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'न्यू इंडिया' से न माफी, न सफाई...ये क्या राहुल जी? योग अब सिर्फ बीजेपी का शगल नहीं

न्यू इंडिया से न माफी, न सफाई...ये क्या राहुल जी? योग अब सिर्फ बीजेपी का शगल नहीं
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नई दिल्ली: राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया। आर्मी डॉग यूनिट के साथ सेना के जवानों की एक-दूसरे से जुड़ी हुई दो तस्वीरें। हमारे जवान योगासन में हैं। उनके साथ डॉग यूनिट भी है। डॉग यूनिट भी जवानों की तरह योग मुद्रा में है। कोई परेशानी नहीं। लेकिन दो शब्दों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। न्यू इंडिया।

बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी निंदा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया में सख्त नाराजगी दिखी। तमाम दूसरे मंत्रियों-नेताओं और सोशल मीडिया पर आमलोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष की खबर ली। लेकिन विवाद की शुरुआत के बाद भी राहुल चुप रहे। अभी भी चुप हैं। गलती हुई है, तो भी कोई माफी नहीं। गलती नहीं हुई है, तब भी कोई सफाई नहीं।

योग अब एक लोकप्रिय विद्या और विधा

योग सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की पसंद नहीं है। योग अब सिर्फ बीजेपी का शगल नहीं है। योग स्वस्थ रहने के लिए आज एक लोकप्रिय विद्या और विधा है। करोड़ों लोगों की एक आदत है। देश में भी और विदेशों में भी। इसके साथ ही योग अब भारतीय गौरव का प्रतीक भी है। भारत की इस 5 हजार साल पुरानी विरासत को दुनिया ने अपनाया है। हमारी पहल पर ही एक दिन तय हुआ है। इंटरनेशनल योगा डे। ऐसी चीज पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का सवाल उठाना या उस पर तंज करना हैरान और परेशान करने वाला है। क्योंकि जब तक वह सामने आकर सफाई नहीं देते, कम-से-कम विरोधी तो उनके ट्वीट को नकारात्मक ही मानेंगे।

हम कौन हैं तय करने वाले?

हालांकि राहुल के ट्वीट में कुछ भी साफ नहीं है। तंज है? पता नहीं। सामने वाले को नीचा दिखाने की कोशिश है? पता नहीं। आमलोगों के मतलब के दूसरे कामों की जगह योग को ज्यादा तरजीह देने पर नाराजगी है? पता नहीं। लोकसभा चुनाव में मिली ताजा-ताजा हार की खीझ है? पता नहीं। राहुल के इस ट्वीट को लेकर ऐसे कई सवाल हो सकते हैं, जिनका जवाब अगर आप राहुल समर्थक या विरोधी नहीं हैं, तो 'पता नहीं' में ही देना होगा।











तो पूछा जा सकता है कि फिर कुछ लोग क्यों तय कर दे रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो किया है वह सेना का अपमान है? तो इसकी पहली और जायज वजह यह है कि सबसे पहले राहुल के ट्वीट पर उन्हें टारगेट करने वाली बीजेपी एक कांग्रेस की विरोधी पार्टी है ऐसे में उनका अधिकार है कि आपके कहे का मतलब वह अपने तरीके से निकालें। आपने तो उन्हें ऐसा करने का पूरा मौका भी दिया है और मौका देकर आपकी चुप्पी ने पूरे मुद्दे को और भी ज्यादा संदिग्ध, गंभीर और आपके खिलाफ बना दिया है।

राहुल पर सवाल उठाने की दूसरी जायज वजह यह भी है कि उनका एक सार्वजनिक जीवन है। ऐसे में पहले तो उनसे देश से जुड़े मुद्दों पर संजीदगी पूर्ण व्यवहार की उम्मीद की जाती है। दूसरी यह भी कि अगर किसी को उनके एक्शन में कुछ गलत लगता है, तो उसके पास सवाल उठाने का अधिकार है। आप सिर्फ राहुल गांधी नहीं हैं। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं। विपक्ष के सबसे बड़े नेता हैं। जनप्रतिनिधि हैं।

राहुल के जवाब का इंतजार

राहुल गांधी ने अपना ये विवादित ट्वीट 21 जून को दोपहर बाद किया। तीन दिन बीत चुके हैं। राहुल ने खुद कोई जवाब नहीं दिया। ये कांग्रेस अध्यक्ष की दूसरी बड़ी भूल (शायद ट्वीट करने जितनी या उससे भी बड़ी) है। अगर आपके किसी किए पर राष्ट्र या राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की बात कही जा रही है, तो बगैर देर किए आपको खुद सामने आकर स्थिति साफ करनी चाहिए। गलती हो गई हो, तो माफी तक मांगनी चाहिए। लेकिन राहुल कुछ ऐसे भाव में हैं, जैसे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता। जिसको जो कहना और समझना हो कहता-समझता रहे! कहां, पार्टी के कुछ मध्यम कद वाले नेता बचाव जरूर कर रहे हैं।

rahul gandhi

प्रमोद तिवारी को इस बात की ज्यादा चिंता और नाराजगी है कि परेश रावल ने राहुल गांधी के लिए भद्दी बातें कीं। ठीक है। इसके लिए परेश रावल अलग से निंदा (या सजा) के पात्र हो सकते हैं। लेकिन तभी तिवारी से यह सवाल पूछा जा सकता है कि अगर आपको राहुल के अपमान की इतनी चिंता है, तो देश और उससे जुड़े प्रतीकों के सम्मान की फिक्र क्यों नहीं है? परेश रावल का ट्वीट राहुल को अपमानित करने वाला हो सकता है (था भी), लेकिन राहुल गांधी पर तो इससे कई गुना गंभीर आरोप लगे हुए हैं। देश के अपमान का। अपने एक गौरव के अपमान का। अपनी सेना के अपमान का। और जब तक राहुल संतोषजनक सफाई नहीं देते, आरोप उन पर चस्पा रहेगा।

योग दिवस में शरीक क्यों नहीं होते कांग्रेसी?

बॉम्बे हाईकोर्ट के एक वकील ने राहुल गांधी के खिलाफ अदालत में शिकायत की है। राहुल के ट्वीट को सेना के अपमान के साथ दुनिया भर के लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला कहा है। तर्क में दम है। एक इंटरनेशनल योगा डे है और सैकड़ों देश इसे मना रहे हैं, तो ऐसा दावा तो किया ही जा सकता है। लेकिन यहीं पर एक सवाल यह भी है कि जब दुनिया ने भारत के योग को इतना बड़ा सम्मान बख्शा है, तो इसमें कांग्रेस भी क्यों नहीं शरीक होती? क्या कांग्रेस कभी केंद्र की सत्ता में आई, तो इसी वजह से 21 जून को योगा डे से दूरी बनाकर रखेगी, क्योंकि मोदी की कोशिशों से ये खास दिन वजूद में आ सका?

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