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भोजपुरी कहानिया

रब ने बना दी जोड़ी

रब ने बना दी जोड़ी
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तीस की अवस्था पार कर लेने के बाद भी जब दरवाजे पर लड़की वालों का आगमन नहीं हुआ तो मोबाइल पर टिकटोक बना रहे दामोदर को देख उनके बाप ने ताना मारा - " अरे ससुर अब भी चेत जाओ ! किसी धन्ना सेठ या जमींदार की औलाद नहीं हो जो बाप के नाम पर हल्दी लग जायेगी , कोई नौकरी - चाकरी नहीं पकड़ी तो तुम्हारे साथ ही वंश का नाश हुआ समझो । "

दामोदर को यह बात लग गई । आचरण में जबरदस्त सुधार लाना शुरू किया । टिक टॉक हेतु बढ़ाई गई केशराशि को पुरुषोचित किया । पैंट शर्ट भी पहनने लगे । बोली - व्यवहार को और मधुर किया , एक सेठ के यहाँ प्राइवेट नौकरी भी पकड़ ली । किन्तु छः महीने बीत जाने के बाद भी घर पर लड़की वाले नहीं चढ़े ।

किसी ने बताया कि इंटरनेट पर शादी तय हो जाती है , लड़की भी मन मुताबिक चुन सकते हो ,बस थोड़ी बहुत इंग्लिश आनी चाहिए । फिर क्या था ? कस्बे में जाकर इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स जॉइन कर लिया और एक वेबसाइट पर शादी हेतु अपना प्रोफाइल भी बनवा लिया । ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा । एक सुबह कॉल आई - " इज दिस मिस्टर दामोदर प्रसाद ?"

बड़ी मीठी आवाज थी । शादी वाली वेबसाइट पर एक लड़की की फोटो का ध्यान आया और दामोदर को लग गया कि ये वही कन्या है और उनके बारे में जानकर दीवानी हो गई है । प्रश्न अंग्रेजी में था , अपना नाम उस प्रश्न में सम्मिलित पाया तो अनुमान लगाया कि बाप का नाम पूछ रही है - " गुड मॉर्निंग , धुरंधर प्रसाद फादर इज "

-" इफ यू आर नॉट कम्फर्टेबल , वी कैन टॉक इन हिंदी"

दामोदर नहीं समझ सके , लेकिन कुछ तो बोलना ही था -" 1998 इन इंटर पास , ज्वालापुर इंटर कॉलेज फ्रॉम , वेरी गुड स्कूल इज । "

फोन कट गया । ये उछल पड़े । दिल ने कहा कि लड़की शर्मा गई है । मगर उसके बाद महीने और साल गुजर गए कोई कॉल नहीं आई । इस बीच स्पीकिंग क्लास चलती रही , शादी हेतु इंटरनेट के प्रयोग के साथ - साथ आस पास के लोगों की भी खुशामद करते रहे ।

इनके बचपन के दोस्त रघुबंस एक दिन पधारे । पहले इधर - उधर की बात हुई फिर दामोदर ने अपनी बात रखी - " अरे रघु भाई ! अब तो तुम्हारा मामला भी सेटिया गया यार । आधी खोपड़ी चाँद हो गई फिर भी शादी होने जा रही है । कुछ मेरा भी जतन करो न "

रघुबंश अपनी जो गरज लेकर आये थे उसे प्रकट करने का बढिया दाँव मिला - " भैया इसीलिए तो तुम्हारे पास आये हैं । वो क्या है कि हमारा जो नाऊ है उसको दस्त लग गया , अब आज ससुराल पंचमंगरा की साड़ी पहुँचानी है । कोई दिखा नहीं तो सोचा आपको ही भेज दूँ , वहाँ मेरी होने वाली बीबी की कई चचेरी बहने हैं । थोड़ा अच्छे से बन ठन के जाओ तो हो सकता है उसी में से कोई पसन्द कर ले , बात आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मेरी रहेगी "

नाऊ का काम करना दामोदर को थोड़ा अटपटा तो लगा लेकिन विवाह योग्य तमाम कन्याओं का वहाँ होना उन्हें आकर्षित कर रहा था । लजाते हुए बोले - " लेकिन हम नाऊ बनकर जाएंगे तो वो सब हमको घास डालेंगी ?"

-"अरे भैया ! आपको देखकर कौन कहेगा कि आप नाऊगिरी करने वाले हैं ? और बाद में परिचय नहीं देंगे क्या ?"

