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राफेल सौदा : जानिए आखिर मोदी सरकार घिर किन मुद्दों पर रही है

राफेल सौदा : जानिए आखिर मोदी सरकार घिर किन मुद्दों पर रही है
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देशभर में 2019 के आम चुनाव का माहौल बन रहा है. मोदी सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं को सामने रख जनता को विकास का सबूत दे रही है तो कांग्रेस ने अब सरकार के खिलाफ राफेल डील को लेकर मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस रक्षा सौदे में न सिर्फ घोटाले का दावा किया है, बल्कि सीधे तौर पर इस डील में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है, 'मोदीजी ने व्यक्तिगत रूप से यह सौदा करवाया. मोदीजी व्यक्तिगत रूप से पेरिस गए. व्यक्तिगत रूप से सौदे को बदलवाया गया. पूरा भारत इसे जानता है.'
इतना ही नहीं, राहुल ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'रक्षा मंत्री कह रही हैं कि वह इस सौदे के बारे में भारत, शहीदों और उनके परिजनों को विमानों के ऊपर व्यय किए गए धन के बारे में जानकारी नहीं देंगी. इसका क्या अर्थ है? इसका यही अर्थ है कि घोटाला हुआ.'
दरअसल, रक्षा मंत्री ने इस संबंध में राज्यसभा में लिखित जवाब दिया है कि फ्रांस से राफेल फाइटर प्लेन के सौदे की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती, क्योंकि डील को लेकर हुई बातचीत राजकीय गोपनीयता है.
कांग्रेस क्यों लगा रही घोटाले का आरोप
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान निर्धारित मूल्यों की अनदेखी कर खरीद की. उन्होंने दावा किया की मोदी के शासन काल में एक राफेल विमान 1570.8 करोड़ रूपये में खरीदा गया, जबकि यूपीए के दौरान इस एक विमान की कीमत पर 526.1 करोड़ रूपये में सहमति बनी थी.
भारत को महंगा क्यों?
आजाद ने ये भी दावा किया जिस फाइटर प्लेन की डील मोदी सरकार ने भारत के लिए की है, वही प्लेन कतर को 694.8 करोड़ रूपये में बेचा गया है. तो भारत को 100 प्रतिशत ज्यादा दाम पर क्यों बेचा गया?'
क्या है पूरा सौदा?
दरअसल, राफेल फाइटर प्लेन खरीदने की प्रक्रिया कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने साल 2010 में शुरू की थी. लेकिन उसके कार्यकाल में डील फाइनल नहीं हो पाई. साल 2014 में केंद्र की सत्ता बदल गई और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी.
23 सितंबर, 2016 को फ्रांस के रक्षामंत्री ज्यां ईव द्रियां और भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने दिल्ली में राफेल डील पर साइन किए. इस डील के तहत भारत को फ्रांस से 36 राफेल फाइटर विमान मिलने हैं. हालांकि, ये पूरा सौदा 126 विमानों का था. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के एक पुराने बयान के मुताबिक, इस सौदे में ये तय हुआ था कि 18 जहाज 'ऑफ द शेल्फ' खरीदे जाएंगे और 108 जहाज भारत में बनेंगे.
अब कांग्रेस ये आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार ने 36 विमान खरीदने का निर्णय एकतरफा ढंग से किया. कांग्रेस ने ये भी आरोप लगाया है कि विमान खरीद में नियमों की अनदेखी की गई, यहां तक कि कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति से पूर्व अनुमति भी नहीं ली गई.
इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि लड़ाकू विमानों खरीदने के लिए जो टेंडर निकला था, उसमें 6 कंपनियों के विमान थे. लेकिन भारतीय वायुसेना ने राफेल को सबसे बेहतर बताते हुए उसी से फाइटल प्लेन खरीदने का फैसला किया.
अब बीजेपी के लिए मुश्किल ये है कि कांग्रेस ने दावा किया कि मोदी जी व्यक्तिगत रूप से पेरिस गए और उन्होंने वहां जाकर व्यक्तिगत रूप से सौदे को बदलवाया. दूसरा ये कि 18 के बजाय 36 विमान खरीदे जा रहे हैं और इस पूरे सौदे के बारे में सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. तीसरा ये कि कांग्रेस कह रही है कि अब एक प्लेन की कीमत 1555 करोड़ रुपये है जबकि कांग्रेस 428 करोड़ में रुपये में ये विमान खरीद रही थी. इस तमाम दलीलों के आधार पर कांग्रेस विमान खरीद में घोटाले का आरोप लगा रही है.
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