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पराली नहीं जलाने वाले किसानों को मिलेगा 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा

पराली नहीं जलाने वाले किसानों को मिलेगा 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा
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चंडीगढ़, । पंजाब सरकार ने पराली जलाने से रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद धान की पराली न जलाने वाले किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की है। इस मुआवजे के लिए पांच एकड़ तक के किसान हकदार होंगे। उन्हें 30 नवंबर तक पंजाब के पास स्व-घोषित पत्र जमा करवाना पड़ेगा। यह राशि सीधे किसानों के खाते में आएगी।

पांच एकड़ तक जमीन वाले किसान होंगे हकदार, 30 नवंबर तक पंचायत के पास जमा करने होंगे घोषणा पत्र

किसान तीन हजार मुआवजे की मांग कर रहे थे। सरकार ने काफी हद तक उनकी मांग मान ली है। अब उम्मीद की जा सकती है कि किसान पराली जलाने से बाज आएंगे। हरियाणा सरकार प्रति क्विंटल सौ रुपये मुआवजा दे रही है।

पंजाब में पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार ने उठाया बड़ा कदम, सीधे खाते में आएगी राशि

वहीं, भारतीय किसान यूनियन ने पंजाब सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा 'सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है, इसलिए यह घोषणा की गई है। सरकार की अभी कोई तैयारी नहीं है। यह घोषणा करके सरकार यह कहने की स्थिति में आ गई है कि उन्होंने शुरुआत कर दी है। हकीकत यह है कि सरकार की कोई योजना ही नहीं है कि वह इसे कैसे लागू करेगी।

उन्‍होंने कहा कि घोषणा केवल पांच एकड़ तक के किसाने के लिए है। जो किसान किराये पर लेकर फसल बीजता है, उसे मुआवजा नहीं मिलेगा। जिन पर सरकार ने पर्चे दर्ज किए हैं, जुर्माना वसूला है, उसके बारे में सरकार कुछ नहीं बोल रही है। सुप्रीम कोर्ट में किसानों की तरफ से यह मामला भी रखा जाएगा।

सरकार ने लगाई दो शर्तें

1. कृषि विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि मुआवजे का हकदार वही किसान होगा, जिसके पास अपने, पत्‍नी और 18 साल से कम उम्र के बच्चों के नाम पर कुल पांच एकड़ तक ही जमीन है।

2. उसी किसान को मुआवजा मिलेगा जो इस जमीन या इसके किसी हिस्से में गैर-बासमती धान की खेती करता हो और उसने खेत के किसी भी हिस्से में धान के अवशेष को आग न लगाई हो। मुआवजा देने से सरकार स्व-घोषित पत्र की पड़ताल करेगी।

पराली जलाने वालों को सजा भी दे सरकार: दविंदर शर्मा

कृषि विशेषज्ञ दविंदर शर्मा का कहना है कि मुआवजे को लेकर सरकार कदम तो उठा रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हैं। जिन किसानों ने पराली नहीं जलाई, उन्हें तो शाबाशी मिल जाएगी, लेकिन जिन्होंने जलाई है, उन्हें केस व जुर्माना झेलना पड़ेगा। निश्चित रूप से पराली न जलाने वाले को प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन जिन्होंने गलती है की है, उन्हें भी एहसास दिलवाया चाहिए कि वह ऐसी गलती दोबारा न करें।

लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता, अमृतसर-बठिंडा सबसे ज्यादा प्रदूषित

पटियाला। पंजाब में पराली जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के बाद हवा की गुणवत्ता भी खराब हो रही है। इसी कारण चार शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) एक समय मेंं 400 का आंकड़ा पार कर गया। दिनभर बाकी दिनों के मुकाबले एक्यूआइ संतोषजनक रहा और यह औसतन 300 से कम ही रहा। पटियाला व बठिंडा में थोड़ा सुधार हुआ। मंगलवार को 359 एक्यूआइ के साथ बङ्क्षठडा सबसे प्रदूषित रहा। वहीं बुधवार को यह कम होकर औसतन 338 रिकॉर्ड किया गया।

पटियाला का पीएम-10 भी 313 से कम होकर 231 रिकॉर्ड पर पहुंच गया। पीएम-10 के कम होने के बावजूद बठिंडा राज्य में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा। एक्यूआइ 310 के साथ अमृतसर दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार शुक्रवार तक राज्य के एक्यूआइ में और ज्यादा सुधार आने की उम्मीद है। वहीं, पंजाब कृषि विभाग के मौसम विभाग ने बताया कि बादलों के कारण रिमोट सेंसिंग से पराली जलाने की सही जानकारी नहीं मिल पाई। बुधवार को सिर्फ पांच मामले सामने आए।

कितना रहा एक्यूआइ

शहर औसतन अधिकतम

अमृतसर 310 447

बठिंडा 338 413

जालंधर 166 311

खन्ना 250 405

लुधियाना 208 393

मंडी गोबिंदगढ़ 215 372

पटियाला 231 324

रोपड़ 201 420

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