अब सारा संशय , सारी लज्जा जाती रही । सहमति प्रदान करने के बाद रघुबंस के जाते ही बाल में मेहंदी लगाया , सेविंग की और झटपट तैयार हो गए । रघुबंस ने अपनी मोटरसाइकिल भी दे दी ।

शाम ढलते - ढलते दामोदर पहुँच गए । घर में हल्ला हुआ नाऊ आया , नाऊ आया । दामोदर अवसर की प्रतीक्षा में थे कि कोई दौड़ भाग से फुरसत पाकर उनके पास आये तो ये बताएं कि हम नाऊ नहीं दूल्हे के वरिष्ठ दोस्त हैं । लेकिन तब तक महिलाओं की गारी शुरू हो गई " एही रे हजमा के हाँड़ी अस पेटवा , ओही पर लइका कुदाई जी बाह बाह "

तब तक हल्ला हुआ मोदी जी लाइव आये हैं , मोदी जी लाइव आये हैं । सारा घर टीवी वाले कमरे में घुस गया । आवाज बाहर भी आ रही थी । इधर मोदी जी का भाषण खत्म हुआ उधर घर में कुहराम मच गया । चार दिन बाद शादी थी और पूरे देश में लॉक डाउन । सब चिंता में थे , उस रात खाना नहीं बना , दामोदर भी भूखे पेट सोए , उन्हें रघुबंस पर गुस्सा आ रहा था , एक भी लड़की इन्हें अभी तक नहीं दिखी थी , अपना मतलब साधने के लिए उल्लू बनाया उसने ।

सुबह घर के लोग दामोदर के चिल्लाने से जगे । देखा कि कमर पर हाथ रखे ऐंठ रहे हैं । लड़की के बाप ने कारण पूछा तो रोते हुए बोले - " सोचे कि सुबह ठंडा में निकल जाएं , गांव के बाहर ही सिपाही मिल गए । बहुत बुरी तरह सूत दिया काका ! किसी तरह जान बचाकर लौटे हैं "

लड़की के बाप ने बड़ा दिल दिखाया - " अभी नया नया हुकुम है तो पुलिस शेखी बघार रही है , तुम कुछ दिन रुक जाओ , मामला शांत होते ही निकल जाना "

दूसरा कोई चारा भी नहीं था । घर के सामने एक पुरानी घारी थी , उसी में साफ - सफाई करके दामोदर के लिए कल के मुकाबिल बढिया बिस्तर लग गया था । वे पेट के बल लेट कर दर्द से मुक्ति का प्रयास कर रहे थे तब तक एक सुंदर सी कन्या ने आकर चाय रखा और मुस्कुराते हुए बोली - " जीजा जी का फोन आया था , उन्होंने बता दिया है कि आप नाऊ नहीं हैं "

दामोदर उठ कर बैठ गए , कल से अब तक पहली बार किसी विवाह योग्य सुंदर कन्या के दर्शन हुए तो दर्द का प्रभाव जाता रहा , अपना प्रभाव डालने का प्रयास किया - " गुड टी , योर नेम व्हाट इज ?"

लड़की कम पढ़ी लिखी थी , अंग्रेजी सुनकर सकपका गई तो दामोदर शान से मुस्कुराये - " फिक्र नॉट ! हिंदी में टेल "

लड़की अभी भी पैर के अंगूठे से जमीन कुरेद रही थी । कुछ एक और भी लड़कियां दामोदर के गिर्द इकट्ठी हो गई थीं । सब प्रभावित दिख रही थीं ,लेकिन दामोदर की नजर उस चाय वाली पर ही गड़ी थी । दया करके हिंदी में बोले - " इसीलिए मैं गाँव में ज्यादातर नहीं जाता , रघुबंस यार है सो चला आया । तुम इतनी ब्यूटीफुल होकर भी अंग्रेजी नहीं जानती तो मुझे काफी दुःख हो रहा है । वैसे क्या नाम है तुम्हारा ?"

लड़की ने शर्मा कर कहा -" ब्यूटी "

दामोदर खुश हुए -"राइट राइट राइट , राइट नेम इज "

लड़की शर्मा कर भागी ।

दामोदर के दिल की खेती लहलहा उठी । अगले दिन , दोपहर में खाना लेकर भी ब्यूटी ही आई । इस बार कुछ ज्यादा ही सजी - संवरी थी । लड़की के लक्षण मनोनुकूल दिखे तो दामोदर का हौसला बढ़ा - " आई लव यू ब्यूटी , आई नीड मेरी यू विथ "

लड़की रुआँसी हो आई - " कम पढ़े - लिखे का ऐसे मजाक मत उड़ाइये जीजा जी , हिंदी आती है तो हिंदी में ही बोलिये "

उन आँसुओ में दामोदर का दिल पिघल गया लेकिन यह अंग्रेजी की ही महिमा थी जो लड़की उनके ऊपर फिदा हो गई थी , अंत में एक रद्दा और रख दिया - " नो टियर ओ माई डियर "

ब्यूटी को लगा कि ये मेरा जान बूझ कर मजाक उड़ा रहे हैं । उठ कर जाने लगी । कन्याओं को रिझाने के अनेकों असफल प्रयोग कर चुके दामोदर इस बार आत्मविश्वास से लबरेज थे । गीत पेश कर दिया - " अभी ना जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं "

