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भोजपुरी कहानिया

तेरी मोहब्बत : यूरेका ! यूरेका !

तेरी मोहब्बत : यूरेका ! यूरेका !
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"तरुणाई के दहकते पन्ने पर जब जज्बात की ख़्यालाती कलम चलती है फिर कहानियाँ नहीं जिंदगिया मचलती हैं।"

मचलने से याद आया !
मचले तो हम भी थे तेरी 'आविष्कारी इश्क' की छुवन भर से । तुम बंगालन जादूगरनी सी अपने इश्क को साधने में लगी थी , मैं 'मोहब्बतल्लवन बल' में ख़्वाहिशों का गोता लगाते गया...जैसे तेरी मोहब्बत ने उत्तपल्लवीत कर दिया हो ।

हाँ ! पर इस नायाब मोहब्बत को पाकर उछला नहीं था मैं , ना ना इतराया भी नहीं था और घमंड ...? उहुँ ...इत्तु सा भी नहीं , ना ही कभी राह चलते अपने इस आविष्कारी इश्क की चटख प्रदर्शनी ही लगाई थी । बस शांत ,संयमित होकर मगन हो लिया था तुम में ही ।

तुम कहती हो कि 'मेरे इश्क में केवल तुम नहीं बल्कि सारी दुनिया को समेटा है मैंने ' !
तो क्या गलत किया है ?
संकुचित मोहब्बत के दिन ही कितने होते हैं ?
हमारी मोहब्बत तो बृहद , बहुआयामी है जिसके फलक इतने पवित्र हैं कि सबको समाहित कर जाते हैं ।
ये तेरी मोहब्बत ही तो है जो कुछ कर गुज़रने का जज्बा दे जाती है...और आज फिर कहता हूँ 'माना हम आउटडेटेड हो सकते हैं पर कोई शोबाजी नहीं मेरी मोहब्बत में ।'

क्या फिर भी कहोगी कि मेरी मोहब्बत तुम तक सीमित नहीं ? क्या फिर भी तुम्हे लगता है मुझे अपनी मोहब्बत को बस हम तक सीमित रखना चाहिए ??

वैसे तुम्हारी सादी आंखें... हाय ...आदी हो गया हूँ सनम 😘 ।

होंठवा के ललिया , कानवा के बलिया
अंखिया के तोहरे कजरवा...
कि ए हो धन पागल बनवले बा नाक के नथुनिया
जान लेवे मुस्की चवनिया..❤
संदीप तिवारी 'अनगढ़'
"आरा"
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