए! भारत के भीतर, सबसे अधिक किसी को दुलार मिला तो विदेशी कुत्तों को...और सबसे अधिक लात-दुत्कार मिली तो देशी कुत्ते को...

मूतते, दोनों टांग उठाकर ही हैं लेकिन जो विदेशी है, वो मुंह चाटता है और देशी है वो धूल फांकता है.

भारत में विदेशी वस्तुओं के प्रति एक आकर्षण, सदैव से रहा है. अपने देशी कुत्ते का नाम 'टॉमी' रखकर उसे विदेशी नस्ल बनाने की एक आभासी कोशिश इस बात का प्रमाण है कि भारत शुरू से ही विदेशी चीजों के आकर्षण में बधां रहा...वो बात दीगर है कि कालांतर में टॉमी का भोजपूरीकरण हुआ तथा वो टॉमी से 'टमियां' बन गया. खैर! आप उसका नाम टॉमी रखें चाहें लखेदू..उसको कोई फर्क नहीं पड़ता... तलवा चाटना, टांग उठाना, और ताला जड़ना उसकी प्रवृत्ति है वो करेगा.. आप भले ही उसे टॉमी पुकारें या लखेदू.

मित्रों! भारत एवं विश्व ने आपकी मानसिकता को पहचानी..इसलिए भारत में गिनती मात्र के उत्पादों के नाम हिन्दी में लिखे जाते हैं... उन्हें यह बखूबी पता है कि नाम वो रखना है जो आप समझ न सकें या जिसे कभी आपने सुना न हो.

अच्छा एक प्रयोग कीजिए!

आप किसी विदेशी 'कोकाकोला' कोल्डड्रिंक को किसी भारतीय बोतल में उलट दीजिए फिर उसका नया नामकरण कर दीजिए.

जैसे- "ॐ पेय'..." श्रेष्ठ श्याम पेय" या 'कड़क मर्दाना पेय'.

क्या अब भी लोग इस 'श्रेष्ठ पेय' को उसी रवानगी ने पीयेंगे? जिस रवानगी से 'कोकाकोला' पीते हैं!

विचार कीजियेगा...

एक गाना है "कोकाकोला तू"...खूब मशहूर है!

है न!

अब मैंने जो तीन नाम दिये हैं उसे भी आप उसी धुन में गाकर देख लिजिये! मुझे मालूम है कि आपको आनन्द नहीं आयेगा. वजह सिर्फ 'कोकाकोला' नाम का आकर्षण है.. और कुछ नहीं.. अन्यथा जिसका नाम 'श्रेष्ठ' से शुरु होता है उसकी भला क्या पैरवी!

एक और विडंबना देखिए! हमको घड़ी में भारत का वक्त देखना होता है.. लेकिन हमारे वक्त को, जब अमेरिका की घड़ी बताती है तब हम-आप उस वक्त पर गौरव का अनुभव करते हैं. हम सुबह अमेरिकन घड़ी के बाग़ देने मे गौरवान्वित महसूस करते हैं.. यह जानते हुए कि जिस मुर्गे की बांग पर हम जग गये... उस वक्त अमेरिका के मुर्गे दिन भर चरने के बाद दड़बे में बंद किये जाते हैं..


मित्रों! स्वदेशी एवं विदेशी की मानसिकता को अन्य लेखों के माध्यम से मजबूती एवं विस्तार से दर्ज किया जायेगा॥


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