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व्यंग ही व्यंग

"भटक रहे युवा हो उस पर ध्यान" व्यंग्यात्मक-कविता : कृष्णेन्द्र राय

भटक रहे युवा हो उस पर ध्यान  व्यंग्यात्मक-कविता : कृष्णेन्द्र राय
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भटक रहे युवा ।

हो उसपर ध्यान ।।

सही राह दिखाओ ।

ना बनो अनजान ।।

केवल झंडा-बैनर ।

ना है उपलब्धि ।।

इनका क्रीम पीरियड ।

बस कुछ अवधि ।।

दिशा सकारात्मक ।

आपका है काम ।।

नव युवा निर्माण ।

सलाम में आवाम ।।

व्यंग्यात्मक लेखक : कृष्णेन्द्र राय

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