Rio Olympic : भारतीय मुक्केबाज दिखाएंगे अपना दम, आज से शुरु करेंगे अभियान
BY Suryakant Pathak9 Aug 2016 8:20 AM GMT
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Suryakant Pathak9 Aug 2016 8:20 AM GMT
रियो डी जनीरो : भारत के तीन सदस्यीय मुक्केबाजी दल आज चार साल बाद अपना बदला लेने के लिए अपना दम दिखाएंगे। 2012 में हुए लंदन ओलिंपिक के दौरान न केवल भारतीय एथलीट्स को राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी फजीहत हुई थी।
बता दें कि 2012 में लंदन ओलंपिक के दौरान अमेरिकी खिलाड़ी ने विकास कृष्ण का ओलंपिक का सपना तोड़ दिया था। आज फिर से भारतीय मुक्केबाज टीम अन्य अमेरिकी टीम के खिलाफ रियो ओलंपिक में अभियान शुरु करने जा रहा है।
भारतीय मुक्केबाज दिखाएंगे दम
रियो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों की घटती संख्या को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत की तरफ से तीन पुरुष मुक्केबाज शिव थापा (64 किलोग्राम), विकास कृष्ण यादव (75 किलोग्राम), मनोज कुमार (64 किलोग्राम) में हिस्सा ले रहे हैं। लंदन ओलंपिक में भारत के आठ मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया था।
विकास को छठी वरीयता मिली है
विकास इकलौते भारतीय मुक्केबाज हैं, जिन्हें वरीयता मिली है लेकिन इनमें से कोई भी खिलाड़ी पहले दौर में बाई हासिल नहीं कर पाया है। अपने भारवर्ग में विकास विश्व रैंकिंग में छठवें स्थान पर हैं।
शिव थापा वर्ल्ड रैंकिंग में छठवें नंबर पर
शिव थापा भी अपने भारवर्ग की विश्व रैंकिंग में छठवें स्थान पर हैं, लेकिन वह तदर्थ समिति द्वारा कुछ गड़बड़ियों के कारण वरीयता पाने में असफल रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) के नए मुक्केबाजी नियमों के मुताबिक ओलंपिक में वरीयता पेशेवर मुक्केबाजी (एपीबी) और मुक्केबाजी विश्व सीरीज (डब्ल्यूएसबी) में किए गए प्रदर्शन के आधार पर तय होनी है। इस नए नियम की जानकारी भारतीय मुक्केबाज थापा नहीं थी। इसलिए उन्होंने एपीबी में हिस्सा नहीं लिया। उन्हें अब पहले दौर में वरीयता प्राप्त मुक्केबाज से भिड़ना होगा।
विकास बनाम चार्ल्स
विकास अपने पहले मुकाबले में अमेरिका के चार्ल्स कोनवेल के खिलाफ उतरना है। विकास ने 2010 में हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था। देश को उनसे पदक की काफी उम्मीद है। विकास लंदन ओलंपिक में कुछ विवादों में फंस गए थे। पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स संस्थान में विकास और थापा को प्रशिक्षण देने वाले सर्विसेस के कोच बी।बी। मोहन्ती ने कहा है लंदन ओलंपिक का अनुभव खिलाड़ियों के काम आएगा। मोहंती ने बातचीत में कहा, 'पहले ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना काफी मुश्किल होता है। आपके ऊपर काफी दबाव होता है और आपके पास उससे निपटने का अनुभव नहीं होता है विकास और शिवा दोनों ने लंदन ओलंपिक में अपने अनुभव से सीखा है। 2012 ओलम्पिक खेलों में विकास के साथ जज गलत तरीके से पेश आए थे। वह इस बार अपने आप को साबित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।'
थापा बनाम रोबेसी
थापा छठवीं वरीयता प्राप्त क्यूबा के रोबेसी रामीरेज के खिलाफ बानटैमवेट में अपने अभियान की शुरुआत करेंगे। यह उनके लिए मुश्किल मुकाबला माना जा रहा है। शिवा ने पिछले साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया था। रामिरेज और शिवा इससे पहले 2010 के युवा ओलंपिक खेलों में एक दूसरे के आमने-सामने हो चुके हैं जिसमें क्यूबा के खिलाड़ी ने जीत हासिल की थी। मोहंती ने कहा, 'शिवा ने पहले भी रामिरेज का सामना किया है। दोनों युवा ओलंपिक खेलों में भिड़ चुके हैं। यह काफी कड़ा मुकाबला था जो किसी के पक्ष में भी जा सकता था। अब शिवा रामिरेज की ताकत और कमजोरी के बारे में ज्यादा जानता है और वह उसे हराने में सक्षम है।'
मनोज बनाम इवाइडास
मनोज को भी अपने भारवर्ग में कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में विजेता बनने वाले मनोज का सामना लिथुआनिया के इवाइडास पेट्रायस्कास से होगा। पेट्रायस्कास ने लंदन ओलंपिक में 60 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
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