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क्या चव्हाणके को डिप्टी CM बनाकर BJP खेलेगी हिंदुत्व का CARD ?

क्या चव्हाणके को डिप्टी CM बनाकर BJP खेलेगी हिंदुत्व का CARD ?
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महाराष्ट्र में कट्टर हिंदूवादी मराठा उपमुख्यमंत्री दे सकती है भारतीय जनता पार्टी. उत्तर प्रदेश की तरह योगी जैसा चेहरा देकर शिवसेना को भी पछाड़ने कीरणनीति बना रहा है शीर्ष नेतृत्व ....

एक तरफ़ महाराष्ट्र में मराठों का बढ़ता आक्रोश, जाति आधार पर समाज में घुलता ज़हर तो दूसरी तरफ़ भाजपा का सैद्धान्तिक समर्थक हिंदूवादी, कट्टर और आक्रामक मगर नाराज़ मतदाता के शिवसेना की तरफ़ जाने की संभावना .. इन सबका उत्तर सोचने के लिए पिछले कुछ समय से चिंतित भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व एक नाम पर आकर सहमत सा दिख रहा है, और वह नाम है सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मालिक और प्रखर राष्ट्रवाद की बुलंद आवाज़ मराठा सुरेश चव्हाणके .

सुरेश चव्हाणके महाराष्ट्र के शिर्डी के रहने वाले हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाने जाते हैं। 13 वर्षों से ख़ुद के दम पर आक्रामक हिन्दुत्ववादी न्यूज चैनल चला रहे हैं.. हाल में ही पूरे भारत मे जनसँख्या नियंत्रण कानून की मांग को ले कर एक सफल रथ यात्रा भी निकाल चुके हैं जो दुनिया भर में चर्चा का केंद्र रही .. विशेष बात यह भी है कि संघ, मोदी, गडकरी फडणवीस और महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के भी ज़्यादातर नेताओं से भी इनका बहुत अच्छा संबंध है। इसलिए भी वह सहमति के उम्मीदवार हो सकते हैं। बचपन से ही संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के फायरब्रांड नेता के तौर पर कार्य करने वाले सुरेश चव्हाणके महाराष्ट्र से बहुत अच्छी तरह से परिचित हैं . नागपुर में संघ का मुख्यालय होने के नाते महाराष्ट्र राज्य भाजपा से ज़्यादा संघ के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए संघ यहाँ कोई कच्चा दांव नही खेलना चाहता है .

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इस कार्यकर्ता में योगी आदित्यनाथ से भी ज़्यादा कट्टर हिंदुत्व है। केंद्र के नेताओं के साथ मधुर संबंधों और सबकी केमिस्ट्री पता होने का भी लाभ राज्य को हो सकता है। विशेष बात यह है कि कुछ माह पहले ही महाराष्ट्र भाजपा के संगठन मंत्री बने विजय पुरानीक अहमदनगर ज़िले में प्रचारक रहे थे तब चव्हाणके उनके साथ लंबा काम कर चुके हैं। यह भी सुनने को मिला है कि विजय पुरानीक को मुंबई से विशेष मिशन पर दिल्ली भेजा गया था। एक वरिष्ठ मराठी मंत्री के घर पर चव्हाणके के साथ इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा भी कर चुके है। उस के बाद चव्हाणके पुरानीक को छोड़ने एअरपोर्ट भी गए थे। सुरेश चव्हाणके ना केवल मराठा है, बल्कि महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता राधाकृष्णन विखे पाटिल के क्षेत्र शिर्डी के रहने वाले हैं। इसलिए एक तीर से कई शिकार इस नाम से होने की संभावना दिख रही है। उनका पश्चिम, मध्य, उत्तर महाराष्ट्र और मराठवाडा में अच्छा खासा प्रभाव है।

आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडनवीस को हटाकर ग़लत संदेश देने के बजाए ओवर उन्हीं के नीचे काम करने वाले किसी दूसरे नाम पर सहमति बनने की संभावना न के बराबर है यह देखते हुए सुरेश चव्हाणके शायद सबके लिए सर्वसहमति का नाम भी हो . केंद्र से नितिन गडकरी महाराष्ट्र में वापस आने के लिए बिलकुल भी इच्छुक नहीं है, और उनके अतिरिक्त केन्द्र से कोई प्रभावी मराठा नाम का विकल्प भी इस पद लायक नही दिखता.. प्रदेश के अध्यक्ष भी मराठा है पर अपने ही समाज को और संघ परिवार के काडर को प्रभावित करने को पूरी तरह से वो असफल रहे हैं। इतना ही नहीं, भाजपा के सबसे ज्यादा प्रभाव वाले आयुवर्ग युवाओं को भी साधने में वो कमज़ोर साबित हुए है। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति से बाहर का, लेकिन महाराष्ट्र में सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और मीडिया जगत का यह नाम आता है तो बड़ा बदलाव और लहर पूरे राज्य में लायी जा सकती है और उसके चलते ही बने नए समीकरणों के चलते 45 वर्ष के इस युवा नेता पर लंबा दांव लग सकता है।

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना का लंबा वैचारिक साथ रहा है, लेकिन बाला साहेब ठाकरे के जाने के बाद शिवसेना के पास कोई करिश्माई नेतृत्व नहीं है। इस वास्तव को समझे बग़ैर और पिछले विधानसभा चुनाव में मिली करारी परास्त के बाद भी शिवसेना भाजपा से टकराव लेने में आगे हैं। कई गलतियों के बाद भी शिवसेना के पास मराठी और हिंदुत्ववादी मतदाता बड़े पैमाने पर हैं। कम से कम बाला साहेब ठाकरे के निष्ठावान लोग इस चुनाव में शिवसेना को छोड़ भाजपा को आसानी से मतदान करने की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में कट्टर, युवा हिंदुत्ववादी चेहरा ही ऐसे मतदाताओं को अपने तरफ़ खिंच सकता है। सबसे खास बात सुरेश चव्हाणके की उत्तर भारत में जबरदस्त लोकप्रियता भाजपा के साथ संघ को भी आकर्षित कर रही है .. हिंदीभाषी प्रदेशों खास कर उत्तर प्रदेश व बिहार में अपने कट्टर हिंदूवादी छवि व अपने चैनल से इन प्रदेशों के कई ज्वलन्त मामले उठाने के बाद सुरेश चव्हाणके हिंदीभाषी प्रदेशों में भी जबरदस्त लोकप्रिय हुए हैं और यही लोकप्रियता महाराष्ट्र में रहने वाले उत्तर भारतीय वोटों को भाजपा की झोली में डाल सकती है .. चव्हाणके ने निकाली हुई "भारत बचाओ यात्रा" महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा दिन भ्रमण पर थी। इस से हाल ही में पूरे राज्य में सुरेश जी के पुराने संपर्क भी जीवीत हुए है। महामण्डलेश्वर शांतीगारी जी, रामगीरी जी के साथ ही नरेंद्र महाराज के साथ दर्जनों बड़े महाराज सुरेश जी से ख़ास संबंधों के प्रभावी लोग है।

आने वाले 2019 के चुनाओ में ज़ोर शोर से जुटी भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव के तुरंत बाद, मोदीजी के अफ़्रीका के दौरे पर जाने के पहले 23 जुलाई को चव्हाणके को संघ के अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में बुलाया था। क़रीब तीन घंटे वहाँ चव्हाणके से कई वरिष्ठ नेता मिले, इस बैठक को गुप्त रखा गया था। लेकिन कार्यालय के अंदर काम करने वाले कुछ लोगों को यह बात पता चली और राजनैतिक हवा को भाँपने में माहिर दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में यह बात तेज़ी सी फैली है। आरएसएस के नेताओं ने मोदी और शाह से बात करके इस मुद्दे पर आगे बढ़ने का काम महाराष्ट्र के लेकिन केन्द्र में प्रभावी नेता को दिया है। अब देखना है अपनी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय छवि छोड़ और राजनीति से दूर रहने का विचार त्याग कर सुरेश चव्हाणके महाराष्ट्र जाने के लिए तैयार होते हैं या वैश्विक स्थर पर हिन्दू ह्रदय सम्राट की छवि के साथ अपनी लड़ाई यथावत जारी रखते है। वैसे फ़िलहाल उनका कोई प्रतिस्पर्धी नहीं है।

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