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कोरोना तूझें क्या कहूं ... - सुषमा कृष्ण कुमार

कोरोना तूझें क्या कहूं ... - सुषमा कृष्ण कुमार
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कोरोना तूझें क्या कहूं ,

प्रकृति का हितैषी या मानव का दुश्मन।

जहां मनुष्य हैं पिजंरे मे बंद

वहीं पशु, पंछी, जानवर हैं स्वछंद।

आदमी और सड़कें थी व्यस्त

प्रकृति और धरती थी त्रस्त

ये कोरोना तेरे कारण आज फिजाओं मे हैं मदमस्त और मनुष्य है त्रस्त।

स्वस्थ है वातावरण

स्वच्छ है सारी नदियां और पर्यावरण ।

मानव कर रहे है प्रकृति से खिलवाड़

लेकिन तुम दे रहे हो प्रकृति का साथ अब तुम कर रहे हो मानवों से छेड़छाड़।

मौत का ताडंव दिखाकर

कर रहे हो तुम मानव का संहार

पूरी दुनिया में मच गई है हाहाकार।

कोरोना तूझें क्या कहूं,

प्रकृति का हितैषी या मानव का दुश्मन।

मानव ने तो मानवता का किया खंड ,खंड

जिससे प्रकृति थी बेबस और प्रचंड।

तूने तो तोड़ दिया मानवों का सारा घमंड

धरा का धरा रह गया सारे तरकीब और परमाणु

सबको सबक सिखा दिया छोटे से ये किटाणु।

कोरोना तूझें क्या कहूं ,

प्रकृति का हितैषी या मानव का दुश्मन।

आज मनुष्य हैं बेबस और लाचार

कभी सह रही थी प्रकृति मानव निर्मित अत्याचार।

आज खुश है धरती

चहक रही हैं प्रकृति

पवित्र हैं नदियां और आकाश

दू:खी और नाखुश

हैं इन्सान।

- सुषमा कृष्ण कुमार

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