'रविश की रिपोर्ट' पर रिपोर्ट
BY Anonymous20 Sep 2017 4:01 AM GMT
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Anonymous20 Sep 2017 4:01 AM GMT
पत्रकारिता के लिए 7-स्टार स्टूडियोज और हाई डेफनिशन कैमरों के साथ थ्री पीस सूट में लाखों रूपये तनख्वाह पाने वाले पत्रकारों की बेचैनी मैं समझ रहा हूँ। पत्रकारिता के नाम पर जो ये अय्याशी(मोटी तनख्वाह, एयर कंडिसन स्टूडियोज़, बिजिनेस क्लास हवाई यात्रा) में डूबे हैं, वो अय्याशी कई कंपनियों के साथ-साथ कार कंपनियों के ऐड पर टिकी हुई है।
मोदी सरकार पेरिस क्लाइमेट पैक्ट के तहत पर्यावरण की रक्षा के उपाय कर रही है। सरकारों को कठिन निर्णय लेना ही होता है, तात्कालिक लाभ की जगह दूरगामी हित की ओर कार्य करना होता है और यह आसान नहीं होता। पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ी कीमतों की वजह से लोग कार खरीद कम करेंगे, इलेक्ट्रिक कार की और रुझान बढ़ेगा। नितिन गडकरी चेता भी चुके हैं कि अब पेट्रोल-डीज़ल वाली कार के दिन लदने वाले हैं। वर्षों की लग चुकी बुरी आदतें सुधारना कठिन होता ही है पर एक समय ऐसा आता है जब यह सोचना ही होता है कि अब नहीं तो कभी नहीं। की कहीं देर न हो जाये।
दूसरे, सरकार का यह कदम आर्थिक सुधार की तरफ एक निर्णयकारी कदम है। जनता में यह आदत पैदा होनी चाहिए कि वह जो खरीद रही है उसका दाम चुकाए। जिनके पास कार है, मोटरसाइकिल है वे ईंधन का दाम दे ही सकते हैं। पुरे विश्व में इस समय एक आर्थिक ठहराव सा है, कंपनियों के लाभ कम हो रहे हैं, निर्यात घट रहा है,टैक्स कम मिल रहा है, ऐसे में पूंजी की ज़रुरत कुछ हद तक पेट्रोल-डीज़ल के वर्तमान मूल्य पूरा कर सकते हैं। देश की अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था तथा इंफ़्रास्ट्रक्चर जैसे कभी न रुकने वाले कामों के लिए पूंजी की आवश्यकता होती ही है। कई राज्यों में किसानों के कर्जमाफी तथा शराबबंदी से खाली हुए खजाने के लिए भी यह ज़रूरी है।
अब ज़रा सोचिए कि ये तथाकथित चौथा स्तंभ जनता का काम कर रहा है या इसकी कवायद अपनी अश्लीलता की हद तक भरी जेब को थोड़ा सा भी हल्का होने से बचाने का प्रयास है। कार कंपनियों के ऐड नहीं मिलेंगे तो नुकसान इनका ही है।
Greenathon की नौटंकी से पर्यावरण नहीं सुरक्षित होगा। 7-स्टार स्टूडियोज़ में जल-जंगल-ज़मीन-आदिवासी-दलित-पर्यावरण की बात करना और उन कॉर्पोर्ट कंपनियों से ही ऐड लेना जो ऐसा कर रहे हैं, पत्रकारिता का रेप है, और ये पत्रकार नहीं बल्कि भयंकर, बीभत्स रेपिस्ट हैं।
सिद्धार्थ तिवारी
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