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भोजपुरी कहानिया

तीज स्पेशल..... रिवेश प्रताप सिंह

तीज स्पेशल..... रिवेश प्रताप सिंह
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तीज में कल शहर,बाज़ार, चौराहे देर रात तक चहलकदमी और खरीदारी से रौशन रहे। मेंहदी, श्रृंगार और मिष्ठान के प्रतिष्ठानों ने खूब चांदी काटी... मेंहदी रचने वालों के हाथों की तो बल्ले बल्ले थी। और उसमें पुरूष मेंहदी रचनाकारों की तो पूछिए मत! मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि जब देर रात को ये पैसा कमाकर घर लौटते होंगे तो कैसे ये सहज रह पाते होंगे. कैसे नहीं इनकी खुशी इनके चेहरे से टपक जाती होगी....भगवान जाने इनकी पत्नियां बड़े दिल की होतीं हैं या इन्होंने अपनी चमड़ी कछुए की कवच की तरह बना रखी है। सच तो यह है कि इन महानुभावो की पत्नियों द्वारा किया गया व्रत अन्य महिलाओं की तुलना में कठिन है.. बिल्कुल भीतर से ज्वालामुखी तिसपर निराजल व्रत... खैर! सबकी अपनी किस्मत और दिन होते हैं।

प्रत्येक भारतीय त्योहार खर्चीले होते हैं लेकिन तीज एवं करवा चौथ के त्योहार में हुए खर्च को मैं खर्चे में नहीं जोड़ता. मैं इसे जीवन बीमा की एक वार्षिक पालिसी की एक किश्त की तरह निवेश समझता हूँ। एक वर्ष के सुरक्षित जीवन के लिए किया गया छोटा सा निवेश। इसलिए इस त्योहार को बहुत जिम्मेदारी एवं मनोयोग से समझना और मनाना चाहिए.. क्योंकि यह जीवन से जुड़ा हुआ त्योहार है।

वैसे पुरुषों या यूं कहें पतियों द्वारा अपनी जीवन रक्षा के लिए पत्नियों का भरपूर सहयोग किया जाता है.. पत्नियों के श्रृंगार और ऊर्जा के लिए भीड़भाड़ में भी उत्कृष्ट विकल्प चुनना एक चुनौती भले हो लेकिन कोई पीछे नहीं हटता.. सर्वाधिक भीड़ इमरती की दुकानों पर देखी जाती है. ईश्वर जाने इमरती कितनी ऊर्जा प्रदान करती है...लेकिन अनगिनत मिठाईयों मे से इमरती जैसी जटिल और घुमावदार मिठाई का चयन.. न जाने क्यूं मुझे शंकाग्रस्त कर देता है.. जब बाज़ार में आसान और सरस मिठाई उपलब्ध हैं तो जलेबी की अम्मा क्यों भला?

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निराजल व्रत में महिलाएं भरसक प्रयास करतीं हैं कि कम से कम ऊर्जा का क्षय हो.. इसलिए बहुत कम या काम भर का बोलतीं हैं। हांलाकि न बोलना निराजल व्रत रहने से भी कठिन है। आज के दिन पतियों द्वारा की गई तमाम गलतियां नजरअंदाज कर दी जातीं हैं.. पहला कारण कि आज पतियों का दिन है और दूसरा ऊर्जा बचाने की जुगत ....इसका मतलब यह कतई नहीं कि आपकी गलतियाँ दर्ज नहीं की जा रहीं..ऐसा नहीं कि हिसाब नहीं होगा.. होगा! सामने वाले के भीतर जब पुरानी ताकत लौटेगी तो आपकी भी तबियत से खबर ली जायेगी.. इसलिए सम्भलकर..उत्सव की आड़ में अराजकता का व्यवहार, फौरी राहत भले दे दे लेकिन सामान्य दिनों की वापसी पर ऐसे व्यवहार निशाने पर लिये जाते हैं।

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दरअसल होता यूं है जब कोई व्यक्ति आपके लिए तपस्यारत हो तो स्वाभाविक रूप से उसकी समस्त ज्ञान इन्द्रियाँ आपकी तरफ मुखातिब रहती हैं. पत्नियों की निगाह में आज आप अतिविशिष्ट होते हैं. इसलिए आप से आशा की जाती है कि आप भी सामान्य से अलग व्यवहार करें..उन्हें ऐसा लगे कि आप उनकी तपस्या और समर्पण को लेकर चैतन्य हैं..ऐसा लगे कि आज आपकी समस्त ऊर्जा तपस्वी के सम्मान और देखरेख में आरक्षित और समर्पित है॥

आज आपका दिन विशेष है इसकी विशेषता कायम रहे..

शुभकामनाएं आपको ...

नमन व्रतियों को ॥

रिवेश प्रताप सिंह

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