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भारतीय नौसेना में शामिल हुए ये तीन, दुश्मनों के उड़ा देंगे होश

भारतीय नौसेना में शामिल हुए ये तीन, दुश्मनों के उड़ा देंगे होश
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नई दिल्ली। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी नौसेना है। मुल्क की समुद्री सरहदों की हिफाजत करने के लिए भारतीय नौसेना के पास सिर्फ समंदर का सिकंदर यानी आईएनएस विक्रमादित्य ही नहीं है बल्कि उसके साथ-साथ समुंद्र की सीना चीर कर दुश्मनों के होश उड़ाने में माहिर इस नौ सेना के तरकस में तीन और भी अचूक तीर हैं। जिनकी वजह से भारत की नौसेना की ताकत एक ही झटके में कई गुना बढ़ गई है। ये तीन तीर हैं आईएनएस चेन्नई, आईएनएस कोलकाता और आईएनएस कोच्चि।
दुनिया भर के किसी भी जंगी जहाज को मुंह तोड़ जवाब देने में माहिर ये तीनों ही भारतीय नौसेना के बेडे में शामिल होने के साथ ही समुंद्र में हिंदुस्तान की ताकत अपने पड़ोसी मुल्कों के मुकाबले कई गुना बढ़ गई है। आईएनएस चेन्नई, आईएनएस कोलकाता और आईएनएस कोच्चि निर्देशित मिसाइल विध्वंसक यानी गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर वर्ग के जंगी जहाज हैं। नौसेना के बेड़े में शामिल तीनों जंगी जहाज ब्रह्मोस मिसाइल, एयर टू एयर मिसाइल, एंटी रडार और ऑटोमेटिक मशीनगन से लैस हैं जो सैकड़ों मील दूर दुश्मन की हालत खराब करने में माहिर माने जाते हैं।
बीती 21 नवंबर को 'आईएनएस चेन्नई' भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया। जबकि आईएनएस कोच्चि 30 सितंबर 2015 को भारतीय नौसेना का हिस्सा बना। जबकि इस सीरीज का सबसे पहला जहाज आईएनएस 'कोलकाता' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई नौसेना गोदी में 16 अगस्त, 2014 को भारतीय नौसेना को सौंपा।
इन तीनों जंगी जहाजों को तैयार करने में भारत के खजाने से 11, 500 करोड़ रुपये के आसपास निकाले गए। ये जंगी जहाज विशेष कवच सिस्टम से लैस हैं। तीनों की 60 फीसदी बनावट स्वदेशी है। तीनों ही समंदर के पानी में दुश्मन के रडार को चकमा देने में माहिर है। हेलीकॉप्टर ढोने में भी सक्षम हैं ये जहाज। इन जंगी जहाजों में लगा है 'चैफ डिकोय' नाम का है विशेष कवच सिस्टम। इन जहाजों की लम्बाई करीब 164 मीटर, वजन ढोने की क्षमता 7500 टन है। लेकिन सबसे खास बात ये है कि ये तीनों सबसे आधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं।
इनके अलावा इन जहाजों पर बराक 8 मिसाइल भी तैनात की गई हैं। जिसकी वजह से इनकी मारक क्षमता दुश्मन की सोचने और समझने की ताकत से भी कई गुना ज्यादा है। इन तीनों वार शिप पर लगी मिसाइलें बाहर से किसी को नजर नहीं आती हैं। आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके जिस तरह से ब्रह्मोस मिसाइलों को इसमें तैनात किया गया है वो किसी को भी हैरत में डाल सकती है। आवाज की गति की रफ्तार से चलने के कारण इन्हें सुपरसोनिक कैटेगरी में रखा गया है। और सबसे अहम बात ये है कि ये सतह से सतह पर तकरीबन 300 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन को तबाह कर सकती है।
इस जंगी जहाज में बेहद आधुनिक मशीनरी कंट्रोल सिस्टम और वॉटर जेट्स लगे हैं। समुद्री निगरानी को बेहतर बनाने के लिए इसमें कम्युनिकेशन के सबसे हाईटेक डिवाइस और रडार भी लगे हैं। इन तीनों युद्ध पोत में लम्‍बी दूरी के सतह से हवा में मिसाइल सीधे रूप में लॉन्च करने वाला सेंसर और मल्टी फेरियस रडार एमएफ-स्‍टार है। यह केवल कोलकाता वर्ग के युद्धक पोत में ही लगा है। यह अग्रणी सुपर सोनिक तथा जमीन से जमीन तक मार करने वाला ब्रह्मोस मिसाइल भारत-रूस का संयुक्‍त उद्यम है। 76 एमएमके सुपर रैपिड गन माउंट यानी एसआरजीएम तथा एके 630 सीआईडब्‍ल्‍यूएस लगे हैं, जो हवा में और जमीन पर निशाना साध सकते हैं।
सबसे खास बात यही है कि यह दोनों भारत में ही विकसित किए गए हैं। इन तीनों जंगी जहाजों में लगे सेंसर सूट, स्‍वदेशी रॉकेट लांचर, स्‍वदेशी ट्वीन ट्यूब टोरपेडो लांचर (आईटीटीएल) और कमान पर लगे नई पीढ़ी का हमसा सोनार स्‍वदेशी प्रयास के बेहतरीन उदाहरण हैं। सेंसर सूट में दूसरे जमीन से वायु निगरानी करने वाला रडार तथा इलेक्‍ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली लगी है। इसके अलावा इन जहाजों पर दो चेतक हेलिकॉप्‍टर के साथ लेकर चलने की क्षमता इन्हें समंदर के महावीर बना देती है।
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