Janta Ki Awaz
भोजपुरी कहानिया

फट्ट जनौरी स्पेशल : ई मन चंचल ई मन चोर......

फट्ट जनौरी स्पेशल  : ई मन चंचल ई मन चोर......
X
गज़ब हाल है ए संघतिया, मने ई फट्ट जनौरी का रंग भी अलग अलग लोगन के लिए अलग अलग ही होता है। अब देखिये न, सुबह सुबह आलोक पाण्डेय बाबाजी घर के पिछवारे खरहुल में लूका के बबिता को फोन लगाये, और उधर से रिसिभ होते ही बोले- परनाम डार्लिंग!
उधर से खनकती हुई आवाज आई- अरे पंडीजी! हमको कल ही एगो जोतखी जी बोले थे कि तुमको गदहे की सवारी का मौका मिलेगा, हम तब से ही इंतजार कर रहे थे कि आपका फोन जरूर आएगा।
-हें हें हें... उ का है कि आज फट्ट जनौरी है न, तो हम सोचे कि आज तो बीडियो साहेब कहीं घूस लेने में मस्त होंगे, तो हम और आप कहीं पिकनिक मनाया जाता। आप कहतीं तो बग़ीचा में घुघुनी पूड़ी छाना जाता।
- हहहहह, अरे कहाँ तक सोच लिए पंडीजी। आप तो अब मार्गदर्शक मण्डल में हैं। पिकनिक मनाने हम और बीडियो साहेब मोतीझील जा रहे हैं, आप आशीर्वाद दीजिये कि हमारा प्यार बना रहे।
- हैंssss अइ अइ अइ अइ या अल्लाह... मार्गदर्शक मण्डल? अरे हम तो अभिन अखिलेश हैं डार्लिंग, हमको मुलायम न बनाओ।
- आपके भेजे में अपेंडिक्स हुआ क्या पंडीजी, या थेथरलॉजी से एमए किये हैं? अरे बुढ़ापा आया, राम राम कीजिये। अब पेयार सियार का बात न कीजिये। काटिये फोन! और हाँ, फिर जब प्यार की याद आये तो कुटाई याद कर लीजियेगा।
आलोक जी ने मन थोर कर फोन काट दिया और कुछ देर सोच कर चिल्लाये- बीतू, आई लभ यु...
उधर किचेन से आवाज आई- बेटा जल्दी से पहरुआ लाओ तो, तुम्हारे पापा फिर बबितवासे हैं।
अब इहे तो हाल है ए ग़ोइयाँ, का कहा जाय। प्रेयसी से निराश आलोक पत्नी के चरण दबा कर फर्स्ट जनवरी मना रहे हैं।
उधर अरविंद सिंह का हाल तो और ज्यादा भयानक है। बेचारे बिहाने बिहाने पुआ और अरुई का बाजका खा लिए तो पेट थोड़ा समाजवादी हो गया, और लगा झरने। इधर अरविंद बाबु को भी मनोरमा के पास फोन कर के हैप्पी न्यू ईयर कहना था, लेकिन जब तक फोन लगाते तबतक पेट प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगता। हार कर एक लंबा सा मैसेज टाइप किये- आदरणीय डार्लिंग जी के चरणों में कोटि कोटि नमन। आपका हाल तो शशिकला की तरह चमक रहा है, लेकिन हम इधर भंटा का चोखा खा के हलुमान जी से प्राथना करते हैं कि आप चकचक रहें...........
मैसेज भेजने के बाद अरविंद बाबु इतने जोर से मुस्कुराये कि फिर पेट में गोंय गोंय होने लगा। अरविंद बाबु जल्दी से पाकिस्तान में घुसे तबतक मोबाईल पत्नी के हाथ में... फिर क्या हुआ यह कैसे बताएं, बस इतना जानिए कि शाम होते होते अरविंद सिंह को नया झाड़ू, बेलन, पहरुआ तो खरीदना ही पड़ा, कुदारी का बेंट भी नया बनवाना पड़ा है।
दोनों महानायकों की दशा देख कर मन थोर था ए भाई, लेकिन अभिनव पाण्डेय की कहानी सुन के तनी संतोष हो गया है।
हुआ यह कि सुबह सो के उठते ही अभिनव बो भौजी उनको पीतल के परात में बैठा के दूध से नहलाने लगीं। दूध के बाद हल्दी, फिर मधु, फिर दही... अभिनव बाबु को लगा जैसे स्वर्ग में आ गए हों और अप्सराएं सेवा कर रही हों। पत्नी ने नहलाने के बाद उनका फूल से श्रृंगार किया और फिर उन्हें एक परिस्कृत आसन पर बिठा कर स्वयं हाथ में वीणा ले कर गाने लगी- अलबेला सजन आयो रे....
संगीत के सुरों में डूबे अभिनव सर हिला हिला कर झूमने लगे। अचानक कमर पर लगी एक चोट से उनकी तंद्रा टूटी और उन्होंने देखा कि वे बिछावन पर ही सोये हैं और पत्नी भोजपुरी मन्त्रों के साथ उनका बेलनाभिषेक कर रही है...
पाड़ा जैसे दस बजे तक सोते आपको शर्म नही आती?

का कहें ए भाई.... इहे त रंग है फट्ट जनवरी का।
अब दूसरे का का कहें, हमहीं सुबह उठ के बोले कि हैप्पी न्यू ईयर पार्थ के माई, भगवान तहार बेटा भतार बनवले राखस। उ बोली- फट्ट! ख़बरदार जो हमको नया साल का बधाई दिए तो। हमारा नया साल तो तब आएगा जब खेत में खड़ी सरसों की डालियाँ हाथ में फूल लिए महकती हुई आपको आई लभ यु कहेंगी। हमारा न्यू ईयर चइत में आता है।
हमहुँ बोले कि ठीक ही कह रही है। और अगर गलत भी कहे तो बात काटने की औकात किसके पास है?
लभ यु पार्थ के माई.......
आप सबके लिए भी हैपी फट्ट जनौरी।

मोतीझील वाले बाबा
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।
Next Story
Share it