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टायलट : एक प्रेम कथा ( Toilet - Ek Prem Katha )

टायलट : एक प्रेम कथा (   Toilet - Ek Prem Katha )
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एह फिल्म प आरोप बा कि बिहारी कलाकार लो के फिल्म " गूटर-गूँ के आइडिया के इ लो चोरवले बा । चुकि हम गूटर-गूँ हम नइखी देखले एह से हम बाकि लोगन के लगावल आरोप के संगे जाइब । फिल्म कहीं-कहीं मोदी जी के स्वच्छता अभियान के एड फिल्म लागत बिआ जवना के ठप्पा शुरुवात में निर्देशक लिख के देत बा‌डे । महात्मा गांधी के कथन के संगे नरेंद्र मोदी के प्रयास के । जबकि शौचालय के स्कीम इंदिरा आवास के बेर से चल रहल बा ।

फिल्म के शुरुवात एगो पाठा , पकठाइल , बिआह के उमिर से तनि आगे निकलल हीरो से होता जवन गबरू जवान से बीस बा , गंवई अंदाज में रहे वाला , अपना आप में मगन , एगो लइकी से संबंध बा त दोसरका के बिआह खातिर जोहत बा । घर में हीरो के बाबुजी खांटी रुढिवादी , मंगला मंगली के दोष काटे खातिर मल्लिका नाव के भईंस से बिआह करवावत बा‌डे , जवना से मांगलिक दोष कट जाउ । एहि रुढिवादी सोच से हीरो के बिआह नइखे होत काहें कि ओकर बाबुजी ऋतिक रोशन लेखा ऋतिका के जोहत बा‌डे जवना के दू गो अंगुठा माने छवंगूरी होखे ।

फिल्म के एगो शुरुवात के जिक्र कइल जरुरी बा उ इ कि शुरुवात में कुछ मेहरारुन के समूह दिशा फिरे खातिर खेत में जात बा‌डी स , लगभग मय के हाँथ में ललटेन बा , आ मय के मय ललटेन ले के झाड़ी के पाछे बईठल बा लो आ ओहि घरी एगो टेक्टर वाला जान-बुझ के टेक्टर के हेडलाइट मारता । एह सीन के बाद अगिला दिने हिरोइन के एंट्री होता जे युपी टापर रहत बा‌डी आ नरियर से ओहि टेक्टर वाला के चला के मारत बा‌डी ।

फिल्म में हीरो जहा उज्जड़ गंवई आ भूच्चड़ देहाती देखावल गइल बा ओजुगे हिरोइन के पढ लिखल एडवांस सोच वाला लइकी के रुप में देखावल गइल बा । हीरो के परिवार घोर रुढिवादी त हिरोइन के परिवार के एडवांस देखावे के चक्कर में स्क्रिप्ट सन्नी लियोनी के ले के अनुपम खेर रुपी दादाजी के आह वाह देखावत बा ।

फिल्म हंसी मजाक के संगे , शुरुवात में दिशा फिरे के समस्या के देखावत शुरु भइल बिआ बाकि इंटरवल तकले हीरो हिरोइन के प्यार आपसी तकरार हंसी मजाक आदि में बीत जाता । इंटरवल के बाद हिरोइन के टायलेट के डिमांड आ फेरु हीरो के तरह तरह के जोगा‌ड आ संघर्ष के देखावत बा ।

फिल्म के संवाद बहुत बोल्ड आ मारक बा । एह फिल्म में लगभग हर किरदार आपन बेस्ट देले बा‌डे । अक्षय कुमार के बेहतरीन अभिनय बा , गंवई रोल में गांव के लइकी के रोल में शायद भूमि पेडनेकर जबरजस्त अभिनय कइले बा‌डी आ अपना गंवई इंटेलेक्चुअल के रोल के जस्टिफाइ करत बा‌डी । इंटरवल के बाद के एगो सीन में भूमि के लोटा गैंग के दिहल स्पीच जबरजस्त प्रभावशाली बा । अनुपम खेर के इंटेलेक्चुअल आ छिछोरा बुढउ के रुप में बढिया अभिनय बा । अक्षय कुमार के भाई के रुप में दिव्येंदू शर्मा के रोल बहुत बेजोड़ बा । फिल्म में हर किरदार जबरजस्त अभिनय देले बा । फिल्म के गीत गुनगुनाये लायक बा । क हाली सुने लायक बा ।

फिल्म में हिन्दू धर्म आ सभ्यता के टायलट के विरोधी देखावत बा ओजुगे पीएम नरेंद्र मोदी के समर्पित फिल्म के रुप में देखावे के कोशिश भइल बा । भगत लो के एह फिल्म के जरुर देखे के चाहीं ।

फिल्म में जवन कमी बा उ बा कि टायलट समस्या के निजी बना दिहल गइल बा जवन सामाजिक समस्या बन सकत रहे । कम से कम शुरु में कुछ अउरी वाक्या हो सकत रहे जवन टायलट खातिर वाजिब रहित। फिल्म मे लोटा गैंग ( मेहरारु लो के दिशा फिरे जाये वाला सीन ) के फिल्मांकन देखा रहल बा कि निर्देशक के वास्तविकता के जानकारी नइखे उहो आज के जूग में जब मोबाइल में टार्च आ गइल बा । चुकि फिल्म में वर्तमान देखावल बा , गांव में हर आधुनिक उपलब्धता , फेसबुक आदि देखावत बा अइसना समय में ललटेन ले के आइल गइल अपचनीय बा । फिल्म के अंत करे के अकुताई निर्देशक के मजबूरी हो गइल बा । फिल्म शुरुवात में तनी ढील बिआ बाकि गते गते अपना मूल मुद्दा प आ जात बिआ । फिल्म के अंत भयंकर काल्पनिक बा जवना के सपनो में उमेद ना कइल जा सकेला ।

मय मिला के टायलट के मुद्दा के धर्म सभ्यता रुढिवाद से जोड़े के असफल आ बेकार प्रयास बा तबो फिल्म नीमन बिआ , फिल्म में अभिनय , संवाद गीत आ फिल्म के मुद्दा रउवा के एक हाली देखे खातिर बोलावत बा । हमार सुझाव बा कि फिल्म के एक हाली जरुर देखी । अलग आ जरुरी मुद्दा प एगो नीमन फिल्म बिआ ।

साढे तीन स्टार ।


नबीन चंद्रकला कुमार
बलिया
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