ब्यूटी रुक गई । मुस्कुरा कर देखा - " शुक्र है गाना हिंदी में गा लिए आप "

दामोदर भी मुस्कुराये - " यू फ़ॉर डार्लिंग , वरना हिंदी उर्दू सभी गानों को अंग्रेजी में ही गाता हूँ , तुम्हें भी सिखा दूँगा "

तीन दिन बीत गए । पता चला कि रघुबंस के ससुर शादी का सामान खरीदने शहर गए थे और जबर तुड़ाई हो गई उनकी । घर में हल्ला उठा कि अब शादी लॉक डाउन के बाद ही सम्भव है । घारी में अपना अपना डेरा जमा चुके दामोदर के चेहरे पर कोई फिक्र नहीं थी , रघुबंस को मोबाइल पर सांत्वना दी और ब्यूटी के खयालों में खो गए , अब रोज उसे देखे बिना उन्हें चैन नहीं रहता । ब्यूटी भी उनसे मिलने के बहाने खोजती । यह लॉक डाउन दामोदर के लिए किसी वरदान की तरह साबित हो रहा था ।

एक सुबह दिशा मैदान के लिए निकले तो एक बुजुर्ग ने पूछा - " आप ही दामोदर जी हैं "

- "यस आई एम "

-"क्या करते हैं ?"

-"एवरीथिंग कैन डू , बट हू यू ? "

बुजुर्ग ने तपाक से उत्तर दिया - " फादर ऑफ ब्यूटी "

फिर क्या था , दामोदर ने पाखाना वाला डिब्बा फेंका और चरणों में झुक कर बोले - " लेग टच प्रणाम डू ओल्ड मैन "

बुजुर्ग ने भी आशीष दिया - " सिल्वर कट सन ( चानी काटो बेटा )"

दोपहर में ब्यूटी आई तो खुश थी -" बापू तो आप पर लट्टू हो गए , कह रहे हैं कि ऐसा पढ़ा लिखा सलीकेदार आदमी पहली बार मिला है , अंग्रेजी जानने के बाद भी संस्कार नहीं भूला । दरअसल बापू भी इंग्लिश के शौकीन हैं , दूरदर्शन पर अंग्रेजी समाचार देखते हुए पीते हैं "

-"तो कहो उनसे शादी के बारे में "

- "मुझे कहने की जरूरत ही नहीं पड़ी , वो खुद आपके बाबूजी का नम्बर पूछ रहे थे , अब दीजिये अपने बाबूजी का नम्बर !"

खुशी से गदगद दामोदर ने ब्यूटी को बाहों में भरना चाहा , वो छिटक कर दूर भागी - " प्रधानमंत्री जी बोले हैं ...सोसल डिस्टेंसिंग "

दामोदर मन मारकर चारपाई पर बैठ गए । उसी शाम उनके बाबूजी का फोन आया - " सब कुछ तो ठीक है बेटा ! लेकिन लड़की में ऐब है "

दामोदर भड़क गए , गुस्से में बाप से भी अंग्रेजी में ही बोले - " यू को देयर से लुक गया ऐब ? नाऊ माई मैरिज फिक्स इज तो व्हाय ट्राय टू फँसाना लेग योर "

-"अबे अंग्रेज की औलाद उसे मिर्गी आती है , उसका बाप ही फोन पर बोला कि शादी तो हो जाएगी लेकिन उसके पहले सच बताना जरूरी है "

दामोदर ने स्पष्ट कर दिया -"आई नो केयर ऑफ मिरगी , आई मैरी विथ ब्यूटी , दिस फाइनल इज "

बाप ने गुस्से में फोन काट दिया । ये तुरन्त दनदनाते हुए ब्यूटी के घर गए और उसके पिता का चरण रज लेने के बाद बोले - " लिसेन ओल्ड मैन , माय ओल्ड मैन नॉट हैप्पी इज , बट आई केयर नॉट हिम एंड मिर्गी । आई डोंट वांट दहेज , आई वांट ओनली ब्यूटी , आई मेक हर तकदीर वेरी ब्राइट "

बुजुर्ग खुश था । कई जगह रिश्ता खोज लिया था लेकिन हर जगह मिर्गी की वजह से शादी की बात आगे नहीं बढ़ पाती , गदगद स्वर में बोला - " यू देवता इज सन , आई रेडी फ़ॉर बियाह "

बस फिर क्या , शादी के जिस मुहूर्त पर रघुबंस का ब्याह तय था उसी मुहूर्त पर मुहल्ले के पंडित जी को बुलाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दामोदर और ब्यूटी का ब्याह सम्पन्न हो गया ।

पशुओं का वह स्थान अब ब्यूटी और दामोदर का अस्थाई आशियाना बन चुका है ।

आशीष त्रिपाठी

गोरखपुर

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